वीरधरा न्यूज़।चित्तौडग़ढ़@डेस्क।
चित्तौड़गढ़।मोटरयान दुर्घटना दावा अधिकरण के न्यायाधीश अरुण जैन ने अपने एक महत्वपूर्ण क्लेम प्रार्थना पत्र में प्रार्थीगणों को क्षतिपूर्ति राशि दिलाए जाने का आदेश पारित किया।
मामले के अनुसार द्वारका साउथ वेस्ट दिल्ली निवासी प्रार्थीया सुमन खोवाल व उनके बच्चों के द्वारा अधिवक्ता योगेश व्यास के जरिए क्लेम प्रार्थना पत्र माननीय अधिकरण के समक्ष पेश कर बताया कि दिनांक 9 अप्रैल 2018 को घायल प्रार्थीया के पति गगन सिंह सुबह 7:45 बजे के लगभग अपने साथी कैलाश चंद्र के साथ मरेवड़ा (भीलवाड़ा) गांव से चारभुजा जी मोटरसाइकिल नंबर आरजे 30 -3M -7202 पर जा रहे थे और दुर्घटना के वक्त मृतक ने हेलमेट भी पहन रखा था और उक्त मोटरसाइकिल ज्योहीं छापली मालजी का छपरा के पास नेशनल हाईवे नंबर 8 पर पहुंची की सामने से आते हुए ट्रेलर नंबर आरजे 52 GA-2318 को उसका चालक तेज गति गफलत एवं लापरवाही पूर्वक चलाते हुए लाया और रॉन्ग साइड में आकर मृतक की मोटरसाइकिल की टक्कर मार दी जिससे मृतक के शरीर पर कई गंभीर चोटें आई और मृतक कोमा में चला गया तथा दुर्घटना होने के बाद दुर्घटना स्थल से मृतक को देवगढ़ हॉस्पिटल व उसके बाद हालत सीरियस होने से राजनगर व उदयपुर हॉस्पिटल ले जाया गया जहां घायल प्रार्थी आईसीयू में भर्ती रहा और उसे बराबर वेंटिलेटर पर रखा गया उसके बाद भी घायल प्रार्थी की हालत में सुधार नहीं होने की वजह से उसे दिल्ली रेफर कर दिया जहां उसका इलाज चला और दौरान इलाज मृतक की मृत्यु कारीत हो गई जिस पर मोटरयान दुर्घटना दावा अधिकरण चित्तौड़गढ़ में मृतक के वारिसान के द्वारा क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त करने बाबत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किए और अपने क्लेम प्रार्थना पत्र में बताया कि वक्त दुर्घटना उनके पति गगन सिंह की उम्र 47 वर्ष थी उनकी इस गंभीर दुर्घटना में मृत्यु हुई और मृतक वक्त दुर्घटना हिमाचल सूरी जी चिकित्सालय चारभुजा जी तहसील गढ़बोर में नेत्र सहायक के पद पर कार्यरत था जिसकी इस दुर्घटना में मृत्यु होने पर परिवार के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है जिस पर क्षतिपूर्ति राशि प्रार्थीगणों को दिलाई जावे।
प्रार्थीगण के द्वारा क्लेम प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने के बाद विपक्षी बीमा कंपनी ने माननीय अधिकरण के समक्ष जवाब पेश कर बताया कि उक्त दुर्घटना स्वयं मृतक की गलती से कारीत हुई है इसमें ट्रेलर चालक का किसी प्रकार से कोई योगदान नहीं रहा है और वक्त दुर्घटना स्वयं मृतक को मोटरसाइकिल चलाना नहीं आता था और यह दुर्घटना स्वयं मृतक की गलती से ही कारीत हुई है इसलिए बीमा कंपनी का क्षतिपूर्ति राशि की अदायगी का कोई दायित्व नहीं बनता है।
अधिकरण के समक्ष दौराने बहस प्रार्थीगण के अधिवक्ता योगेश व्यास का यह तर्क रहा कि उक्त दुर्घटना मैं प्रार्थी गणों ने अपने परिवार के कर्ता पुरुष को खोया है और वही उनके परिवार का एकमात्र कमाऊ पुरुष था जिसकी कमाई पर प्रार्थी गणों का खर्चा चलता था, इसके अलावा अधिकरण के समक्ष गवाह के रूप में मोटरसाइकिल पर पीछे बैठा हुआ घायल कैलाश चंद्र भी उपस्थित हुआ है जिसने अपने सशपथ बयानों में यह बताया कि उक्त दुर्घटना ट्रेलर चालक की गलती से हुई और दुर्घटना होने के बाद ट्रेलर चालक उक्त मोटरसाइकिल को लगभग 40 फीट तक घसीटते हुआ लेकर गया जिससे मृतक के काफी गंभीर चोटें तथा इस गंभीर दुर्घटना में मृतक लगभग 150 दिन तक अलग-अलग हॉस्पिटल में इलाज रत रहा और भर्ती रहकर अपना इलाज कराया और उसके पश्चात उसकी मृत्यु हो गई, इसके अलावा विपक्षी बीमा कंपनी ने किसी प्रकार की ऐसी कोई साक्ष्य माननीय अधिकरण के समक्ष प्रस्तुत नहीं की है जिससे कि यह साबित होता हो कि यह दुर्घटना स्वयं मृतक की गलती से कारीत हुई है प्रार्थीगण के अधिवक्ता के तर्को से सहमत होते हुए माननीय अधिकरण ने उक्त दुर्घटना ट्रेलर चालक की गलती से होना माना और उसकी गलती मानते हुए इस गंभीर दुर्घटना में गगन सिंह की मृत्यु होने पर उनके वारिसान को क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त करने का अधिकारी माना।
इस पर माननीय अधिकरण के द्वारा प्रकरण संख्या 405/ 2019 जो कि मृतक गगन सिंह की मृत्यु होने से उसके परिवार के द्वारा प्रस्तुत किया गया था उसमें 41,15,723 रूपये, की क्षतिपूर्ति राशि विपक्षी बीमा कंपनी से पाने का अधिकारी माना और उक्त क्षतिपूर्ति राशि पर 21 अक्टूबर 2019 तारीख दावा पेश करने की से लेकर ता अदायगी तक 6% वार्षिक ब्याज भी प्रार्थीगणों को पाने का अधिकारी माना जिससे उक्त समस्त क्षतिपूर्ति राशि मय ब्याज के 49 लाख 39 हजार 853 रुपए बनती है जो कि प्रार्थीगण विपक्षी बीमा कंपनी से पाने के अधिकारी है।