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चित्तौड़गढ़- गांधीनगर में चित्तौड़ी आठम महोत्सव समिति द्वारा मनाया गोपाष्टमी पर्व।

वीरधरा न्यूज़।चित्तोडगढ़@डेस्क।
चित्तौड़गढ़। अमन गौड़ ने बताया कि गुरूवार को गोपाष्टमी पर्व पर चित्तौड़गढ़ महोत्सव समिति चित्तौड़ी आठम द्वारा गुरूवार को गांधीनगर स्थित गौशाला में गौ-माता की पूजा कर, गौ माता को चुनरी ओढ़ा, माला पहना, तिलक निकाल कर आरती कर गुड़ खिलाया गया तथा चित्तौड़गढ़ की सुख-शांति व समृद्धि के लिए व वर्तमान में उपेक्षित गौ माता की स्थिति में सुधार हो इस हेतु भगवान से प्रार्थना कर, पं. मुकेश के सानिध्य में यज्ञ हवन गोपाष्टमी पर्व मनाया गया। बाद में गौशाला में गायों को गौ ग्रास खिलाया गया।
पूर्व सभापति सुशील शर्मा ने बताया कि गौ को माता का दर्जा दिया गया है और पूजनीय है। स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठा कर गौ माता की रक्षा की। गौ माता के खूर से उड़ी धूल को सिर पर धारण करना तीर्थ के समान माना गया है। पीछे के पैरों का दर्शन करने से अकाल मौत नहीं होती है। गौमाता में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास होता है। गौ माता के संध्या के समय घर लौटना गौधुली वेला कहा जाता है। गाय का मूत्र भी औषधी है। गाय की हर चीज औषधी है।
अध्यक्ष मुकेश नाहटा ने बताया कि हिन्दू धर्म में गाय को माता कहा गया है। पुराणों में धर्म को गौ रूप में दर्शाया गया है। भगवान श्रीकृष्ण गाय की सेवा अपने हाथों से करते थे, उनका निवास भी गौ लोक बताया गया है। इतना ही नहीं गाय को कामधेनु के रूप में सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाला बताया गया। हिन्दू धर्म में गाय के इस महत्व के पीछे कई कारण है जिसका धार्मिक व वैज्ञानिक महत्व भी है। शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि की रचना की थी तो सबसे पहले गाय को ही पृथ्वी पर भेजा था। सभी जानवरों में मात्र गाय ही ऐसी है जो माँ शब्द का उच्चारण करती है, इसलिए माना जाता है कि माँ शब्द की उत्पत्ति भी गौ वंश से ही हुई है। धार्मिक ग्रन्थों में लिखा गया है ‘‘गावो विश्वस्य मातर’ अर्थात् गाय ही विश्व की माता है।
कार्यक्रम में आरएसएस के शारीरिक प्रमुख धर्मपाल गोयल, सम्पर्क प्रमुख भूपेन्द्र आचार्य, अध्यक्ष मुकेश नाहटा, कुलदीप पारीक, अमन गौड़, अर्जुन जोशी, बाबू डांगी, शुभम सेन, प्रकाश जोशी, कृष्णा सोनी, मोहित जैन, सिद्धार्थ नाहर, ललित सुथार, राहुल दीक्षित, रौनक सोनी, बंटी कुमावत, विपूल सिंह, विजय वैष्णव आदि उपस्थित रहे।

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