पंचायत सहायक फ्रंटलाइन वर्कर्स में शामिल नहीं हैं लेकिन कोविड वॉरियर के रूप में ड्यूटी लगाई गई है। क्षैत्र के पंचायत सहायकों का कहना है कि कोविड वॉरियर के रूप में काम करने के बाद भ्री उन्हें फ्रंट लाइन वर्कर नहीं माना है। पंचायती राज और शिक्षा विभाग के ग्राम पंचायत सहायक कार्मिक गत वर्ष मार्च के लॉकडाउन आरंभ होने से अब तक कोविड संक्रमित लोगों का सर्वे, विभिन्न प्रकार की रिपोर्ट तैयार करने, चेक पोस्ट पर ड्यूटी, नियंत्रण कक्ष की ड्यूटी, कोविड वार्ड के निगरानी दल में ड्यूटी, टीकाकरण टीम में वैक्सीनेटर और वेरिफायर के रूप में काम कर चुके हैं। इसके साथ ही चिरंजीवी योजना के प्रचार प्रसार करने और रजिस्ट्रेशन के कार्य व पंचायत के हर घर के सर्वे का काम कर रहे हैं। फ्रंट लाइन वर्कर में शामिल नहीं किए जाने से मृतक कार्मिकों के परिजनों के 50 लाख रुपए की बीमा राशि का लाभ नहीं मिलता है । संविदा कर्मियों को फ्रंट वर्कर्स मानते हुए 50 लाख तक का बीमा करवाया है, लेकिन पंचायती राज विभाग की तरफ से अभी तक कोई भी प्रस्ताव सरकार को नहीं भेजा है, इसलिए हमारी मांग है कि जल्द से जल्द विभाग सरकार को प्रस्ताव भेजा जाए। साथ ही पंचायत सहायकों ने बताया कि उन्हें 2 सौ रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मानदेय दिया जाता है जिसमें अपने परिवार को पालने के साथ फील्ड में जाने के लिए वाहन में पेट्रोल डलवाना भी होता है जो महंगाई के इस दौर में संभव नहीं है।