जेके लोन अस्पताल में 9 बच्चों की मौत नेचुरल व बीमारी से अभी लापरवाही सामने नहीं आई – स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा
वीरधरा न्यूज। कोटा @ चौहान न्यूज़ एजेंसी
कोटा में पिछले 24 घंटे में 9 नवजात बच्चों की मौत के बाद जेके लॉन अस्पताल एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है। यहां पिछले साल भी नवंबर-दिसंबर में 35 दिनों में 107 बच्चों की मौत ने गहलोत सरकार को हिलाकर रख दिया था। तब खुद प्रदेश के चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा, परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास को कोटा जाना पड़ा था। तब चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने जेके लोन अस्पताल के जनरल वार्ड में 90 बैड की तीन यूनिट, NICCU की 36 वार्ड की 3 यूनिट और PICU की 30 वार्ड की 3 यूनिट का प्रस्ताव 7 दिन में भेजने के निर्देश दिए थे।
इस साल दोबारा बच्चों की मौत होने पर सियासत गरमाने लगी तब चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने गुरुवार को कहा कि कोटा जेके लोन अस्पताल में शिशुओं की मौत की खबर मुझे मिली तब मैंने कोटा मेडिकल कॉलेज के प्रिंसीपल डॉ. सरदाना और जेके लोन अस्पताल के अधीक्षक से बातचीत कर रिपोर्ट मांगी है। फिलहाल अस्पताल के डॉक्टरों या स्टॉफ की लापरवाही की वजह से बच्चों की मौत होना सामने नहीं आया है।
चिकित्सा मंत्री ने यह बताए 9 नवजात की मौत के कारण
चिकित्सा मंत्री शर्मा ने कहा कि अस्पताल में जिन 9 नवजात शिशुओं की मौत हुई है। उनमें से 3 बच्चे मृत अवस्था में जेके लोन हॉस्पिटल लाए गए थे। इसके अलावा अस्पताल में जन्मे 3 नवजात शिशुओं की जन्मजात बीमारी की वजह से होना बताया है। वहीं, 3 अन्य बच्चों की मौत सीओटी (बच्चे के जन्म के बाद घुटन की स्थिति, दूध पिलाते वक्त मां से गलती होने व अन्य कारणों) की वजह से हुई है।
मंत्री की हिदायत: किसी भी सूरत में डॉक्टरों की लापरवाही से नवजात की मौत न हो
चिकित्सा मंत्री शर्मा ने बताया कि उन्होंने अस्पताल अधीक्षक व मेडिकल कॉलेज के प्रिंसीपल को निर्देश दिया है कि किसी भी परिस्थिति में चिकित्सकों की लापरवाही से एक भी बच्चे की जान नहीं जानी चाहिए। इसके लिए आपको आश्वस्त करना पड़ेगा। किसी भी सूरत में इलाज की व्यवस्था इतनी चाकचौबंद होनी चाहिए। ताकि किसी भी बच्चे की जान मेडिकल संसाधनों की कमी या किसी स्टाफ की लापरवाही से न हो। वहीं दूसरी तरफ कोटा दक्षिण से विधायक संदीप शर्मा ने राज्य सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया।
यह है मामला
कोटा के जेके लोन अस्पताल में 24 घंटे के अंदर 9 नवजातों की मौत हो गई। गुरुवार को 4 बच्चों की जान गई। बुधवार को यहां 5 नवजात ने दम तोड़ा था। इन सभी बच्चों की उम्र 1 से 7 दिन के बीच थी। बच्चों की मौत का मामला गरमाने पर कोटा के संभागीय आयुक्त, जिला कलेक्टर और अन्य प्रशासनिक व मेडिकल विभाग के अधिकारी अस्पताल पहुंचे। वहां व्यवस्थाओं का जायजा लिया।
सरकार द्वारा गठित जांच समिति ने बच्चों की मौत को हाइपोथर्मिया से होना बताया था
आपको बता दें कि पिछले साल बच्चों की मौत के मामले में राज्य सरकार ने एक जांच कमेटी गठित की थी। जिसने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि बच्चों की मौत हाइपोथर्मिया की वजह से हुई थी। जबकि हकीकत यह थी कि तब अस्पताल में नवजातों के लिए बनाई गई नर्सरी में लगाए गए 71 में से 44 वॉर्मर खराब पड़े होने की जानकारी सामने आई थी।