वीरधरा न्यूज़।चित्तौड़गढ़@डेस्क।
चित्तौड़गढ़।श्री केसरी सिंह बारहठ पैनोरमा की ज़मीन आवंटित के लिए हेरिटेज कंजर्वेशन प्रमोशन अथॉरिटी चेयरमैन सुरेंद्र सिंह जाड़ावत शाहपुरा पहुंचे जहा सेवादल ब्लॉक अध्यक्ष जयंत जीनगर व नगर अध्यक्ष अमन पौंड्रिक ने स्वागत किया। एसडीएम सुनीता यादव, तहसीलदार रामकिशोर जांगिड़, नगर पालिका अध्यक्ष रघुनंदन सोनी, बारहठ समिति के सचिव कैलाश सिंह जाड़ावत चित्तौड़गढ़ नगरपालिका पार्षद शैलेंद्र सिंह शक्तावत, पूर्व जिला महासचिव अनुसूचित जाति नवरतन जीनगर सहित साथ रहे उन्होने पैनोरमा हेतु भूमि चिन्हित करने के लिए 5 से 7 स्थान पर जमीन का निरक्षण किया तत्पश्चात नगर पालिका के समीप भूमि का चयन किया जिसकी आवंटन प्रक्रिया शुरू हो जायेगी।
उल्लेखनीय है की भीलवाडा जिले के शाहपूरा के राजस्थान में क्रांति की अलख जगाने वालों में अग्रणी क्रांतिकारी और कवि केसरी सिंह बारहठ के पैनोरमा निर्माण हेतु मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 4 करोड़ की राशि की स्वीकृती प्रदान की है जिसकी भूमि चिन्हित करने के लिए धरोहर प्राधिकरण बोर्ड के अध्यक्ष ने स्थानीय अधिकारियों के साथ भूमि का निरीक्षण किया केसर सिंह बारहठ और उनके और उनके परिवार वालों का योगदान कभी नहीं भूलाया जा सकता है। उनके भाई जोरावर सिंह और पुत्र प्रताप सिंह बारहठ ने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। केसरी सिंह ने सन् 1903 में मेवाड़ के महाराणा फतेहसिंह को दिल्ली दरबार में जाने से रोका। वायसराय लार्ड कर्जन ने ब्रिटेन के राजा एडवर्ड सप्तम के राज्यारोहण के उपलक्ष में दिल्ली में भारतीय राजाओं का एक बहुत बड़ा दरबार आयोजित किया। इसमें राजस्थान के समस्त राजाओं ने भाग लेने की स्वीकृति दे दी। परन्तु स्वाभिमानी मेवाड़ के महाराणा फतेह सिंह ने अनिच्छा प्रकट की। किंतु लार्ड कर्जन के अत्यंत विनम्र एवं चाटुकार दरबारियों के दबाव में उन्होंने भी उस दरबार में उपस्थित होना स्वीकार कर लिया, तब मेवाड़ के महाराणा को दिल्ली दरबार में जाने से रोकने के लिए केसरीसिंह ने अपनी काव्य प्रतिभा का परिचय देते हुए उसी समय महाराणा के नाम ‘चेतावणी रा चूंग्ट्या’ नामक तेरह सोरठों की रचना की। जिन्हें पढ़कर महाराणा अत्यधिक प्रभावित हुए और ‘दिल्ली दरबार’ में नहीं जाने का निश्चय किया। वह दिल्ली पहुंचे पर समारोह में शामिल नहीं हुए।