कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कार्यक्रम में महिला सरपंचों के ज्ञापन पर हस्ताक्षर तो थे लेकिन एक भी सरपँच नही रही मोजुद, बना चर्चा का विषय।
वीरधरा न्यूज़।चित्तौड़गढ़@ डेस्क।
चुनावो में जहा महिला के लिए सीटों का आरक्षण देकर महिलाओ को सरपँच तो बनाया जाता है लेकिन उनकी निरंतर उपेक्षा हो रही है।
गौरतलब है कि बुधवार को जिले के सरपंचों ने राज्य सरकार के विरुद्ध अधिकार छीनने को लेकर आदेश की प्रतियां जलाई ओर प्रदर्शन करते हुए मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में खास बात यह रही कि कई महिला सरपंचों की ज्ञापन पर सील ओर साइन थे लेकिन यह सिर्फ कागजों तक समित रहे और इस दौरान एक भी महिला सरपँच वहाँ मोजुद नही रही जो कि चर्चा का विषय बन गया।
बता दे कि कुछ समय पहले ही राज्य सरकार ने एक आदेश भी जारी किया जिसमें बताया कि जिस किसी भी पंचायत में महिला सरपँच की जगह अगर उनके प्रतिनिधि के रूप में उनके पति या रिश्तेदार कार्य करते है तो यह महिला सरपँच की उपेक्षा होगी और उन पर कानूनी कार्यवाही होगी, इसे लेकर हर सचिव को आदेश भेजे गए और इस बारे में सूचना हेतु निर्देशित किया लेकिन इनकी मिलीभगत के चलते आज दिन तक एक भी ग्राम पंचायत से उनके प्रतिनिधि नही हटे ओर यही कारण है कि जिलेभर की लगभग सभी पंचायतों में महिला सरपंचों की जगह उनके पति या प्रतिनिधि काम कर रहे है।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या जिले के जिम्मेदार अधिकारी इस पर संज्ञान लेंगे या ऐसे ही लगातार महिला सरपंचों की अनदेखी ओर उनके अधिकारों का हनन होता रहेगा, अब देखना यह है कि आखिर पूर्व की भांति आगे भी जिले के जिम्मेदार अधिकारी ऐसे ही महिला सरपंचों के ज्ञापन उनके प्रतिनिधियों के हाथों से लेते रहेंगे या अब इस पर किसी तरह की कार्यवाही को अंजाम देंगे।