वीरधरा न्यूज़।चित्तौड़गढ़@डेस्क।
चित्तौड़गढ़। डॉ समकित मुनि की प्रवचन श्रृंखला “समकित के संग समकित की यात्रा स्ट्रेसफुल लाइफ का सोल्युशन”के क्रम में मंगलवार को खातर महल में आयोजित प्रवचन कार्यक्रम में डाक्टर समकित मुनि ने कहा कि जितेन्द्रिय,न्याय प्रिय तथा शांत व्यक्ति शुक्ल लेश्या का वैभव रखते है। भौतिक सुविधा साधन चाहे कम हो पर शुक्ल लेश्या वाले मन की शांति का आनंद पाते है। जहां अभाव हो वहां दुःख हो यह आवश्यक नहीं? अभाव के साथ अज्ञान जब जुड़ जाता है तभी दुःख का आभास होता है।
दुःख अभाव के अज्ञान से जुड़ा होता है।
नश्वरता और क्षणभंगुरता का ज्ञान हो जाने पर किसी अभाव का अज्ञान नहीं होता। ज्ञानीजन कहते है कि मन की शांति ही सबसे बड़ा वैभव होता है।अल्प ऋद्धि वाले लोगों की नील-कृष्ण-कपोत लेश्या होती है जो व्यक्ति को अशांत बनाती है।
पापी पेट का सवाल नहीं है वो तो भर ही जाता है। सवाल तो पेटी का हो जो कभी भर ही नहीं पाती? निन्यानवे के चक्कर में ही चौरासी का फंदा गले पड़ा रहता है।
संतुष्टि की शिक्षा आवश्यक है-जो मिला वह पर्याप्त है ऐसा भाव व्यक्ति को अशांत होने से बचाता है। इच्छा परिमाण की मर्यादा करके सुखी हुआ जा सकता है।
अशांत मन सदैव व्यक्ति को गलत दिशा में ले जाता है। मन को मनाने के लिये अहंकाररूपी मान को मना लेना चाहिये। किसी की सेवा करते हुए अहसान जताना नहीं चाहिये न ही शब्द बाण से ठेस पहुंचाना चाहिए।
प्रचार मंत्री सुधीर जैन ने बताया कि प्रवचन कार्यक्रम में भवान्त मुनि, साध्वी विशुद्धि म सा ,साध्वी विशाखा म सा विराजित रहे ।श्रीसंघ अध्यक्ष हस्तीमल चोरड़िया ने कहा कि
जन जन में डॉ समकित मुनि के प्रवचनों के प्रति उत्साह है व सभी वर्गों के व्यक्ति फेसबुक व यू ट्यूब पर लाइव प्रवचन का लाभ प्रतिदिन ले रहे हैं ।