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सीकर-तीन छोटे बच्चों के साथ पाटन थाने के चक्कर लगा रही है पीड़ित महिला, थानेदार ने कहा बार-बार परेशान करोगी तो अरेस्ट करके बन्द कर दूंगा।

वीरधरा न्यूज़।नीमकाथाना@श्री मनोज कुमार मीणा

सीकर/नीमकाथाना। क्षेत्र की उप तहसील पाटन क्षेत्र में पाटन पुलिस थाने की तानाशाही का मामला फ़िर सामने आया है।
जानकारी अनुसार पाटन के नजदीक ग्राम न्योराणा निवासी महिला सरिता देवी ने बताया कि हमारे परिवार में जमीन का मामला है जिस पर हमने स्टे भी लगा रखा है लेकिन इसी महीने 15 नवंबर की तारीख को जब मैं गांव से आई तो जमीन में मौजूद पेड़ कटे हुए मिले जिस पर मैंने परिवार में मेरे जेठ व उनके लड़कों से बात की तो मेरे साथ जेठ ओर उसके परिवार के लोगो ने मारपीट की।
7 नवंबर को भी पाटन थाने में मारपीट के मामले मे लिखित में शिकायत दी जिस पर आज दिन तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। मारपीट के बाद सरिता देवी ने कहा कि जब 15 नवंबर को मामले की रिपोर्ट दर्ज करवाने पाटन थाने में गई तो उन्होंने मुझसे लिखित में शिकायत ले ली लेकिन दूसरे दिन भी मेरे साथ मारपीट हुई फिर मैं वापस 16 नवंबर को सुबह करीब 8 बजे पाटन थाने में अपने तीन बच्चे को लेकर गई गई तो पाटन थानेदार ने मुझसे कहा कि यहां बार बार में आकर परेशान करेगी तो अरेस्ट करके अंदर थाने मे बंद कर दूंगा।
इन तीन छोटे-छोटे बच्चों के साथ महिला न्याय के लिए दर-दर भटक रही है।
मामले में तहसीलदार कार्यपालक मजिस्ट्रेट के पास भी 9 जुलाई 2021 को इस्तगासा दर्ज कराया गया था
जिस पर भी मजिस्ट्रेट के आदेश के बावजूद भी आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई।
पीड़ित महिला द्वारा इतने चक्कर लगाने के बावजूद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही जिससे नीमकाथाना की शासन व्यवस्था पर सवालिया निशान लग रहा।
गौरतलब है कि यह वही पाटन पुलिस थाना है जिसमे दो भारतीय सेना के जवान, आरएसी जवान व रायपुर के युवक के साथ जमकर मारपीट की थी
और उसके बाद 5 सितंबर 2021 को नीमकाथाना के पत्रकार के साथ भी इसी पाटन थाने में जमकर मारपीट की थी।
पाटन थाने की तानाशाही की अनेक बार खबरें प्रकाशित हो चुकी है लेकिन लगता है शायद जनप्रतिनिधि सहित ऊपर तक पाटन थाने पर किसी का हाथ है इसलिए नीमकाथाना मे किसी गरीब पीड़ित असहाय की मदद नहीं हो पाती और ना ही पाटन थाना इलाके में गरीब व्यक्तियों को न्याय मिलता है।
नीमकाथाना में जनप्रतिनिधि विधायक सुरेश मोदी के राज में शासन व्यवस्था बिगड़ती नजर आ रही है लेकिन जनप्रतिनिधि तो जैसे आंख मूंद कर बैठे रहते हैं।
अब सवाल यह उठता है कि आखिर कौन सुनेगा गरीबों, पीड़ितों व असहाय की, जब प्रसासन की अपनी जिम्मेदारी पर खरा नही उतर रहा है, अब क्या इन जिम्मेदारो पर उच्चाधिकारी कार्यवाही कर पीड़ित को न्याय दिलाएंगे, ये तो समय के गर्त में है।

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