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परिग्रह और लोभ एक ही सिक्केक के दो पहलू-डाॅ. अर्पिता जी

वीरधरा न्यूज़।चित्तोड़गढ़@डेस्क।

चित्तौड़गढ़। श्रमण संघीय आचार्य सम्राट डाॅ.शिवमुनि की आज्ञानुवर्ती महासाध्वी उपप्रवर्तिनी श्री वीरकान्ता जी की सुशिष्या डाॅ. अर्पिता ने शांति भवन सेंती में धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि लोभी व्यक्ति की उचित अनुचित का विचार करने की शक्ति नष्ट हो जाती है। लोभी आदमी के पतन की कोई सीमा नहीं रहती। लोभी सोचता है कि बेटे को देंगे – बेटी को देंगे किन्तु अन्त में लेना देना किसी को कुछ नहीं और राम नाम सत्य हो जाता है।
उन्होंने कहा कि संसार में चार प्रकार के गड्डे होते हैं जो कभी भरते नहीं। पेट का गड्डा, श्मशान का गड्डा, समुद्र का गड्डा और मनुष्य की तृष्णा का गड्डा। एक कंगाल व्यक्ति सौ रू. की इच्छा रखता, सौ रुपये वाला सहस्त्राधिपति, सहस्त्राधिपति लखपति, लखपति करोड़पति, करोड़पति राजा और राजा चक्रवर्ती। पर उसको भी चैन कहां, वह इन्द्र बनने के स्वप्न देखता और इन्द्र भी ऊँचा पद पाना चाहता है। इस प्रकार लोभ शैतान की आंत की भांति बढ़ता ही रहता है। आयुष्यनष्ट हो जाता है, शरीर शिथिल हो जाता है, आंखे जवाब दे देती है परन्तु तृष्णा कभी बूढ़ी नहीं होती।
उन्होंने कहा कि परिग्रह और लोभ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। यदि परिग्रह परिमाण व्रत अंगीकार कर लिया तो लोभ स्वतः ही मंद हो जायेगा। यदि परिग्रह की मर्यादा है तो चार कषाय काम, क्रोध, मद और लोभ भी जीवन से निकल सकते हैं। अतः संतोषवृति धारण कर परिग्रह परिमाण व्रत अपनाना ही श्रेयस्कर है।
महिला मण्डल अध्यक्ष सरोज नाहर ने बताया कि शुक्रवार 5 अगस्त को सामूहिक एकासन का आयोजन रखा गया है।
नवकार जाप प्रभारी नरेश भड़कत्या ने बताया कि 05 अगस्त शुक्रवार के जाप मिठूलाल, विनोद कुमार, राकेश कुमार भड़कत्या के सेंती स्थित आवास पर प्रातः 8 से रात्रि 8 बजे तक रहेंगे।

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