वीरधरा न्यूज़।चित्तौड़गढ़@डेस्क।
चित्तौड़गढ़।कोरोना जैसी घातक और भयानक बीमारी से बचाव के लिए प्रत्येक पात्र व्यक्ति को वैक्सीनशन करवा कर राष्ट्रहित में अपना राष्ट्रधर्म निभाना चाहिए। राजा लोग या शासन करने वाले लोग कानून तो बना देते हैं पर उसकी पालना तो प्रजा को ही करनी होती है।
देशवासियों को देशहित में लिए गए निर्णयों को पूरा समर्थन देना चाहिए और कोरोना वैक्सीन भी एक ऐसा ही निर्णय है।
उक्त प्रवचन आगम ज्ञाता व वाणी के जादूगर पूज्य डॉ समकित मुनि ने खातर महल में आयोजित पर्व पर्युषण के पांचवे दिन देते हुए कहा कि जो पाप की विराधना हुई है उसे खत्म करने हेतु पर्युषण पर्व मनाया जाता है ।पाप करने के रास्ते कम हैं पर पाप भुगतने के रास्ते करोड़ों में हैं। हमारे शरीर में रोग और बीमारियाँ ही करोड़ों में हैं। कुछ पाप अनजाने में होते हैं और कुछ पाप पूर्व निर्धारित होते हैं। योजना बनाकर किये गए पाप दुख ज्यादा देते हैं। पाप करना कम करना है तो चीजों की संख्या कम करें और स्थान को भी सीमित करना चाहिए ।ये आठ दिन पाप विराधना की आलोचना के दिन हैं। डॉक्टर समकित मुनि ने कहा कि पर्युषण पर्व मूर्छा और आसक्ति को कम करने का पर्व है। उन्होंने देवकी माता के प्रसंग की विवेचना करते हुए कहा कि जब श्री कृष्ण ने भगवान से पूछा कि मेरा भविष्य क्या है? तो भगवान ने कहा कि आपके जीवन की राह में बीच में एक गड्ढा है पर आप आगे चलकर एक तीर्थंकर बनेंगे ।उन्होंने कहा कि धर्म का ही प्रभाव था कि श्री कृष्ण की आठ रानियों ने दीक्षा ली थी। उन्होंने कहा कि व्यवस्था में समर्थ लोगों को आगे आना चाहिए। कभी-कभी कुछ व्यक्तियों का असंयम पूरी नगरी को नुकसान पहुंचा देता है। मुनि ने प्रवचन में संदेश दिया कि आखरी सेवा कभी खाली नहीं जाती है इसलिए हमें घर के बुजुर्गों और बुजुर्ग साधु संतों की सेवा का लाभ जरूर लेना चाहिए। वृद्ध साधु-संतों को संभालना भी श्री संघ का कर्तव्य और दायित्व होता है। डॉक्टर समकित मुनि ने कहा कि पैसा सुरक्षा देने से इनकार कर देता है तब धर्म ही सुरक्षा देता है। जिस नगरी में धर्म का प्रभाव होता है वहां पर भाग्य सवाया होता चला जाता है ।जीवन में कभी भी धर्म का द्वार नहीं छूटना चाहिए। धर्म के द्वार सदैव खुले रहने चाहिए ।धर्म का काम 24×7 यानी 24 घंटे सातों प्रहर होना चाहिए ।उन्होंने कहा कि जो किसी कार्य को करने में सक्षम नहीं पर वे यदि कार्य करने वालों का उत्साहवर्धन भी करते हैं तो अपने आप में यह बहुत अच्छा कार्य है ।डॉक्टर समकित मुनि ने अपने गुरु सुमति प्रकाश जी म सा को एक दीर्घकालीन आयंबिल साधक और नवकार मंत्र उपासक बताया और कहा कि 82 वर्ष की आयु में भी वे धर्मप्रभावना का प्रसार कर रहे हैं। 12 अक्टूबर को उनकी जन्म जयंती पर अधिक से अधिक आयंबिल कर उनकी जन्म जयंती को भव्यता प्रदान करें यही संकल्प लेना चाहिए । उन्होंने कहा कि 11सितंबर को पौषध दिवस और आगामी 13 से 17 सितंबर तक आगम विधान का कार्यक्रम रहेगा जिसमें आप स्वयं के लिए धर्म की सेफ्टी बेल्ट की सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं। इसमें जोड़े सहित जाप होगा जो प्रातः 9:00 बजे से 9:40 तक प्रातः खातर महल में आयोजित होगा ।उन्होंने कहा कि आज है तो राज है ।जो रह गया सो रह गया। जितना हो सके अच्छा काम करें और अच्छा रहें। डॉ समकित मुनि ने 70 वर्ष की उम्र में 19 वें उपवास की कठोर तपस्या करने वाले अरनोदा निवासी मंगीलाल धींग को प्रत्याख्यान दिलाया और मांगलिक प्रदान किया।
प्रचार मंत्री सुधीर जैन ने विज्ञप्ति में बताया कि इससे पूर्व साध्वी विशुद्ध म सा ने अंतगड़ सूत्र का मूल वाचन किया और साध्वी विशाखा म सा ने सुमधुर गीतिका “औरों की बात छोड़ो ,खुद को जरा टटोलो, लेकर क्षमा का साबुन, इस आत्मा को धो लो “से कार्यक्रम की शुरुआत की। भवान्त मुनि भी धर्म सभा में विराजित थे। कार्यक्रम का संचालन हस्तीमल चंडालिया ने किया ।मंगलवार रात्रि को “धर्म क्यों जरूरी है” विषय पर आयोजित वन मिनट स्पीच प्रतियोगिता में श्रावकों में पदम मेहता प्रथम ,अजीत नाहर और रोमित नाहर द्वितीय और कुंदन जैन तृतीय ।श्राविका वर्ग में नयना जैन मैसूर प्रथम, नेहा सिप्पाणी द्वितीय और 6 वर्ष की बालिका सिद्धयेश लोढ़ा तृतीय रही ।विजेताओं को श्री संघ अध्यक्ष हस्तीमल चोरड़िया व श्रीसंघ संरक्षक प्रो सी एम रांका ने पारितोषिक प्रदान किये। प्रवचन के पश्चात आगम ज्ञाता डॉ समकित मुनि म सा व साध्वी विशुद्धि म सा की प्रेरणा से जैन दिवाकर महिला परिषद अध्यक्ष अंगुरबाला भड़कत्या के अनुसार जैन दिवाकर महिला परिषद और चंदन बाला महिला मंडल द्वारा भगवान महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव मनाया गया जिसमें चौदह बालिकाओं ने चौदह स्वप्नों के साथ आनंद और उमंग से उनके प्रत्येक जन्म को सुंदर नृत्य व पोस्टर पर चिन्ह प्रदर्शित कर धूमधाम से मनाया । प्रीति साहिल सीपानी अपने नन्हे बच्चे के साथ त्रिशला मां बनी और बच्चे को भगवान महावीर का रूप धरा कर पालने में झुलाने के साथ जैन दिवाकर महिला परिषद और चंदनबाला महिला मंडल की बहनों ने मंगल गीत गाए।