वीरधरा न्यूज़। चित्तौडग़ढ़@डेस्क।
देश का कोई भी बच्चा आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर शिक्षा प्राप्त करने से वंचित न हो, इसके लिए हम उसे निःशुल्क शिक्षा प्रदान करेंगे। यह कहना है मेवाड़ विश्वविद्यालय के चेयरमैन डॉ. अशोक कुमार गदिया का। स्वभाव से निर्मल, सरल और सहज व्यक्तित्व के धनी डॉ. अशोक कुमार गदिया पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं लेकिन उनके हृदय में शिक्षा की लौ जलती है। वह प्रत्येक नौजवान को भारतीय संस्कारों से युक्त शिक्षा प्रदान कर उसका सर्वांगीण विकास करना चाहते हैं। ताकि वह नौजवान अपने देश की मुख्यधारा से जुड़कर अपने कर्तव्यों का बखूबी निर्वाह कर सके। डॉ. गदिया का यह संकल्प अब मिशन बन गया है। देश के हर राज्य से गरीब एवं वंचित समाज का बच्चा आज चित्तौड़गढ़ स्थित मेवाड़ विश्वविद्यालय में पढ़ रहा है। इतना ही नहीं विदेशों में भी मेवाड़ विश्वविद्यालय का परचम लहरा रहा है। नाइजीरिया में मेवाड़ विश्वविद्यालय की जड़ें पुख्ता हो गई हैं। जम्मू-कश्मीर में भी मेवाड़ विश्वविद्यालय ने अपने कदम बढ़ा लिये हैं। आइये जानते हैं शिक्षा के बारे में डॉ. अशोक कुमार गदिया के विचार।
एक हजार स्कूलों में करेंगे करियर काउंसलिंग-
डॉ. गदिया ने विशेष बातचीत में बताया कि हम शुरू से ही इस लक्ष्य को लेकर चल रहे हैं कि गरीब बच्चा उच्च शिक्षा को प्राप्त करे और अपना व्यवसाय या नौकरी कर समाज एवं राष्ट्र की मुख्यधारा से जुडे। इसके लिए हम ग्रामीण परिवेश के बच्चों को पचास प्रतिशत अनुदान पर शिक्षा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण परिवेश के बच्चे यह नहीं जानते कि उन्हें स्कूली शिक्षा के बाद क्या करना चाहिए। इसलिए हम एक अभियान शुरू कर रहे हैं और इसके तहत जिले एवं अन्य स्थानों के करीब एक हजार स्कूलों में कॅरियर काउन्सलिंग कर उन्हें अच्छा भविष्य किसमें है, इसकी जानकारी भी देंगे। उन्होंने बताया कि जिले का कोई भी बच्चा अगर गरीब है और वह उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहता है तो हम उसे निःशुल्क शिक्षा प्रदान करेंगे, लेकिन उसे इस बात का प्रमाण अपने यहां के सरपंच एवं जाति पंचायत के मुखिया से लाना होगा।
तो हम बनेंगे विश्वगुरु-
गदिया ने कहा कि आज देश में सबसे बड़ी चुनौती युवाओं को उच्च शिक्षा देकर रोजगार मुहैया कराना है। सरकार को विभिन्न योजनाएं संचालित करने के साथ इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए। अगर हमारा युवा शिक्षित हो देश की मुख्यधारा से जुड़ेगा तो विश्व की आर्थिक स्थिति में हम मजबूत होंगे। ऐसा होता है तो एक बार फिर भारत विश्वगुरु बनेगा।
देशभर के ग्रामीण परिवेश के बच्चे ले रहे शिक्षा-
गदिया ने बताया कि उनके विश्वविद्यालय में कश्मीर, नागालैंड, असम, बिहार, छत्तीसगढ़ सहित कई पिछडे़ प्रदेशों के ग्रामीण परिवेश के बच्चों को पचास प्रतिशत या उससे अधिक छात्रवृत्ति देकर यहां पर विभिन्न संकायों में उच्च शिक्षा प्रदान की जा रही है।
गरीब व पिछड़े वर्ग की लड़कियों को विशेष शिक्षा
गरीब व पिछड़े वर्ग की लड़कियों के लिए चित्तौड़गढ़ राजस्थान में लड़कियों का एक कॉलेज मेवाड़ गर्ल्स कॉलेज के नाम से संचालित किया हुआ है। इसमें एक हजार लड़कियों को शिक्षा के लिए भारतीय संस्कार की शिक्षा तो दी ही जाती है, उन्हें स्वरोजगार से भी जोड़ने के लिए शिक्षित किया जाता है। सभी लड़कियां गरीब व पिछड़े तबके से ताल्लुक रखती हैं। इन्हें रोजगारपरक शिक्षा देने का क्रम लगातार जारी है। यहां पर लड़कियों को आधुनिक शिक्षा एवं स्वरोजगार से जोड़ा जाता है।
पढ़ाने एवं रोजगार दिलाने की योजना
मेवाड़ विश्वविद्यालय में स्किल डवलपमेंट सेंटर बनाया है। इसमें 78 प्रकार के कोर्स शुरू किए हैं। इसमें 200 घंटे का प्रशिक्षण व रोजगार भी दिलाने का काम किया जाता है। इसके लिए बच्चों से कोई फीस नहीं ली जाती, बल्कि कोर्स समाप्ति पर 2 हजार रुपए का वजीफा अलग से दिया जाता है। यह सब काम भारत सरकार की रोजगारपरक योजनाओं के तहत किया जा रहा है।
शिक्षा के जरिये राष्ट्र निर्माण व समाज सुधार
मेवाड़ विश्वविद्यालय में देशभक्ति व समाज सुधार के तरीके बच्चों को स्वाभाविक रूप से सिखाए जाते हैं। इसके लिए विभिन्न महापुरुषों की जयंतियां व राष्ट्रीय उत्सवों को हर्षोल्लास से मनाते हैं। इनमें सभी की भागीदारी समान रूप से रहती है। इसके पीछे मकसद यह है कि बच्चों में राष्ट्र के महापुरुषों के प्रति आदर का भाव पैदा हो। वे उनके बताए सद्मार्ग पर चलें। सामाजिक विषयों पर सेमिनार, कार्यशालाएं एवं नाटकों के आयोजन भी समय-समय पर कराए जाते हैं ताकि सामाजिक विषयों के प्रति बच्चों में संवेदनशीलता पैदा हो। समाज के प्रति कुछ अच्छा कर गुजरने का जज्बा पैदा हो। इसके अलावा विभिन्न खेलकूद के कार्यक्रमों के माध्यम से भी उन्हें राष्ट्रभक्ति सिखाई जाती है।
बच्चों के लिए प्रशिक्षण एवं रोजगार की व्यवस्था-
मेवाड़ विश्वविद्यालय के हर कोर्स में बच्चे को 21 से 45 दिन के प्रशिक्षण के लिए विभिन्न प्रतिष्ठानों में भेजा जाता है। यह प्रशिक्षण भारत सरकार से मान्यता प्राप्त किसी अच्छी संस्था में लेना होता है। इसके अलावा विभिन्न कंपनियों को प्लेसमेंट के लिए बुलाया जाता है। अंतिम सेमेस्टर में बच्चों को कम से कम 6 महीने के लिए किसी इंडस्ट्री में इंर्टर्नशिप करनी होती है। ऐसा सफलतापूर्वक करने पर बच्चा स्वयं नौकरी लग जाता है। ऐसा हमारा अनुभव है।