वीरधरा न्यूज़। आकोला @ श्री शेख सिराजुद्दीन।
आकोला। फागोत्सव कार्यक्रम का आयोजन शुरु हो गया है। पारंपरिक विधि विधान से भक्तों ने अबीर व गुलाल से होली के साथ गेर नृत्य भी मंदिरों में शुरु हो गया। हाेली के पर्व से लेकर तेरस तक चलेगा। क्षेत्र का सबसे बडा फाग उत्सव लालावास बावजी में होली फाग खेला जाता है। पंचमी के दिन फाग उत्सव से पहले चार-पांच कडाव (डेग) में मक्का की घुघरी बनाकर उसमें मसाला मिलाकर तैयार कर मंदिर में भोग लगाने के बाद मक्का की घुघरी बाटी जाती है। जहां फाग उत्सव में आसपास के लगभग सभी भोपाजी व पंचपटेल सहित गणमान्य लोग इस प्रोग्राम में शिरकत करते है। इस मौके पर पुजारी सहित जनप्रतिनिधि व ग्रामीण महिला-पुरुषों भी भाग लेते हैं। लालावास मंदिर प्रांगण (चौक) पर पंच पटेल पुरानी परम्परा गत के अनुसार गैर नृत्य का आयाेजन किया गया, जिसमें विभिन्न समाजाे के लाेग शामिल हाेते है। वही ढाेल की थाप (बन्दूक की आवाज) से गैर खेली जाती है जाे वृध्दा, युवा मे भारी उत्साह देखा गया, जिसमें बढचढ कर हिस्सा लेते है। ये पुरानी परंपरानुसार गेर नृत्य का आयोजन हर वर्ष होली से शुरु हो कर तेरस तक अलग अलग मंदिरों में खेला जाता है। फागोत्सव के तहत शुक्रवार को वाडी का श्याम मंदिर में रंग पंचमी का पर्व हषौल्लास से मनाया गया। भगवान के साथ भक्तो ने अबीर व गुलाल से होली खेली। इस अवसर पर लालावास सहित विभिन्न देवालयों में गेर नृत्य का आयोजन हुआ। आकोला में वाडी वाला श्याम देवरा व लालावास भैरुजी बावजी मंदिर पर श्रद्धालुओं ने गेर नृत्य किया। इन स्थलो पर करीब पांच क्विटंल मक्का से बनी चटपटी घुघरी का प्रसाद वितरण किया गया।