पत्रकार श्री राहुल भारद्वाज की रिपोर्ट
वीरधरा न्यूज़।जयपुर
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कोरोना संक्रमण से सर्वाधिक प्रभावित प्रदेश के 8 जिला मुख्यालयों में रात्रिकालीन कर्फ्यू लगाने का निर्णय राज्य सरकार ने इस महामारी से प्रदेशवासियों के जीवन की रक्षा करने के महत्वपूर्ण उद्देश्य से किया है। संबंधित जिला कलक्टरों, पुलिस कमिश्नर एवं पुलिस अधीक्षकों की यह जिम्मेदारी है कि वे कोविड-19 संक्रमण रोकने के लिए नाइट कर्फ्यू, शादी-ब्याह में अधिकतम 100 लोगों के शामिल होने, सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क लगाने सहित अन्य दिशा-निर्देशों की जमीनी स्तर पर सख्ती से पालना सुनिश्चित कराएं।
गहलोत रविवार दोपहर को मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित वीडियो कांफ्रेंस में शनिवार रात को लिए गए महत्वपूर्ण निर्णयों की पालना को लेकर कोर ग्रुप एवं संबंधित जिला प्रशासन के साथ समीक्षा कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंस से जुड़े इन आठ जिलों के संभागीय आयुक्त, पुलिस कमिश्नर, पुलिस महानिरीक्षक, जिला कलक्टर, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य, सीएमएचओ तथा निजी अस्पतालों में कोरोना रोगियों के बेहतर प्रबंधन के लिए नियुक्त नोडल अधिकारियों से कहा कि वे जीवन बचाने के लिए अपनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को पूरी संवेदनशीलता एवं तत्परता से निभाएं।
समारोह में 100 से अधिक लोग होने पर जुर्माना राशि 25 हजार
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऎसे समय में जबकि कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है, विवाह समारोहों में अनुमत सीमा से अधिक संख्या में लोगों का जुटना संक्रमण के खतरे को बढ़ा रहा है। गहलोत ने इन आयोजनों में 100 से अधिक व्यक्तियों के एकत्रित होने पर लगने वाली जुर्माना राशि को 10 हजार से बढ़ाकर 25 हजार रूपए करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारी बाजारों में जाकर यह सुनिश्चित करें कि वहां हैल्थ प्रोटोकॉल की अनिवार्य रूप से पालना हो। उन्होंने निर्देश दिए कि विवाह कार्यक्रमों में निर्धारित संख्या से अधिक लोग नहीं जुटें इसके लिए अधिकारी विवाह तिथि से पहले आयोजकों से समझाइश करें। आयोजकों द्वारा विवाह-समारोह की वीडियोग्राफी करने को अनिवार्य किया जाए। साथ ही अधिक लोगों के एकत्र होने की सूचना या अंदेशा होने पर पुलिस एवं प्रशासन भी वीडियोग्राफी कराए।
सरकार का उद्देश्य जीवन बचाना
मुख्यमंत्री ने कहा कि मास्क न लगाने पर भी जुर्माना राशि बढ़ाकर 500 रूपए की गई है। जुर्माना राशि बढ़ाने तथा वीडियोग्राफी के इन निर्णयों के पीछे सरकार का मकसद राशि वसूलना या समारोह में व्यवधान डालना नहीं बल्कि भीड़ के एकत्र होने एवं मास्क न पहनने के कारण फैलने वाले कोरोना संक्रमण से लोगों को बचाना है। उन्होंने कहा कि बीते दिनों त्यौहारी सीजन, चुनाव, सर्दी के मौसम तथा विवाह आयोजनों के कारण प्रदेश में कोरोना संक्रमित रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। साथ ही रिकवरी रेट के बेहतर होने तथा मृत्यु दर के नियंत्रित होने के कारण लोग मास्क लगाने तथा सोशल डिस्टेंसिंग प्रोटोकॉल की पालना में गंभीर लापरवाही बरत रहे हैं। हमें ऎसी स्थिति को रोकना होगा।
नोडल अधिकारी सेतु की भूमिका निभाएं
गहलोत ने कहा कि निजी अस्पतालों में कोरोना रोगियों के उपचार के लिए नियुक्त नोडल अधिकारियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। ये अधिकारी मरीजों, अस्पतालों तथा राज्य सरकार के बीच सेतु का काम करें। साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि मरीजों को निजी अस्पतालों में इलाज के दौरान कोई परेशानी न हो। गहलोत ने कोरोना के विरूद्ध जन आन्दोलन को और अधिक प्रभावी बनाने तथा 181 हैल्पलाइन का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करने के भी निर्देश दिए।
उल्लेखनीय है कि शनिवार रात को राज्य सरकार ने प्रदेश में कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए मास्क नहीं पहनने पर जुर्माना राशि 200 रूपए से बढ़ाकर 500 रूपए करने, जयपुर, जोधपुर, कोटा, बीकानेर, उदयपुर, अजमेर, अलवर तथा भीलवाड़ा जिला मुख्यालय की नगरीय सीमा में रात्रि 8 बजे से प्रातः 6 बजे तक नाइट कर्फ्यू के साथ ही इनके 100 से अधिक कर्मचारियों वाले कार्यालयों में कार्मिकों की उपस्थिति 75 प्रतिशत तक सीमित रखने, कोविड का इलाज कर रहे निजी अस्पतालों में भी रोगी की मांग पर सरकारी कोविड अस्पतालों की तरह ही डे-केयर उपचार की अनुमति राज्य सरकार द्वारा निर्धारित दरों पर करने तथा आवश्यकता होने पर निजी मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों को डेडिकेटेड कोविड अस्पताल बनाने के लिए अधिगृहित करने जैसे महत्वपूर्ण निर्णय किए थे।
वीडियो कांफ्रेंस के दौरान चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि शहरी इलाकों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी भीड़ को एकत्रित होने से रोकने और मास्क पहनने के नियम की कड़ाई से पालना करवाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा विशेषज्ञों ने नवम्बर माह के अंत तक कोरोना की दूसरी लहर की आशंका पहले ही व्यक्त कर दी थी। अब हमें और अधिक समन्वित प्रयासों से संक्रमण को फैलने से रोकना होगा।
मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने कहा कि अकाल-सूखे तथा चुनाव प्रबंधन के समय जिला प्रशासन जिस मुस्तैदी से काम करता है, उसी भावना के साथ हमें राज्य सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों को फील्ड में लागू कराना है।
पुलिस महानिदेशक एमएल लाठर ने कहा कि पुलिस अधिकारी लोगों को रात्रिकालीन कर्फ्यू तथा हैल्थ प्रोटोकॉल की पालना के लिए समझाइश के जरिए प्रोत्साहित करें। आवश्यकता पड़ने पर सख्ती भी अपनाई जाए।
शासन सचिव चिकित्सा शिक्षा वैभव गालरिया, शासन सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सिद्धार्थ महाजन, गृह सचिव एनएल मीणा, स्वायत्त शासन निदेशक दीपक नंदी, राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति राजाबाबू पंवार, एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य सुधीर भंडारी, वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. वीरेन्द्र सिंह सहित संभागीय आयुक्तों, पुलिस कमिश्नर, पुलिस महानिरीक्षकों, जिला कलक्टरों, पुलिस अधीक्षकों, चिकित्सा अधिकारियों ने भी विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर सूचना एवं जनसम्पर्क आयुक्त महेन्द्र सोनी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।