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500 साल बाद भी संकल्प पूरे होते है – डॉ. लक्षराज सिंह मेवाड़।  कन्नौज में महाराणा प्रताप की अश्वारोही प्रतिमा का अनावरण।

वीरधरा न्यूज। कन्नौज @ श्री रिंकू शर्मा।


कन्नौज।संकल्प तो कई लिए गये थे लेकिन जो संकल्प पूरे हुए उन्हे देखकर हम सब अभिभूत है। एक संकल्प जो 500 वर्श में अब जाकर अयोध्या में पूरा हुआ है। पूरे विश्व में सनातन को मानने वालों को अब जाकर अयोध्या में रामलला के दर्शन हो सकेंगे। संकल्प को अगर ठान लो तो समय की कोई बात नही होती है और 500 साल बाद भी वो संकल्प पूरे किये जाते है। यह क्षण इतिहास में अद्वितीय एवं अविस्मरणीय क्षण गिना जायेगा। यह बात महाराणा प्रताप के वंशज व मेवाड़ राजघराने के सदस्य डॉ. लक्षराज सिंह मेवाड़ ने रविवार दोपहर को कन्नौज में महाराणा प्रताप की अश्वारोही प्रतिमा के अनावरण के मौके पर आयोजित समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कही।

मेवाड़ राजघराने के सदस्य डॉ. लक्षराज सिंह मेवाड़ ने पण्डित नरेन्द्र मिश्र की पंक्तियों के साथ अपना उद्बोधन शुरू करते हुए कहा कि आज हालात एवं परिस्थितियां कुछ भी हो लेकिन संकल्प तो कई लिए गए थे लेकिन जो संकल्प अयोध्या में पूरे हुए उनको देखकर हम सभी अभिभूत है। उन्होने कहा कि आत्मा का समर्पण, स्वाभिमान, स्वतंत्रता षब्द को जन्म देने वाले महाराणा प्रताप की प्रतिमा का अनावरण हम सब के सौभाग्य की बात है। स्वतंत्रता की अहमियत समझने की हम लोगों की आवश्यकता है। जिन लोगों को प्रतिमा लगानी थी उन्होने प्रतिमा लगाकर अपनी जिम्मेदारी पूरी की है। अब हम सब लोगों की जिम्मेदारी प्रारंभ होती है कि हम सबके आदर्श वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के आदर्शो से शिक्षा ले। आदर्श पर चलने, सच्चाई पर चलने, सही रास्ते पर चलने की तथा आत्मा को नही बेचने की शिक्षा मिलती है। और हमें जिम्मेदारी पूर्वक इन शिक्षा को अपने जीवन में उतारना चाहिए। मेवाड़ मातृशक्ति के त्याग, तपस्या और बलिदान के कारण ही मेवाड़ आज भी मेवाड़ है। पुनः जागने की आवश्यकता है, आने वाले पीढ़ी को संस्कृति की ओर ले जाने की आवश्यकता है। अंग्रेजी संपूर्ण विश्व की संपर्क भाशा है, एक माध्यम है लेकिन संस्कृति की कीमत पर यह जरूरी नही है। अंग्रेजी ए फार एप्पल से षुरू होती है और जेड फार जीरो पर खत्म होती है जबकि हिन्दी अ से अनपढ़ से षुरू होकर ज्ञ ज्ञानी पर खत्म होती है। तरक्की सबके लिए जरूरी है लेकिन यह तरक्की संस्कृति की कीमत पर कदापि स्वीकार नही करनी चाहिए। लगभग बीस मिनिट के अपने उद्बोधन का समापन भी पण्डित नरेन्द्र मिश्र की पंक्तियों के साथ ही की।

जिला प्रमुख भूपेन्द्रसिंह बड़ौली ने मेवाड़ी भाशा में अपना संक्षिप्त उद्बोधन देते हुए कहा कि आज वर्तमान समय में राश्ट्रवाद जणी तरह मजबूत हो रहयों है, भारत विश्व रो गुरू बण रहयों है तो कटे न कटे महाराणा प्रताप रा आदर्श रा कारण ही हो रहयो है। राश्ट्रता की भावना सू ही आज आपा सबी आगा बढ़ रह्या है और संपूर्ण विश्व एक बार पाछे आपणी ओर आशा भरी आंख्या सू देख रहयो है।

महाराणा प्रताप स्मारक अभियान के अध्यक्ष चन्द्रवीर सिंह नन्नाणा ने इस मौके पर अपने उद्बोधन में कहा कि भारत के वास्तविक इतिहास को जन जन तक पहुंचाने तथा महापुरूशों एवं वीरांगनाओं के इतिहास को जन जन तक पहुंचाने के लिए समिति ने यह अभियान चलाया है। इसके तहत पूरे भारत वर्श में 100 स्मारकों एवं 500 प्रतिमाओं की स्थापना करने का लक्ष्य रखा गया है। सबसे पहला स्मारक चावण्ड में बनाया जा रहा है और कुम्भलगढ़ में महाराणा प्रताप की 151 फीट की प्रतिमा की स्थापना भी की जायेगी। अब तक 17 प्रतिमाओं की स्थापना की जा चूकी है और आज नौवी प्रतिमा का अनावरण किया जा रहा है। लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए दृढ़ संकल्प ले तो सफलता अवश्य मिलेगी। सपने किसी के भी सच नही होते है लेकिन संकल्प भी किसी के अधूरे नही रहते है। इसी संकल्प को लेकर हम आगे बढ़े है और समिति की ओर से हर माह दो प्रतिमायें देश के किसी ना किसी हिस्से में लगाई जा रही है। आने वाली पीढ़ी इन प्रतिमाओं एवं स्मारकों को देखकर उनसे प्रेरणा ले और उनके आदर्शो को जीवन में आत्मसात करें।

बेगूं विधायक एवं पूर्व जिला प्रमुख डॉ. सुरेश धाकड़ ने इस मौके पर कहा कि  आज कन्नौज में महापुरूशों का संगम हुआ है क्योंकि आज पण्डित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि है तो माँ यादे की भी जयंती है और सबसे बड़ी बात की कि आज यहां महाराणा प्रताप की प्रतिमा के अनावरण का अवसर है। उन्होने चुटकी लेते हुए कहा कि पूर्व विधायक सुरेन्द्रसिंह जाड़ावत हमारी पार्टी के नही है लेकिन उन्होने यहां अधूरी सड़क बनाई है जिसे हम पूरी करेंगे।

पूर्व विधायक सुरेन्द्रसिंह जाड़ावत ने इस मौके पर अपने संबोधन में कहा कि महाराणा प्रताप ही एकमात्र है जिनके लिए पूरे विश्व में प्रातः स्मरणीय कहा जाता है। महाराणा प्रताप के संघर्श एवं उनके जीवन से हमें कई प्रेरणा मिलती है। अकबर के सामने सारे देश के राजा महाराजा नतमस्तक हो गये लेकिन महाराणा प्रताप ने जिन्दगी भर संघर्श किया तथा आक्रांताओं को खदेड़ा। 36 चौकियां जो अकबर के कब्जे में थी वो महाराणा प्रताप ने लड़कर उसे पुनः मेवाड़ के अधीन की थी। उन्होने नौजवानों से आह्वान किया है कि वे हिन्दुआ सूरज महाराणा प्रताप के आदर्शो को अपनाये। आज देश को आदर्श चरित्र की आवश्यकता है और यह चरित्र हमें महाराणा प्रताप के जीवन एवं उनके आदर्शो से प्राप्त हो सकता है। इस दौरान जितेन्द्रसिंह नाहरगढ़, हनुमंतसिंह बोहेड़ा, बूंदी प्रधान सत्यनारायण मीणा, बाईसा कनक सौलंकी, करणी सेना के जिलाध्यक्ष सत्यवीरसिंह भाटी, भानुप्रतापसिंह नाहरगढ़ भी उपस्थित रहे। समारोह में मेवाड़ राजघराने के सदस्य डॉ. लक्षराज सिंह मेवाड का माहेश्वरी समाज, प्रजापत समाज एवं राजपूत समाज के साथ ही जागेटिया परिवार की ओर से स्वागत अभिनन्दन किया गया। नन्हे चित्रकार परवेज नुरूद्दीन ने अपने हाथ से बनाई डॉ. लक्षराज सिंह मेवाड पेन्टिंग भी उन्हे भेंट की।

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