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विनय पूर्ण व्यवहार से ही व्यक्ति दूसरों को अपना बना लेता है -साध्वी डाॅ. अर्पिता जी म.सा.

वीरधरा न्यूज़।चित्तोड़गढ़@डेस्क।


चित्तौड़गढ़। अनुशासन, विनम्रता, पुण्य परिश्रम, विश्वास और कड़ी मेहनत सफलता के मूल मंत्र है। कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता, टाटा, बिरला, निरमा, फोर्ड, धीरू भाई, एडीसन आदि जन्मजात धनपति नहीं थे। अपनी सुझबूझ, कड़ी मेहनत के बल पर ही इन्होंने अपने अपने क्षेत्र में सफलता पाई। सफलता का पैमाना मात्र पैसा कमाना नहीं है। शोहरत भी सफलता की निशानी है।
ये विचार शांति भवन में श्रमण संघीय उपप्रवर्तिनी वीरकान्ता जी म.सा. की सुशिष्या साध्वी डाॅ. अर्पिता जी म.सा. ने सफलता की चाबी विषय पर प्रवचन करते हुए व्यक्त किये। उन्होंने फरमाया कि व्यक्ति अपने जीवन में कामयाबी प्राप्त करता है तो इसका श्रेय उसके मां बाप को भी जाता है। जन्म से ही माता-पिता को अपने बच्चों को वो संस्कार देना चाहिये जो वे उसे बनाना चाहते हैं। बच्चों को भी अपने माता-पिता व गुरु के प्रति विनम्र व्यवहार करना चाहिये, विनय पूर्ण व्यवहार से ही व्यक्ति दूसरों को अपना बना लेता है। हर क्षेत्र में धन के बिना मान सम्मान नहीं मिलता और पैसा प्राप्त करने के लिए पुण्य उपार्जन आवश्यक है और धर्मकार्य से पुण्य अर्जन होते हैं। पुण्य के प्रभाव से व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।
किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए श्रम, लगन, विश्वास व प्रभु कृपा का होना भी आवश्यक है। कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। श्रीकृष्ण भगवान द्वारा झुठी पतले उठाने और अतिथियों के चरण वन्दन से उन्होंने इस बात को समझाया। सफलता का कोई शोर्ट कट नहीं होता, सतत श्रम और धैर्य की आवश्यकता है। पुण्य का पर्स भी साथ होना चाहिए। विनम्रता सफलता की पहली चाबी है। माता-पिता की आशीषें खाली नहीं जाती। बच्चे को सफलता दिलाने में मां बाप का भी अहम् रोल है। बच्चे को आलसी व नटखट बनाना भी मां बाप के हाथ में ही है। मां बाप को भी धृतराष्ट्र नहीं बनना है। बच्चों को कामयाब बनाने के लिए बच्चों के साथ खुद को भी अनुशासित करना होगा। निज पर शासन फिर अनुशासन का मूल मंत्र भी यहां काम करता है। कड़ी मेहनत और अनुशासन से खुद की पहचान स्थापित होती है। केवल बच्चों की जरूरतें पूरी करने से कुछ नहीं होने वाला। उन्हें समय भी देना पड़ेगा। उन पर विश्वास करें, उन्हें प्यार दें, मार नहीं। उनकी कमजोरियों को दूर करें। दूसरे बच्चों से तुलना ना करें, उनको हिम्मत दें ‘‘यस यू केन’’ परमात्मा के साथ मां बाप के आशीर्वाद व पुण्य के पर्स से सफलता अवश्य मिलेगी। साध्वी वीना जी ने अन्तगढ़ दशा सूत्र के छठे वर्ग के वाचन के साथ अर्जुन माली व सुदर्शन सेठ के चरित्र का विवेचन किया। संचालन ऋषभ सुराणा ने किया। प्रभावना तेजमल भड़कत्या की ओर से वितरित की गई। आठ भाई बहनों ने 6 दिन की तपस्या के प्रत्याख्यान लिए।

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