युद्ध बिगुल बज चुका,
युद्ध घमासान है
अस्त्र जीत का तेरी,
सिर्फ मतदान है।
राजा हो या रंक हो
आज सब समान है
फर्क कुछ भी नहीं
मत ही बस पहचान है।
तो हो खड़ा, मतदान कर
वृद्ध या जवान है
देश इस महायज्ञ में
माँगे योगदान है।
फिर बोलना, कभी नहीं
कि मेरी तो चली नहीं
आज मत जो है तेरा
वो जीत का प्रमाण है।
तो अस्त्र ये हाथ ले,
देख कहाँ कमान है
और छोड़ दे इस तीर को
जो वज्र के समान है।
मेरी आप सभी देशवासियों से अपील है आप अपना सारा काम छोड़कर मतदान अवश्य करें, यही आपकी ताकत है, यही देश कि ताकत है।
पत्रकार
ओम जैन शम्भूपुरा
चित्तौडग़ढ़ (राज.)