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तीन दिवसीय चित्तौड़गढ़ साहित्य उत्सव का शुभारंभ साहित्य मानवीय अभिव्यक्ति का सर्वोत्तम माध्यम:जिला कलक्टर।

 

वीरधरा न्यूज़। चित्तौडग़ढ़@डेस्क।

चित्तौड़गढ़। साहित्य, संस्कृति और कला के अनुठे संगम के साथ चित्तौड़गढ़ के पहले लिटरेचर फेस्टिवल का उद्घाटन सोमवार को जिला कलेक्टर आलोक रंजन के मुख्य आतिथ्य में हुआ। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री कल्ला जी वैदिक विश्वविद्यालय निम्बाहेडा के कुलाधिपति कैलाश मुंदडा थे वही अध्यक्षता यूथ मूवमेंट राजस्थान के संरक्षक अनिल सक्सेना ने की।
मुख्य अतिथि पद सें संबोधित करते हुए जिला कलक्टर आलोक रंजन ने कहा कि साहित्य मानवीय अभिव्यक्ति का सर्वोतम माध्यम है और अच्छे मनुष्य बनने के लिए अच्छे साहित्य का अध्ययन अपरिहार्य है। उन्होने कहा कि चित्तौड़गढ़ की वीर और साहित्यिक धरा पर इस प्रकार के आयोजन नई पीढ़ी के व्यक्तित्व विकास का माध्यम बनेंगें। आयोजन में उपस्थित युवाओं से मुखातिब होते हुए जिला कलेक्टर ने कहा कि पुस्तक संस्कृति का पुनर्जीवित होना सोशल मीडिया के दौर में सुखद अहसास है। जीवन में अध्ययन के लिए शॉर्टकट अपनाने से सूचना तो मिल सकती है पर ज्ञान,अनुभव और विस्तृत अध्ययन के लिए पुस्तके सबसे बेहतर माध्यम है। जिला कलेक्टर ने साहित्य उत्सव में लगी विभिन्न स्टालों पर जाकर पुस्तक प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।
कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि श्री कल्ला जी वैदिक विश्वविद्यालय निंबाहेड़ा के कुलाधिपति कैलाश मुंदडा ने कहा कि राष्ट्र की उन्नति में समृद्ध भाषा का योगदान महत्वपूर्ण है और संस्कृत भाषा ने इस संदर्भ में अपनी महती भूमिका का निर्वहन बेखुबी किया है। मुंदडा ने भाषा की महत्ता को प्रतिपादित करते हुए कहा कि जिस समय पश्चिम की दुनिया पशुवत दिनचर्या से जीवन यापन कर रही थी उस समय विश्व गुरु भारत अपने समृद्ध साहित्य के बल पर अध्यात्म और वैज्ञानिक विचारधारा को मूर्तरूप दे रहा था।
कार्यक्रम में यूथ मूवमेंट राजस्थान के संरक्षक एवं साहित्यकार अनिल सक्सेना ने चित्तौड़गढ़ साहित्य उत्सव के शुभारंभ की घोषणा की।
कार्यक्रम में यूथ मूवमेंट राजस्थान के संस्थापक अध्यक्ष शाश्वत सक्सेना ने स्वागत उद्बोधन देते हुए कहा कि युवाओं को साहित्य से जोड़कर देश की संस्कृति को बढ़ावा देना साहित्य उत्सव के आयोजन का मुख्य उद्देश्य है। कार्यक्रम में शांति सक्सेना ने साहित्य उत्सव की रूपरेखा एवं विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी प्रदान की।
मंच संचालन शकुंतला सरूपरिया ने किया। उद्घाटन सत्र के बाद भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर के द्वारा भवाई नृत्य की आकर्षक प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम में राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर के सचिव एवं कार्यक्रम नोडल अधिकारी बसंत सिंह सोलंकी सहित विभिन्न विद्यालय के विद्यार्थी, स्काउट गाइड के छात्र-छात्रा एवं शहर के गणमान्य नागरिक व साहित्य प्रेमी उपस्थित रहें।

मीडिया में जवाबदेही और गंभीरता हो:डॉ. आचार्य

साहित्य उत्सव के प्रथम सत्र नए दौर की पत्रकारिता, चुनौतियां एवं संभावनाएं की अध्यक्षता करते हुए मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के पत्रकारिता संकाय के विभागाध्यक्ष डॉ. कुंजन आचार्य ने कहा कि तकनीक ने मीडिया को विकल्प तो दिए है, पर मीडिया की जवाबदेही में कही ना कही कमी महसुस होती है। सोशल मीडिया विश्वसनीयता को लेकर सवालों के घेरे में है और तथ्यों की प्रमाणिकता के साथ प्रस्तुतिकरण ही इसका एक मात्र विकल्प है। इस सत्र में स्वतंत्र पत्रकार भुवनेश व्यास, अनिल सक्सेना, व्याख्याता विकास अग्रवाल, पत्रकारिता से जुड़े पवन पटवारी ने भी पत्रकारिता के विभिन्न आयामों को लेकर उपस्थित श्रोताओं से सीधा संवाद किया।

मंगलवार को आयोजित होने वाले सत्र

मंगलवार को साहित्य उत्सव में प्रथम सत्र के रूप में हिन्दी सहित्य और हमारा समय पर विस्तार से चर्चा होगी वहीं दोपहर को भारतीय लोक कला मण्डर, उदयपुर द्वरा कटपुतली शो का आयोजन होगा। सत्रों के क्रम में पुस्तक परिचर्चा, लोक में राजस्थानी साहित्य, मेवाड़ की एतिहासिक धरोहर, सिनेमा ओटीटी व समाज पर भी बात होगी।

पुस्तक प्रदर्शनी इन संस्थाओं की भागीदारी

साहित्य उत्सव में कई संस्थाओं द्वारा पुस्तक प्रदर्शनी की स्टॉल लगाई गई। इनमें राज्य सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं के लेकर सूचना एवं जनसम्पर्क कार्यालय, राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान उदयपुर, श्रीश्री जगन्नाथ मंदिर चित्तौड़गढ़, मेवाड़ विश्व विद्यालय श्री कल्लाजी वैदिक विश्व विद्यालय निम्बाहेड़ा, बोधि प्रकाशन जयपुर, राजस्थान स्टेट आर्चर्स बीकानेर, अनुसिह प्रकाशन उदयपुर एवं लोक कला मण्डल उदयपुर सहित अन्य संस्थाएं सम्मिलित रही।

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