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दौसा-आज भी जीवित है संयुक्त परिवार की परम्पराये यही परिवार है एक आदर्श उदाहरण।

 

वीरधरा न्यूज। लालसोट @श्री महेश कुमार गुप्ता।

दौसा। जिले के लालसोट उपखण्ड के अजबपुरा गांव मे एकांकी परिवारों के बढ़ते चलन से परे हट कर आज भी जीवित है, संयुक्त परिवार की परम्पराये, आदर्श व मर्यादाये। लालसोट से 10 किलोमीटर पश्चिम दिशा मे कोथून रोड पर बड़कापाडा स्थित दिल्ली बॉम्बे ओद्योगिक कोरिडोर के इंटरचेंज के पास मे बसा 400 वर्ष पुराना एक छोटा सा गांव अजबपुरा जिसकी स्थापना क़ीमव्दन्तियो के अनुसार अजबसिंह नाम के व्यक्ति ने की इसलिए गांव का नाम पड़ा अजबपुरा। अजबपुरा मे महेश दाधीच का पांच भाइयों का 29 सदस्यों का संयुक्त परिवार आज भी चार पीढ़ियों को एकता के सूत्र मे पिरोये हुये है जो आस पास के इलाके मे अनुकरणीय आदर्श उदाहरण है, परिवार के अपने नियम है जिनका पालन करना प्रत्येक सदस्य की जिम्मेदारी बनती है। सारे परिवार का आय व्यय का लेखा जोका बड़े भाई के हाथों मे है। आज भी इस भौतिकता वादी व एकांकी युग मे एक चूले पर खाना बनता है। परिवार के सभी सदस्य मिलजुल कर ऐसे रहते है जैसे राम राज्य की परिकल्पना साकार होती हो, महिलाओ का अपनत्व तो अद्वितीय है, मानो सगी बहिने एक जगह रहती हो परिवार मे अशांति व अविश्वास का कोई स्थान नही, एक का सुख सब का सुख, एक का दुख सब का दुख, ऐसा अपनत्व एक दूसरे के प्रति समर्पण व त्याग का बेजोड़ संगम जिसको कोरोना काल जैसी भयानक समस्याएं भी इस संगम को विचलित नही कर सकी यही संयुक्त परिवारों की सबसे बड़ी ताकत होती है जहाँ सबकी भावनाओं को एक छत के निचे समझने व समाधन का सब को अवसर मिलता है परिवार के सभी सदस्यों को अपनी बात रखने का अधिकार है किसी भी सदस्य पर अधिकार थोपे नही जाते बल्कि मर्यादा स्वावलम्बन ऒर स्व कर्तव्यों को समझने के प्रति कर्तव्य परायणता के सिद्धांतो को आत्मसात करने का बोध करवाया जाता है। परिवार के सभी सदस्यों का एक ही सकल्प है की हमारा सयुंक्त परिवार आगे बढ़े ऒर लोगों का आदर्श बन सबको एक साथ रहने, एक साथ चलने, एक साथ सोचने, एक साथ बैठने का संदेश दे। “संघे शक्ति कलौ युगे ” सगठन मे ही शक्ति होती है बिखरने के बाद परिवार का कोई अस्तित्व शेष नही रह जाता है। सबकी अपनी अपनी जिम्मेदारियां तय है जो सूर्योदय की पहली किरण के साथ शुरू हो कर सूर्यास्त तक अनवरत चलती रहती है। परिवार की सम्पतियों मे बटबाटा व अलगाव क्या होता है किसी भी सदस्य ने न देखा ऒर न अब तक जाना इतने सदस्य एक साथ रहकर एक दूसरे का सम्मान मर्यादा व संस्कारो का बराबर सम्मान किया जाता है। परिवार की बहुओं को परिवार मे बेटियों के समान दर्जा मिलता है युवा पीढ़ी संस्कारो से पोसित है। रामगोपाल, कैलाश, सुरेश, महेश, राजेश सहित पाचो भाइयों मे सबसे बड़े रामगोपाल दाधीच है जिनके निर्देशन मे परिवार का आदर्श संचालन होता है। सभी एक साथ बैठ कर भोजन करते है। परिवार मे महत्वकागसा को कोई जगह नही मतदान करना हो या कही एक साथ चलने का काम हो समूह बना कर निकलते है। बाजार का काम हो या रिस्तेदारी मे जाना हो तो कभी अकेले नही जाते कोइन कोई भाई साथ अवश्य होता है। सच्चे मायने मे संयुक्त परिवार की सही परिकल्पना लिए एक छत के निचे कम ज्यादा संसाधनों के साथ हसमुख प्यार भरी भावनाओं के साथ एक साथ रहना ही सच्चा परिवार कह लाता है जो एक आदर्श होता है। महेश दाधीच का परिवार चाहे राष्ट्रीय पर्व, समाजिक सरोकार के राष्ट्रीय अभियान, मतदाता जागृति अभियान, समाजिक सेवा, पर्यावरण संरक्षण, पशु पक्षीयो की सेवा का काम हो अपनी सकारात्मक भूमिका अदा करता रहता है l संयुक्त परिवार व बागवानी के क्षेत्र मे दाधीच की अपनी एक अलग पहचान है जो लोगों को एक नई प्रेरणा देती है।गांव की राजस्व सीमाएं संवासा, चौडियावास, लखानपुर, चिमनपुरा, तलावगांव, शिवसिंहपुरा आदि ग्रामपंचायतो से लगी हुई है। राजस्व क्षेत्रफल 465 हेक्टेयर मे फैला है, जिसमे शिक्षा, स्वास्थ्य रक्षा, रल्वे सहित विभिन्न विभागो मे गांव के युवा अपनी सेवा दे रहे है। साक्षरता मे भी आज गांव बहुत आगे है तो महिला साक्षरता पुरुषो से अधिक है साथ ही महिलाये भी राजकीय सेवा का हिस्सा बन समाज सेवा कर रही है। गांव मे 400 साल पुराना प्राचीन भगवान सीताराम जी का मंदिर है जो सबकी आस्था का मुख्य केंद्र है। भैरव, हनुमानजी, माताजी शिव व प्रेत राज का प्राचीन मंदिर भी विद्यमान है। गांव मे ब्रह्मण, महाजन, लुहार, नाई,राणा, धोबी, बैरवा नाथ, राजपूत, मीणा व मुस्लिम समाज सहित सभी समाजो के लोग आपसी भाईचारे के साथ मिलजुल कर रहते है। सर्वाधिक जनसख्या मीणा समुदाय की है। कहा जाता है की डाडरवाल मीणा समाज के पांच भाइयों ने यहां आकर पांच गांव बसाये थे, जिनमे लखानपुर, बड़कापाडा, अजबपुरा, शिवसिंहपुरा ऒर बुडला इसलिए इन पाचो गावों का मीणा समाज एक गौत्र के होने के कारण भाई कहलाते है राजकीय संस्थान के नाम पर मात्र एक प्राथमिक विद्यालय है जो वर्षो से कर्मोन्नत होने का इंतजार कर रही है ढाणी मे एक समुदायक भवन है l इस गावं ने सरपंच व प्रधान भी दिया है। श्री राधेश्ययाम महाजन गांव से पहले सरपंच बने व इनकी पत्नी शुसीला देवी महाजन लालसोट की प्रधान भी बनी। गांव मे जन्मे बड़कापाडा निवासी ईश्वर लाल मीणा का भी क्षेत्रीय रजनीति मे कोई सानी नही गांव मे सार्वजनिक शौचालय व पीने के पानी की व्यवस्था की आज भी दरकार है लोग टेंकरो से पानी लाकर पीने को मजबूर है।

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