डुंगला-भारतीय अफीम किसान संघ ने अपनी मांगों को लेकर राष्ट्रपति के नाम उपखंड अधिकारी को सौंपा ज्ञापन।
वीरधरा न्यूज़।डुंगला@डेस्क।
डूंगला। नई अफीम नीति को लेकर अफीम काश्तकारो एक बैठक का आयोजन डूंगला में किया। जानकारी में अफीम किसान समिति अध्यक्ष द्वारा बताया गया कि अफीम नीति किसानों के साथ देश हित को ध्यान में रखकर पर्याप्त संशोधन के साथ तेयार होनी चाहिए। अफीम नीति में संशोधन के विषय को लेकर पूर्व में भी भारतीय किसान संघ, अफीम संघर्ष समिति द्वारा वित्त राज्य मंत्री को अपनी मांगों युक्त ज्ञापन सौंपा गया था। उसके बाद फिर से वित्त मंत्री महोदया को 20 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा गया। इसी क्रम में आज अफीम किसान संघ ने एक ज्ञापन राष्ट्रपति के नाम उपखंड अधिकारी डूंगला को सौपा गया। जिसमें विभिन्न किसानों द्वारा विभिन्न प्रकार की समस्याओं के समाधान के लिए मांग की गई। जिसमे मुख्य रूप से मार्फिन का नियम न्याय संगत हो, 1990 से अभी तक के वर्षों में कांटे अथवा रोके गए पट्टे 0 औसत आधार पर बहाल हो, समान आरी के पट्टे जारी हो, सीपीएस पद्धति बंद हो, 8/ 29 धारा देश के कानून से समाप्त हो, डोडे चुरे को नारकोटिक्स विभाग से निकालकर आबकारी विभाग को सौंपा जाए, डोडा चूरा नष्टीकरण पर किसानों को मुआवजा दिया जाए, अफीम उत्पादों का आयात बंद हो, तोली जाने वाली अफीम की कीमत बढ़ाई जाए, 2 प्लाटों में बुवाई को चालू रखा जावे, अफीम नीति अगस्त में घोषित की जाए, अफीम नीति बनाते समय अफीम किसान संघ की उपस्थिति को अनिवार्य की जाए। इन सभी मांगों के अलावा किसान संघ अफीम संघर्ष समिति का कहना है कि इस वर्ष जून 2022 में नारकोटिक्स विभाग की कोटा डीएनसी द्वारा नई अफीम नीति में सुझाव हेतु बैठक में भारतीय किसान संघ को नहीं बुलाना बड़े खेद का विषय रहा। इस वर्ष बड़े बदलाव की किसानों की अपेक्षा के साथ मांग है कि इन सभी बिंदुओं पर सहानुभूति पूर्वक विचार करके ही नई नीति बनाई जाए ताकि इतने वर्षों से अनावश्यक पीड़ा का सामना कर रहे किसानों को राहत मिल सके। किसान संघ ने कहा कि तहसील स्तर पर धरना प्रदर्शन के साथ ज्ञापन के बाद जिला मुख्यालय पर भी धरना प्रदर्शन कर दिल्ली में भी पहुंच कर ज्ञापन देने की योजना किसानों की है। समय रहते किसानों की पीड़ा दूर की जाए, किसानों का यह भी कहना है कि जब तीन कृषि कानून किसानों के लिए अच्छे थे। उन्हें भी कुछ लोगों के विरोध से सरकार ने वापिस ले लिए और हमारी वास्तविक पीड़ा को दूर करने की बात कर रहे हैं तो हमारी बात नहीं सुनना हमें आंदोलन की ओर अग्रसर करना जैसा लगता है। इस कार्यक्रम में क्षेत्र के सभी संघ के पदाधिकारियों ने एवं अफीम किसानों ने भाग लिया।