पत्रकार श्री पवन अग्रवाल की रिपोर्ट
डुंगला।
पंडित अशोकदास ने बताया गया कि शरद पूर्णिमा की रात्रि को चंद्रमा की रोशनी से विशेष किरणें निकलती हैं जो कि हमारे तन एवं मन के स्वास्थ के लिए अमृत तुल्य हैं। यह किरणें दूध अथवा खीर में भी शोषित हो जाती हैं इसलिए इस दिन रात्रि को चंद्रमा की रोशनी में खीर रखकर बाद में खाने की परम्परा है, क्योंकि इस खीर को अमृतमयी खीर कहा जाता है।
श्वास (दमा-Asthma) के रोगियों हेतु इस खीर का अत्यंत महत्त्व है। इसके चलते रात्रि 12 बजे तक खीर को धवल चांदनी में रख कर औषधियां युक्त खीर को प्रशाद के रूप में वितरण किया गया । क्षेत्र के भाटोली बागरियांन झाड़सादरी नंगाखेड़ा मंगलवाड़ डूँगला बिलोदा किशनकरेरी मोरवन एल्वामाताजी शानिमराज चिकारडा के घाट वाले हनुमान मंदिर आकोला रोड स्थित हनुमान मंदिर आदि स्थानों के अलावा भी खीर का कार्यक्रम किया गया ।
इस मौके पर डॉ बनवारीलाल शर्मा ने बताया कि शरद पूर्णिमा की रात्रि में बनाई खीर स्वास रोगियों के लिए अतिउत्तम मानी गई है ये औषधियों से सम्पन्न होती है।
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