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“कोरोना भीड़ में नही भक्त में आता है”, ये दोगलापन कोरोना कर रहा या हमारे राजनेता?

वीरधरा न्यूज़।चित्तौड़गढ़@डेस्क


जिला हो या प्रदेश या देश जहा देखो वहाँ बड़ी बड़ी सभाएं, रैलियां, ओर नेताओ के महा आयोजन हो रहे लेकिन वहाँ कोरोना नही पहुचता, कोरोना आता है तो या तो भक्तों में जहा वो मन्दिर दर्शन करने जाता है या फिर शादी और अंतिम संस्कार में, क्योकि शायद देश का कोरोना जान गया है या उसे सरकारों द्वारा समझाया गया है कि उसे कहा जाना है और कहा नही, उसे भी पता है कि नेताओ की सभा मे तो भीड़ आती है वहा मै कुचल दिया जाऊंगा मुझे तो भक्ति में डूबे भक्त के पास जाना है और गम में डूबे परिवार के पास जाना है और अगर खुशी की तरफ रुख करे तो बस कम पहुच वाले लोगो की शादियों तक पहुच सकता है।
आखिर कब का मन मे सवाल चल रहा कि क्या हमारे देश के नेता अपनी राजनीति के पीछे इतने अंधे हो गए कि आमजन के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है, एक तरफ तो कोरोना कोरोना के नाम पर लोगो को डराया जा रहा है और दूसरी तरफ बसे भर भर कर लोगो को बुलाया जा रहा है, आखिर ये सब क्या है? क्या देश का कानून इसे नही देख रहा? क्या इन नेताओं के इस दोगलेपन पर रोक नही लगनी चाइये? ओर अगर कोरोना कुछ नही तो फिर आमजन पर रोक क्यो? ओर अगर कोरोना वास्तम में घातक है तो रैलियों, सभाओं पर रोक क्यो नही, आखिर उसमे शामिल होने वाले भी तो इंसान ही है, फिर इस तरह दोहरी राजनीति क्यो हो रही देश मे, क्या हमारे देश के न्यायालय को इस ओर कदम नही उठाना चाइये, एक तरफ तो करोड़ो खर्च कर लोगो को कोरोना के प्रति जागरूक किया जा रहा है, सुबह उठकर फोन लगाने से लेकर रात को सोने तक कोरोना कोरोना ओर सिर्फ कोरोना, वही दूसरी ओर यही नेता करोड़ो खर्च कर भीड़ जुटा सभाएं, रैलियां कर रहे ऐसा क्यो?।
एक मामला हाल ही में चित्तौड़गढ़ जिले में भी सामने आया मात्रिकुण्डिया जहा हमारे प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत आये थे उनकी सभा मे हजारो की संख्या में लोग एकत्र हुए जिले सहित अन्य जगहों से भी लोगों को बुलाया गया, क्या इस दौरान कोरोना छुट्टी पर था और वही मात्रिकुण्डिया में अभी महाशिवरात्रि पर दर्शन पर भी प्रसासन ने रोक लगा दी और हवाला दिया कोरोना का तो ऐसा क्यो, क्या 8 दिन पहले सभा मे कोरोना नही था, आखिर उस समय भी तो प्रसासन मोजुद था उस समय रोक नही ओर भक्तों पर रोक ये कैसा दोगलापन???
बात कोंग्रेस या भाजपा की नही हो रही बात यहाँ सिर्फ एक तरफ भीड़ जुटाने की तो दूसरी तरफ आमजन पर रोक लगाने की हो रही है।
क्योकि भाजपा की भी बैठकों, सभाओं में कोरोना गाइडलाइंस की पालना होती नही दिख रही।
आज देश के नेताओ से उन्ही का वोटर पूछ रहा है कि आखिर हमारे साथ भेदभाव क्यो, वोटर कह रहा हमारे साथ इस बार भी वही दोगलापन हो रहा जो चुनावो में होता है कि चुनाव के समय तो नेता वोटरों के धोक देते है और फिर 5 साल वोटर नेताओ के पांव पकड़ते नजर आते है।
आख़िर हमारे देश की राजनीति कहा जा रही है, ओर प्रसासन भी लगातार राजनीति के दबाव में ही कार्य कर रहा है, कब देश के हालात सुधरेंगे, ओर कब ये बड़े बड़े दावे करने वाले सुधरेंगे!!

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