वीरधरा न्यूज़।भीलवाड़ा@ श्री पंकज आडवाणी।
जोधपुर। जब भूतपूर्व सरकारी कर्मचारी यह कहने लग जाए कि हम भूखे मर रहे हैं और जिन्होंने अपनी आधी ज़िंदगी इस विश्वविद्यालय के लिए निवेश कर दी और फिर उन्हें ही अपनी हक की पेंशन के पैसे हर माह भिखारियों की तरह माँगने पड़े इससे बड़ी शर्म कि बात क्या हो सकती हैं इस तानाशाह सरकार के लिए। यह कोई प्रथम बार नही जो इस तरह का वाक्या घटित हुआ हो। इन कर्मचारियों की यह हर माह की पीड़ा है और जब यह विश्वविद्यालय प्रशासन की इन हरकतों से कंठ तक भर गए तब उन्होंने मजबूरन विरोध का यह कदम उठाया।
यह उनका संवैधानिक अधिकार है विरोध करने का और जब हक की आवाज उठाओ तो लाठी, खाकी के दम पर सेवानिवृत कर्मचारियों पर ये अत्याचार कहाँ तक न्यायोचित है??
विदित रहे की विश्वविद्यालय प्रशासन विश्वविद्यालय की जमीन बेचने पर आमादा है। पहले भी जमीन बेचने की नाकाम कोशिश कर चुका है और फिर अब वापिस यही कोशिश। JNVU विश्वविद्यालय पूरे पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है, जिसमे छात्र दूर दूराज के क्षेत्रों से पढ़ने आते है। भविष्य में विश्वविद्यालय के विस्तार को धार देने की बजाय विश्वविद्यालय प्रशासन इसको खत्म करने की कोशिश कर रहा है। पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रविन्द्र सिंह भाटी की गिरफ्तारी को लेकर
पूरे प्रदेश भर के युवाओं में रोष है। जल्द से जल्द ससम्मान रिहा नहीं किया गया तो युवाओं द्वारा प्रदेश व्यापी आंदोलन किया जाएगा।
यह है मुख्य मांगे
समय रहते विश्वविद्यालय में वापस शैक्षणिक माहौल बनावे, छात्रों से झूठे मुकदमे वापस लिए जाएँ, सेवानिवृत्त कर्मचारियों कि सभी माँगे मानी जाए और उनके साथ हुए दुर्व्यवहार के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन लिखित में माफी मांगे, विश्वविद्यालय में व्याप्त विभिन्न अनियमित्ताओं, प्रशासनिक एवँ वित्तीय घोटालों कि CBI जांच हो और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा हो। वरना मजबूरन छात्रशक्ति को आंदोलनात्मक कदम उठाना पड़ेगा, जिसकी जिम्मेदारी भी विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी।
इनका कहना है
क्या स्वयँ को गांधीवादी कहने वाले राज्य के मुखिया को इन बुजुर्गों कि आवाज़ नहीं सुनाई दे रहीं, इनका दुःख नहीं दिख रहा, क्या इनके हक के लिए लड़ना गलत हैं?
अंतिम साँस तक इन लोगों के हक के लिए लड़ूँगा।
– रविंद्र सिंह भाटी (पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष, JNVU)