वीरधरा न्यूज़।बिनोता@ श्री अनिल शर्मा।
बिनोता।कस्बे के समीप उदयसिंहजी की भागल में चल रही भागवत कथा के दौरान तीसरे दिन कथा वाचक बद्री प्रशाद भारद्वाज ने कहा की मनुष्य जीवन मे चाहे कितना ही धन कमाले जब तक उसके प्रेम रूपी धन नही मिल जाता तब तक सारे धन बेकार है वर्तमान के मनुष्य अपनी संस्कृति को भूलता जा रहा है विदेशी संस्कृति को अपनाने की होड़ कर रहा है इसी कारण आप परिवारों में बिखराव दिखाई देने लगा है अपनापन खत्म होने लगा है सयुक्त परिवार में बिखराव आगया है माता पिता के चरणों मे चारो धाम है व्यक्ति तीर्थ यात्रियों मन्दिरों में पूजा अर्चना करने जाता है लेकिन अपने माता पिता को दुख देता है तो उसकी सारी तीर्थ यात्रा बेकार है जीते जी माँ बाप की सेवा नही करता मरनेबके बाद आंसू बहाता है मनुष्य को संस्कारवान बनना चाहिए।
इंदर सिंह, बलबंत सिंह सारंगदेवोत ने बताया कथा प्रवचन से पूर्व सारंगदेवोत परिवार के सज्जन सिंह, कालूसिंह पुरण सिंह अर्जुनसिंह, फतेह सिंह ने जोड़े के साथ बैठ कर पूजा अर्चना की कथा के दौरान भारद्वाज ने लध्रुव चरित्र जड़, भरत चरित, की कथा का प्रसंग सुनाया संगीत मय भागवत कथा के दौरान उपस्थित महिलाएं नृत्य करने लगी कथा में बिनोता से मांगीलाल वागड़ी हीरालाल सोनी सुखपुरा के प्रताप सिंह, कमलसिंह, भवरसिंह जवानसिंह जी का खेडा गोपाल सिंह शक्तावत उदयसिंह, मिंडाना, बन्ना सिंह पिंडडी देवी लाल मीणा शिव लाल जटिया मोहनलाल चारण मंडलाचारण, भगवान लाल, मीणा गोपाल सिंह जी खेडा, कथा प्रारंभ होने से पूर्व व्यास पीठ की वेदिकमंत्रोचार के साथ पूजा अर्चना की गई कथा के दौरान समापन पर आरती कर प्रशाद वितरण किया गया।