वीरधरा न्यूज़।राशमी@श्री कैलाश चन्द्र सेरसिया।
राशमी। क्षेत्र के कस्बा पहुंना में युग प्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती शासन श्री मुनि रविंद्र कुमार जी एवं मुनि श्री अतुल कुमार जी तेरापंथ भवन में प्रवासित है।जहां दिनांक 22 मार्च को रात्रि कालीन प्रवचनों की श्रृंखला में मुनिश्री अतुल कुमार जी ने सज्जनता एवं दुर्जनता प्रकट करता एक दृष्टांत सुनाते हुए कहा कि दुर्जन हमेशा दूसरों के दामन पर कीचड़ उछाल कर या उनके घरों को अपवित्र बना कर अपना घर बनाने की सोचता है या फिर निंदा कर के पद पाने को तत्पर रहता है। परंतु वह सज्जन जैसी आब नहीं ला पाता, परिवार में प्रसन्नता और सुख उपजाने के सहज तरीकें यही है कि जब तक संतान स्वयं निर्णय लेने योग्य एवं व्यवहार में परिपक्व न बन जाए। तब तक उन्हें माता-पिता के निर्देशन एवं आज्ञा में रहना चाहिए। माता-पिता अपने बच्चों को उचित अनुचित का फर्क बताये ताकि उनकी राह भटके नहीं लेकिन जब संतान स्वालंबी बन जाए तब माता पिता को ज्यादा हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। वे छोटी छोटी बातों पर ध्यान देंगे तो परिवार व समाज वाले उनके साथ अनुचित व तिरस्कार पूर्ण व्यवहार करेंगे। किसी भी संस्था, संगठन या परिवार में सभी सदस्य समान नहीं होते है उन्हे आगे बढ़ाने के लिए टांग की बजाए हाथ खींचना चाहिए। समय तीव्र गति से बदल रहा है,आप घर-परिवार में रहते हो, सब कुछ अपने मन के अनुकूल नहीं होता। बेटा बहू घर संभालने योग्य हो गये हो तो अपने अधिकारों और व्यवस्थाओं से फ्री होने लग जाओ और अब बात-बात पर कचबच न करे और नहीं उन्हें अलग करे अपितु वे कुल का नाम रोशन करते हुए आपकी इज्जत को बनाए रखे ऐसा आशीष प्रदान करे, इससे आपका सम्मान और पहचान भी बनी रहेगी। तेरापंथ धर्म में गुरुदेव तुलसी समाज के लिए एक प्रेरणा का विषय है जिन्होंने जीते जी अपने पद का विसर्जन करके धर्मसंघ का नेतृत्व अपने उत्तराधिकारी को सौंप दिया। मुनिश्री ने कहा निंदा करते रहने से मार मिलती है, प्रशंसा करने से माल मिलता है। “सौ में से निन्यानवें व्यक्ति एक दूसरे की निंदा करते हैं। ऐसे व्यक्ति निंदा पर ही जीया करते है। निंदक से घबराने की जरूरत नहीं, सावधान उनसे रहना जो प्रशंसा किया करते है।