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धर्मध्यान हेतु स्थान दान से रिद्धि सिद्धि बढ़ती है: साध्वी डाॅ. अर्पिता जी म.सा.।

वीरधरा न्यूज़।चित्तोड़गढ़@डेस्क।

चित्तौड़गढ़। श्रमण संघीय उपप्रवर्तिनी श्री वीरकान्ता जी म.सा की सुशिष्या साध्वी डाॅ. अर्पिता जी म.सा. ने पुण्य विषयक प्रवचन में फरमाया कि परमात्मा महावीर के शैयात्तर ठहरने का स्थान उपलब्ध कराने से जयंती श्राविका जिन शासन में अमर हो गई। धर्मध्यान के लिए स्थान, पोषधशाला, स्थानक, मंदिर आदि बनवाने से रिद्धि सिद्धि बढ़ती है। जहाँ जमीन के लिए भयंकर युद्ध होते हैं, भाई भाई का प्रेम समाप्त हो जाता है, मनों में विष घुल जाता है वहीं स्थानदान से द्वेष, क्लेश मिट जाते हैं। फुटपाथों पर रात बिताने वाले गरीब, अनाथ लोगों के लिए छत उपलब्ध करने पर सुख साता होने से उनके आशीषों के उपहार से पुण्य की अभिवृद्धि होती है। सर्दी, गर्मी या वर्षा से सब प्राणी मात्र का बचाव स्थानदान से होता है।
उन्होंने कहा कि जैसे शरीर के लिए अन्न, जल आधार है वैसे ही सब द्रव्यों के लिए स्थान आधार है। क्या पृथ्वीलोक, क्या स्वर्ग या नरक। सब रहवासी एवं प्राणी मात्र के लिए स्थान का होना आवश्यक है। सिद्धों के लिए सिद्धशिला है। सभी प्राणीमात्र में स्थान के लिए अधिकार भावना होती है। एक गली का कुत्ता भी दूसरी गली के कुत्ते को अपनी गली में नहीं आने देता। ट्रेन, बस, सिनेमा हाल, विद्यालय, हवाई जहाज यात्रा, सब जगह रिजर्वेशन होता है। मात्र श्मशान ही ऐसी जगह है जहाँ कोई नहीं रहना चाहता है। वहाँ बिना टिकिट, रिजर्वेशन, बुकिंग हमेशा जगह मिलती रही है।
जगह जमीन के कारण भाई भाई का, पड़ौसी पड़ौसी का दुश्मन बन जाता है। अतः इन लड़ाई झगड़ों से मानव को मुक्त रखने के लिए भगवान ने लयन पुण्य का विधान किया है। उन्होंने कहा कि धर्मध्यान के लिए घरों में अलग से स्थान रहना चाहिये जहाँ गुरू भक्तों को ठहराया जा सकता है और स्वयं भी पौषध आदि क्रियाएं कर सकते हैं। साधु संतों की धार्मिक क्रियाओं का लाभ गृहस्थ को भी मिलता है। ऐसे ही स्थानक निर्माण में सहयोग का भी लाभ गृहस्थ को मिलता है, वहीं पाप कार्यों यथा होटल, क्लब, सिनेमा आदि के लिए स्थान देने से पाप का बन्ध होता है। वैसे तो स्थान निर्माण पापकारी होता है परन्तु उपयोग और उद्देश्य की दृष्टि से यह पुण्यकारी भी हो जाता है। इसलिए धर्म कार्यों के लिए स्थान देकर पुण्यबन्ध करें।

6 दिवसीय एक्यूप्रेशर, फीजियोथेरेपी शिविर प्रारंभ –

संघ अध्यक्ष लक्ष्मीलाल चण्डालिया ने बताया कि प्रातः 9 बजे से शांति भवन में एक्यूप्रेशर एवं फीजियोथेरेपी नेचूरोपेथी रिसर्च ट्रीटमेंट जोधपुर के प्रशिक्षित व अनुभवी चिकित्सकों द्वारा एक्यूप्रेशर व फीजियोथेरेपी पद्धति से उपचार का शुभारंभ मांगलिक व पंच परमेष्ठी स्मरण के साथ हुआ। 19 सितम्बर तक प्रातः 9 से 12 एवं सायं 3 से 7 बजे तक ब्लड प्रेशर, कमर दर्द, साईटिका सुन्नता, शुगर, सायिटिका, जोड़ों का दर्द, थाइराइड, माइग्रेन, लकवा, अनिद्रा, घुटना दर्द, गैस कब्ज, सर्वाइकल, मोटापा आदि समस्याओं का उपचार बिना ऑपरेशन जर्मन तकनीक से निर्मित नी ब्रेस से किया जा रहा है।

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