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जयपुर-ग्रामीण विकास अधिकारी परीक्षा- शीतकालीन अवकाश पर भी ड्यूटी देंगे शिक्षक।

वीरधरा न्यूज़।जयपुर@डेस्क।

जयपुर।प्रदेश के हजारों शिक्षक इस बार शीतकालीन अवकाश पर भी ड्यूटी देंगे। शिक्षा विभाग में कुछ दिन बाद यानी 25 दिसंबर से शीतकालीन अवकाश की शुरुआत होने जा रही है लेकिन शिक्षकों को राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से आयोजित करवाई जाने वाली ग्रामीण विकास अधिकारी परीक्षा में ड्यूटी देनी होगी। इस परीक्षा का आयोजन 27 और 28 दिसंबर को किया जाएगा जबकि शिक्षा विभाग के शिविरा कैलेंडर के मुताबिक 25 दिसंबर से 31 दिसंबर तक शीतकालीन अवकाश रहेगा।
राज्य के हजारों शिक्षक जो अन्य जिलों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं 24 दिसंबर को शाम चार बजे के बाद अपने परिवार के पास जो प्रदेश के अन्य इलाकों में रह रहे हैं के लिए रवाना होंगे लेकिन दो दिन बाद ही उन्हें मूल सेवा स्थान पर वापस आना होगा। ऐसे में यह अवकाश अब इन शिक्षकों के लिए मजाक बन कर रह जाएगा क्योंकि 27 दिसंबर से शुरू होने वाली परीक्षा में ड्यूटी देने के लिए उन्हें 26 दिसंबर की रात तक वापस आना होगा। और तो और इन ड्यूट्यिों की एवज में इन शिक्षकों को कोई अतिरिक्त अवकाश भी नहीं दिया जाएगा और उन पर घर आने और जाने का आर्थिक भार अलग से पड़ेगा।

*सिर्फ जयपुर में आठ हजार से अधिक शिक्षक देंगे ड्यूटी*

विभागीय सूत्रों के मुताबिक अगर सिर्फ जयपुर जिले की बात करें तो केवल जयपुर जिले में ही इस परीक्षा के सुचारू संचालन के लिए आठ हजार से अधिक शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जाएगी। प्रारंभिक जिला शिक्षा अधिकारी को इसका नोडल अधिकारी बनाया गया है।

*करवा चौथ और रक्षाबंधन पर भी हो चुकी हैं परीक्षा*

ऐसा पहली बार नहीं है कि कर्मचारी चयन बोर्ड ने अवकाश के दौरान प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन किया हो। इससे पूर्व करवा चौथ और रक्षाबंधन के दिन भी परीक्षा का आयोजन चयन बोर्ड ने करवाया था, जिसका शिक्षकों ने विरोध किया था लेकिन बोर्ड ने तारीख में बदलाव नहीं किया था। हालांकि शिक्षक परीक्षाओं को जनवरी में आयोजित करवाए जाने की मांग कर रहे हैं। राजस्थान शिक्षक संघ राधाकृष्णन के जयपुर जिलाध्यक्ष कैलाश चंद सैन ने मांग की है कि शिक्षक अपने शैक्षिक दायित्वों के साथ अपने पारिवारिक दायित्व भी पूरा कर सके इसे ध्यान में रखते हुए बोर्ड परीक्षा का आयोजन जनवरी में करें। साथ ही भविष्य में भी परीक्षाओं की तिथि घोषित करते समय इस बात का ध्यान रखा जाए कि इस प्रकार का अवरोध फिर से पैदा ना हो।

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