वीरधरा न्यूज़।चित्तौड़गढ़@ श्री अभियंता अनिल सुखवाल।
चित्तौड़गढ़। ई-मित्र सेवा संस्थान चित्तौड़गढ़ के बैनर तले ई-मित्र संचालको ने राज्य मंत्री सुरेंद्र सिंह जाड़ावत को ज्ञापन सौंप कर राज्य सरकार से मांग की हैं कि राजस्थान में 79 हजार 95 ई-मित्र वर्तमान में संचालित है तथा चित्तौड़गढ़ जिले में 1844 ई-मित्र संचालित है। जिनके परिवार की आजीविका का एक मात्र साधन ई-मित्र हैं। जिस कारण सभी ई-मित्र संचालकों को दुकान खर्चों के बाद परिवार को चलाना बड़ा मुश्किल हो रहा हैं, एवं भारी आर्थिक समस्याओं से गुजरना पड़ रहा हैं। जिन्हें देखते हुए चित्तौड़गढ़ ई-मित्र सेवा संस्थान ने सरकार से अपनी समस्याओं के समाधान हेतु ज्ञापन देते हुए कहा है कि हमारी पहली मांग अनुसार ई मित्र सेवाओं से सम्बन्धित जितने भी कार्यालय है उनको समय पर कार्य के लिए पाबन्द किया जाये जिससे आम जनता का कार्य समय पर पूर्ण हो सके और जनता का विश्वास ई-मित्र व सरकार पर बना रहे।
ज्ञापन में दूसरी मांग पर कहा गया कि ई-मित्र कियोस्क धारक को सरकार से किसी भी प्रकार का इन्सेन्टिव प्राप्त नहीं होता है। जबकि दरे निर्धारण का कार्य सरकार द्वारा किया जा रहा है। ई-मित्र कियोस्क को 1 आवेदन करने में लगभग 30 से 35 मिनट का समय लगता है उसके लिए मात्र 50 रुपए की राशि निर्धारित है। यदि दिन भर 12 घंटे भी काम करे तो मात्र 600 रुपए प्राप्त हो सकते है। उसमें से भी निजी कम्पनीयों का कमीशन, लाईट खर्च, दूकान किराया, नेट खर्च इत्यादि भी भुगतान करना होता है। 90 प्रतिशत ई मित्र संचालकों का मासिक कमीशन 2000 रूपए से कम आता है, जो उनकी सेवाओं के मुकाबले कहीं गुणा कम है इसलिये ई-मित्र संचालकों का प्रत्येक ऑनलाईन आवेदन पर शुल्क 150 रुपये निर्धारित किया जावे। ताकी कमीशन राशि में बढ़ोतरी हो सके। कुछ फ्री सेवाएं जैसे जन आधार, विकलांगता आदि जिनमें आवेदन करते समय कार्य अधिक रहता है उनका कमीशन बढा कर 150 रूपए किया जाये और जितनी भी फ्री सेवाएं है उनका कमीशन भी बढाया जाये।
तीसरी मांग अनुसार ई-मित्र संचालक को न्यूनतम मानदेय प्रदान किया जावें।
चौथी मांग में ई-मित्र संचालक के साथ कार्य के दौरान यदि कोई आपदा में घटना या दुर्घटना कारित होती है तो उसे राज्य व केन्द्र सरकार से उचित मुआवजा व सहयोग प्रदान किया जावे व प्रत्येक ई-मित्र संचालक को आर.जी.एच.एस. में शामिल किया जावे व ई-मित्र संचालक को मेडिकल की सुविधा राज्य सरकार से प्रदान की जावें।
पांचवी मांग अनुसार ई-मित्र कियोस्को को केवल ई-मित्र पर ही मिलने वाली सर्विस के लिए ही जिसमे ई मित्र से टोकन कटता है उन्ही सर्विस के लिए ही रेट ई मित्र रेट लिस्ट में अंकन किया जावे तथा ई-मित्र के अलावा और कोई कार्य जैसे स्कैनिंग, फोटो कोपी, लेमिनेशन, व अन्य फोर्म जिनके टोकन ई मित्र से नहीं कटते है उनका भुगतान ई-मित्र की राशि से अलग किया जावे।
छठी मांग अनुसार अगर सरकार द्वारा भविष्य में ई-मित्र संचालक कि ड्युटी सरकारी कैम्पों में लगाई जाती है जिस पर 1500 रुपये का मानदेय व 500 रुपये यात्रा भत्ता दिया जावे क्योंकि ई-मित्र संचालक को मशीनरी साथ में लेकर जानी पड़ती है जिसके लिए वाहन किराया आदि करना पड़ता है। या ई-मित्र संचालक को उपयुक्त मशीनरी की व्यवस्था सरकार द्वारा करवाई जाये।
सातवीं मांग अनुसार ई-मित्र में चलने वाली प्रत्येक विभागीय वेबसाईट को बिना किसी सूचना के कभी भी अपडेट किया जाता है जिससे पुरा ई मित्र सिस्टम डाउन हो जाता है जिस कारण ई मित्र पर कोई भी कार्य नहीं हो पाता है और इसका पुरा नुकसान ई मित्र संचालक को उठाना पड़ता है और ग्राहक को किसी भी तरह का जवाब भी नहीं दे पाता है। अतः सर्विस अपडेशन के लिए माह के कुछ दिन निश्चित कर उन्हीं दिनो मे अपडेशन का किये किया जाये ताकी बाकी दिनों में ई-मित्र पर सही से कार्य किया जा सके व पूर्व में समस्त ई-मित्रो को सूचित कर बेवसाईट पर अपडेशन किया जावे।
आठवीं मांग में ई-मित्र संचालक गणों को राज्य व केन्द्र सरकार की ऋण सम्बन्धित निकलने वाली प्रत्येक योजना में प्राथमिकता दी जावे एवं सी सी और ओ डी लिमिट प्रदान की जाये।
नवी मांग अनुसार ई-मित्र पर कॉ-बेनर रेट लिस्ट न होने पर विभाग द्वारा ई-मित्र संचालकों के हजारों रुपये की पेनाल्टी लगाई जाती है एवं अनावश्यक बिना ठोस सबूत के अन्य शिकायत पर ई-मित्र संचालक का लाईसेंस निरस्त कर दिया जाता है। उक्त शिकायत की सफाई भी ई-मित्र वालो की नही सुनी जाती है इसलिये रेट लिस्ट निर्धारण निरस्त किया जावें।
ज्ञापन सौंपते समय रविन्द्र कोठारी, टींकु धामानी, अंकित दाधिच, सनाउल्ला खान, पंकज माली, सुरेशचन्द्र, बाबु भास्कर, नारायण तेली, पीयुष अग्रवाल, बसंत कुमार लौहार, साजिद खान, पवन कुमार जैन, जाहिद मोहम्मद, राजेश सोनी, नंदकिशोर लोहार, सुरेश मीणा आदि मौजूद थे।