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भावी पीढ़ी को माता पिता गुरुदेव के रोज नमन करने के संस्कार दीजिए: कथा व्यास प. आशीष चाष्टा।

 

वीरधरा न्यूज़।चित्तौडग़ढ़@डेस्क।

चित्तौडग़ढ़।बच्चों को संस्कार माता व गुरू से ही प्राप्त होते है, ये विचार राजस्थान के राज्य मंत्री सुरेंद्र सिंह जाड़ावत ने सर्वेश्वर मंदिर चामटीखेड़ा रोड़ पर नवरात्री के उपलक्ष में चल रही रामकथा के दौरान मुख्य अतिथि के रुप में श्रोताओं को संबोधित करते हुए प्रकट किये।
मंदिर समिति के अध्यक्ष विनोद लढ़ा ने बताया कि कथाव्यास व अतिथियों का संयोजक श्यामसुंदर, कैलाशचन्द्र शर्मा की ओर से अभिनंदन किया गया। चौथे दिवस की कथा में कथाव्यास पं.आशीष चाष्टा ने रामचरितमानस में भगवान राम की बाललीला, नामकरण, जनेऊ संस्कार ,गुरु वसिष्ठ से शिक्षा ग्रहण करने की कथा का विवेचन किया। उन्होने कहा कि विद्या ददाति विनयम, विनय से पात्रता, पात्रता से धन तथा धन से दैनिक उपभोग हेतु भोतिक सुख सुविधाएं प्राप्त होती है। राम प्रातःकाल उठकर अपने माता पिता व गुरुदेव को नमन करते थे।ऐसे संस्कार हमें अपनी भावी पीढ़ी को भी देने चाहिए। विश्वामित्र के द्वारा अयोध्या से राम लक्ष्मण को लिवा लाने, ताड़का वध अहिल्या उद्धार आदि प्रसंगों सहित उनके जनकपुरी मे धनुष यज्ञ देखते जाने, पुष्प वाटिका में सीता के दर्शन होने व सीताजी द्वारा गौरी पूजन के प्रसंग का विस्तार से वर्णन किया।
कथा में प्रेमसुख काबरा अजय बनवार, जानकीलाल सोनी, प्रदीप शर्मा दिनेश ओझा, धनराज गुर्जर, ध्रुव भटनागर, पं.पूरण उपाध्याय, शिवशंकर जोशी, पंकज शर्मा, मुकेश काबरा, भगवती लाल सुथार सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। विशिष्ट अतिथि अनिल सोनी ने सार्वजनिक सहयोग से निर्मित सर्वेश्वर मंदिर के निर्माण व प्रगति की जानकारी दी। कथाव्यास ने कहा कि मृत्यु को याद रखने वाला व्यक्ति पाप करने से हमेशा डरता है तथा निर्दोश जिंदगी जीने का प्रयास करता है।सचिव गोविंद काबरा ने बताया कि रविवार को दोपहर 12.15 बजे से 4 बजे तक राम द्वारा शिव धनुष भंग करने, लक्ष्मण परशुराम संवाद व दशरथ के चारों पुत्रों के विवाह की कथा होगी।मंच संचालन लक्ष्मीनारायण डाड ने किया।

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