वीरधरा न्यूज़।बौंली/ बामनवास@ श्री श्रद्धा ओम त्रिवेदी।
बौंली।किसानो की मांग के अनुसार संभागीय स्तरीय अधिकारी व जिला कलेक्टर की मौजूदगी मे जिला प्रशासन की संयुक्त बैठक मे प्रशासन की स्वीकृती के बाद अधिकिरियो की मौजूदगी मे करीब चार माह पहले 15 नवम्बर को मोरेल बांध के गेट खोले गये थे। जानकारी के अनुसार बांध की कुल भराव क्षमता करीब 30 फिट है। लेकिन इस वर्ष बांध पूरा नही भरकर बांध के गेट खोलते समय बांध मे कुल 24.4 फिट पानी मौजूद था। विभागीय सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार बांध की मुख्य नहर से बौंली व मलारनाडूंर के करीब 55 गांवो के किसानो की कुल 12964 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित होती है। तथा दूसरी तरफ पूर्वी नहर से लालसोट व बामनवास के 28 गांवो के किसानो की कुल 6636 भूमि सिंचित होती है।
जानकारी के अनुसार मोरेल जल वितरण कमेटी के चैयरमेन कांजीलाल मीणा व किसान नेता कांजीलाल मीणा की मौजूदगी मे बांध के गेट मंगलवार दोपहर को बंद कर दिये है।
बांध पर कार्यरत विभाग के कनिष्ठ अभियंता विनोद कुमार मीणा ने बताया बांध मे गेट खोलते समय 24.5 फुट पानी मौजूद था जो अब करीब 8 फुट पानी शेष रहा है। नहर मे पानी छोडते समय हुई प्रशासनिक अधिकारियो की बैठक मे 8 फुट पानी रिजर्व रखने का निर्णय के अनुसार गेट बंद किये गये है । इस वर्ष मौजूद पानी से बांध के कमाण्ड क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली लगभग पूरी भूमि सिंचित हो चुकी है बांध मे मौजूद पानी से बांध की दोनो नहरो मे करीब 70 दिन लगातार पानी बह चुका है। बांध के पानी से नहर के आखिरी छोर तक की फसलो की सिंचाई लगभग पूरी हो चुकी है। अब नहर मे पानी नही छोडा जायेगा।
पानी नही छोडा तो गेंहू की फसलो मे हो सकता नुकसान
वही किसान सभा के जिला अध्यक्ष कांजीलाल मीणा, सहित बांध के कमाण्ड क्षेत्र के कई किसानो का कहना है कि सरसो की फसले तो सिंचित होने के बाद पक चुकी है लेकिन अभी गेंहू की फसलें पकी नही है ऐसे मे गेंहू की फसलो मे पानी की आवश्यकता है। नहर के आस पास कई खेतो मे गेंहू की फसले है इन फसलो के लिये नहर के अलावा पानी का कोई स्रोत नही है। अगर बांध से करीब पंद्रह दिन बाद एक बार नहर मे पानी छोड दिया जाये तो गेंहू की फसलो मे अंतिम सिंचाई हो सकती है तथा गेंहू की पैदावार बढ सकती है।