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सवाईमाधोपुर-किसान आंदोलन को लेकर सवाई माधोपुर मुख्यालय पर पुलिस अधिकारी को ज्ञापन सोंपा।

वीरधरा न्यूज़।बौंली/ बामनवास@ श्री श्रद्धा ओम त्रिवेदी।


सवाईमाधोपुर।आज 16 फरवरी को केंद्र सरकार की गौर पूंजीवादी जन विरोधी नीतियों के खिलाफ मेहनतकश का आवाम के अधिकारों को रक्षा के लिए 16 फरवरी को ग्रामीण भारत बंद आम हड़ताल को सफल बनाने मांगों को लेकर आज जिला मुख्यालय सवाई माधोपुर जिला कलेक्ट्रेट परिसर में किसान सभा जिला अध्यक्ष कांजी मीणा के नेतृत्व बृजेश सिओ को संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय आवाहन की निम्न मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा।

किसान सभा जिलाध्यक्ष कांजी मीणा ने बताया कि हमारा देश गंभीर आर्थिक सामाजिक व राजनीतिक संकट से गुजर रहा है एक तरफ हमारे संविधान लोकतंत्र संघीय ढांचे और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर हमले किए जा रहे हैं हमारे सदियों से चले आ रहे आपसी प्यार परस्पर सम्मान और भाईचारे को खत्म किया जा रहा है तो दूसरी तरफ ऐसी आर्थिक नीतियां लाई जा रही है तो दूसरी तरफ ऐसी आर्थिक नीतियां लाई जा रही है, जिनसे हमारी खेती किसानी उद्योग धंधे सब गहरे संकट में हैं और बर्बादी के कगार पर है जिसका सीधा बुरा प्रभाव उनसे जुड़ी 80% ग्रामीण जनता पर पड़ रहा है जिनकी आजीवीका उससे जुड़ी हुई है महंगाई बेरोजगारी सातवें आसमान पर है सार्वजनिक क्षेत्र रेल बैंक बंदरगाह हवाई अड्डा जहाज सब बेचे जा रहे हैं, पेट्रोल डीजल खाद बीज कृषि यंत्र सब महंगे दामों पर मिल रहे हैं खेती की लागत बढ़ रही है और किसान की उपज के दाम नहीं मिल रहे हैं केंद्र सरकार की कृषि आयात निर्यात नीति पूरी तरह से किसान विरोधी है प्राकृतिक आपदा फसलों को लगने वाली बीमारी जैसे इस साल गुलाबी सुडी से नरमा कपास को हुआ नुकसान, पशुओं को बीमारी जैसे गायों को लंबी की बीमारी किसान व पशुपालक की कमर तोड़ देते हैं। प्रधानमंत्री फसल योजना व अन्य बीमा पॉलिसी किसान हित में कम बीमा कंपनियों का मुनाफा देने में काम कर रही है इन किसान विरोधी नीतियों की मार से किसानों पर कर्ज का बोझ बढ़ रहा है कृषि संकट का विपरीत प्रभाव खेती किसानी से जुड़े खेती हर मजदूर में अनेक ग्रामीण जनता पर पड़ रहा है और वह आत्महत्या करने को मजबूर है अन्य आर्थिक नीतियों का परिणाम था कि केंद्र सरकार तीन कल कृषि कानून को लेकर आई जिसका देश के किसानों ने आम अवाम के सहयोग से तीव्र विरोध किया और ऐतिहासिक किसान आंदोलन के दबाव में भाजपा सरकार को तीनों काले कानून वापस लेने पड़े तीनों कई कानून तो वापस ले लिए लेकिन कोऑपरेटिव घरों के पक्ष की नीतियां लगातार जारी रही है किसान आंदोलन की समाप्ति पर केंद्र सरकार द्वारा दिए लिखित आश्वासन को केंद्र सरकार ने लागू नहीं किया, किसानों पर बने मुकदमे वापस लेने लखीमपुर खीरी के देशों के खिलाफ कार्रवाई करने के अलावा किसानों की उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य की खरीद की गारंटी का कानून बनाना शामिल था जिस पर कोई अमल नहीं करके केंद्र सरकार ने वादा खिलाफी की है अभी स्थिति यह है कि केंद्र सरकार कई जिंसों का समर्थन मूल्य तो तय करती है लेकिन सब की खरीद नहीं करती कुछ दिल तो समर्थन मूल्य के दायरे में ही नहीं है जैसे गवार मोठ आदि जिन फसलों की खरीद की स्वीकृति प्रदान की जाती है उनका भी कुल उत्पादन का 25% खरीद का कोठा तय किया जाता है जोकी पूरा नहीं किया जाता गत वर्ष राजस्थान में यदि अकेले चने और सरसों की तरह सुधा खरीद पंजीकृत किसानों से कर ली जाती तो किसानों को 740 करोड रुपए ज्यादा मिलते किसानों को चना 1100 रुपए और सरसों 950 रुपए कम में बेचनी पड़ी यही हाल इस वर्ष भीहोने वाला है अभी नई सरसों बाजार में आई नहीं की भाव समर्थन मूल्य से ₹1000 कम हो गए हैं और मंदी के चलते 40% तेल मिल बंद हो गई है यह सब पोमाईल अन्य खाद तेल के आयात शुल्क में भारी छूट देने से हो रहा है ऐसे ही अन्य जिंसों के आयात निर्यात को लेकर भी आने को उदाहरण है जो केंद्र सरकार की नीति के कारण फसलों के भाव गिरने का कारण बनते हैं इसलिए किसान अपनी फसल के लाभकारी समर्थन मूल्य की गारंटी का कानून बनाने की मांग करते हैं दूसरा किसानों एवं खेती हर मजदूर की कर्ज माफी का सवाल है जिनके चलते उनकी जमीन कुर्क होती है और वह आत्महत्या करने को मजबूर होते हैं अन्य आर्थिक नीतियों का परिणाम था कि केंद्र सरकार तीन काली कृषि कानून लेकर आई जिसका देश के किसानों ने आम आयाम के सहयोग से तीव्र विरोध किया और ऐतिहासिक किसान आंदोलन के दबाव में भाजपा सरकार को तीनों काले कानून वापस लेने पड़े तीनों काले कानून तो वापस ले लिए लेकिन कोऑपरेटिव घरानों के पक्ष की नीतियां लगाता जारी है किसान आंदोलन की समाप्ति पर केंद्र सरकार द्वारा दिए लिखित आश्वासन को केंद्र सरकार ने लागू नहीं किया जिनमें किसानों पर से बने मुकदमे वापस लेने लखीमपुर खीरी के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के अलावा किसानों की उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य की खरीद की गारंटी का कानून बनाना शामिल था जिस पर कोई अमल नहीं करके केंद्र सरकार ने वादा खिलाफी की है अभी स्थिति यह है कि केंद्र सरकार कई जिंसों का समर्थन मूल्य तो तय करती है लेकिन सबकी खरीद नहीं करती कुछ जींस तो समर्थन मूल्य के दायरे में ही नहीं है जैसे गवार मोठ आदि जिन फसलों की खरीद की स्वीकृति प्रदान की जाती है उनका भी कुल उत्पादन का 25% खरीद का कोटा तय किया जाता है जॉकी पूरा नहीं किया जाता गत वर्ष राजस्थान में यदि अकेले चने और सरसों की तरह सुधा खरीद पंजीकृत किसानों से कर ली जाती तो किसानों को 740 करोड रुपए ज्यादा मिलते किसानों को चना ₹1100 और सरसों 950 रुपए काम में बेचनी पड़ी यही हाल इस वर्ष होने वाला है अभी नई सरसों बाजार में आई नहीं की भाव समर्थन मूल्य से ₹1000 कम हो गए हैं और मंडी के चल तजे 40% तेल मिल बंद हो गए हैं यह सब पोमाईल वह अन्य खाद तेल के आयात शुल्क में भारी छूट देने से हो रहा है ऐसे ही अन्य जिंसों के आयात निर्यात को लेकर भी आने को उदाहरण है जो केंद्र सरकार की नीति के कारण फसलों के भाव गिरने का कारण बनते हैं इसलिए किसान अपनी फसल के लाभकारी समर्थन मूल्य की गारंटी का कानून बनाने की मांग करते हैं दूसरा किसानों एवं खेतिहर मजदूरों की कर्ज माफी का सवाल है जिनके चलते उनकी जमीन ने कर्क होती है और वह आत्महत्या करने को मजबूर होते हैं किसानों की मुख्य मांगे सभी फसलों की गांधी सुधा खरीद के लिए स्वामीनाथन किसान आयोग की सिफारसी टू प्लस 50 प्रतिशत के आधार पर कानून बनाया जाए किसानो खेती हर मजदूर के कर्ज माफ किया जाए लखीमपुर खीरी कांड के दोषी केंद्रीय मंत्री अजय टोनी के खिलाफ कार्रवाई की जाए उसे मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए चार श्रमिक विरोधी कई कानून तथा आईपीसी में के संशोधन रद्द किया जाए नौकरियों में ठेका प्रथा बंद हो और न्यूनतम वेतन 26000 रुपए मासिक तय किया जाए भूमि अधिग्रहण कानून 2013 लागू किया जाए आदिवासी क्षेत्र के निवासियों के जमीन घर के पट्टे दिए जाएं वेदखलिया बंद हो तथा उनके जल जंगल और जमीन के अधिकार सुरक्षित किया जाए किसने खेती हर मजदूर तथा ग्रामीण दस्तकारों को सामाजिक सुरक्षा के तहत ₹10000 मासिक पेंशन दी जाए प्रधानमंत्री आवास योजना राशि 5 लख रुपए की जाए फसल बीमा योजना में बदलाव करके किसान हित में किया जाए इनके अतिरिक्त मेहनतकश आवाम के हक अधिकार जिनमें मौलिक अधिकार के रूप में रोजगार की गारंटी का कानून शिक्षा के व्यवसायिक करण एवं निजीकरण सार्वजनिक क्षेत्र के बेचान एवं निजीकरण पर रोक और मनरेगा में 200 दिन काम वह ₹600 मजदूरी आदि शामिल है वह कई 9 सूत्री मांगों को लेकर 16 फरवरी को ग्रामीण भारतबंद एवं आम हड़ताल का आवाहन है राज्य सरकार व केंद्र सरकार 9 सूत्री मांगों का समाधान तुरंत करें ज्ञापन देने वालों के नाम किसान सभा ब्लॉक अध्यक्ष विजय राम मीणा सवाई माधोपुर चौथ का बरवाड़ा तहसील अध्यक्ष रामस्वरूप मीणा शंकर लाल मीणा कावड़ नेता जी रामजीलाल प्रजापत जोला वह क्षेत्र के कई किसान कार्यकर्ता मौजूद रहे शांतिपूर्ण तरीके से भारत बंद को सफल बनाया।

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