वीरधरा न्यूज़।चित्तोड़गढ़@डेस्क।
चित्तौड़गढ़। श्रमण संघीय उपप्रवर्तिनी श्री वीरकान्ता जी की सुशिष्या डाॅ. अर्पिता जी म.सा. ने शांति भवन में महत्ती धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि बारहवां पाप कलह बुरा है। यह जीव आत्मा पर कूड़े कचरे के समान है। आत्मा को पतित और मलिन बनाने वाला है। क्लेश को छोड़ देने से तत्काल ही आत्मा में शांति और सुख का आविर्भाव हो जाता है। यह नकद धर्म है तत्क्षण फल देने वाला है। अतः कलह, क्लेश को त्याग देना ही श्रेयस्कर है।
उन्होंने कहा कि धन सम्पति, जमीन, जायदाद आदि के लिए समाज परिवार में कलह अक्सर देखा जाता है परन्तु धर्म, सम्प्रदायों, पंथों के नाम पर भी कलह देखा जाता है। यदि पानी ही आग लगाने वाला बन जाये तो क्या प्रतिकार बचेगा। दूसरी वस्तुओं के लिए उत्पन्न होने वाले कलह को धर्मशानत करता है। ऐसी स्थिति में यदि धर्म के नाम पर भी कलह और अशांति उत्पन्न हो जाये तो संसार में शांति के लिए स्थान कहां रह जायेगा। धर्म तो शीतलता प्रदान करने वाला निर्मल जल है जो लोग उसे आग की ज्वाला में परिवर्तित कर देते हैं, वे धर्म के शत्रु है। ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिये। न दिगम्बर में मोक्ष है, न श्वेताम्बर न मूर्तिपूजक में मोक्ष है, मोक्ष तो कषायों से मुक्ति में है। धर्म के नाम पर कलह के जो अड्डे रोपते है। वे स्वार्थ सिद्धि भले ही कर ले पर आत्म सिद्धि प्राप्त नहीं कर सकते। धर्म कलह कशाय में नहीं वरन् शांति, समभाव और क्षमा में है।
पौराणिक दृष्टान्त से उन्होंने बताया कि कैकई के कलह से सब प्रकार से सुखी परिवार दुःखी हो गया। परन्तु राम ने उदारता कप परिचय देते हुए त्याग का उदाहरण संसार के समक्ष रख दिया और गृहकलह को समाप्त कर दिया, क्योंकि वे साधारण पुरुष नहीं पुरुषोत्तम थे। कलह के कारण ही जयचन्द और पृथ्वीराज में फूट हुई परिणाम यह हुआ कि बहादुर पृथ्वीराज के साथ भारतीय स्वाधीनता गौरी के हाथों गुलाम हो गई। सब से भारत गुलाम हो गया है। कौणिक और विहल्ल कुमार के कलह ने लाखों सैनिकों का संहार कर दिया – हार देवा ने उ़ा लिया और भेखिक का असाधारण हाथी आग में जलकर भस्म हो गया। रावण और विभीषण के कलह से स्वर्णमयी लंका का नाश हो गया, रावण का भी अंत हुआ। उन्होंने कहा कि ऐसे सैंकड़ों लौकिक उदाहरणों से इतिहास भरा पड़ा है। कलह और क्लेश से आत्मा मलिन हो जाती है – सास, बहु, देवरानी, जेठानी, श्वसुर, दामाद, भाई-भाई समधी-समधी एक दूसरे के शत्रु बन जाते हैं। इसलिए कलह करना छोड़ दो। संचालन ऋषभ सुराणा ने किया।
शांति भवन में भाई बहन का सजोड़े जाप आज
शांति भवन में रक्षाबन्धन के अवसर पर 11 अगस्त को भाई-बहन के सजोड़े ‘‘उवसग्गहर’’ मंत्र के जाप का आयोजन है। ड्रेस कोड – बहन पिंक, भाई श्वेत वस्त्र
14 अगस्त नन्हें मुन्ने बच्चों की देशभक्ति गीतों पर नृत्य प्रतियोगिता रखी गई है। रिहर्सल 12 अगस्त को 3 बजे शांति भवन में होगी।
अखण्ड नवकार महामंत्री के 12 घंटे के जाप पारसमल, सीए राहुल सिरोहिया की ओर से शांति भवन, सेंती में प्रातः 7ः15 से सायं 7ः15 बजे तक रहेंगे।