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हरियाणा/गुरुग्राम- राष्ट्र भाषा हिंदी ही बच्चों में राष्ट्रीय भावना जागृत कर उन्हें कर्तव्यनिष्ठ बनाएगी-मंगला गुप्ता।

वीरधरा न्यूज़ गुरुग्राम/हरियाणा@ श्री मिहिरकुमार शिकारी।


गुरुग्राम। देश में 14 सितंबर को हर साल हिन्दी दिवस मनाया जाता है,राजभाषा हिन्दी के लिए सरकार, जनसंख्या और प्रशासन के साथ साथ समाज की ओर से कार्य होना चाहिए।हमारी आम बोलचाल की भाषा में हमें हिन्दी का प्रयोग बढ़ाना चाहिए, जबकि न्यायालय से लेकर संसद तक मे हिन्दी के प्रयोग को कम महत्व दिया जाता हैं सुप्रीम कोर्ट में तो हिन्दी का प्रयोग ही नहीं होता हैं।देश को एकता के सूत्र में पिरोने एवं भावनात्मक एकता स्थापित करने में सक्षम भाषा है।हम किसी अन्य के विरोध या उपयोग न करने की बात नहीं कहते, लेकिन राजभाषा हिन्दी के प्रयोग को सभी जगह स्थापित करने की आज आवश्यकता है।उपरोक्त बात दि योगक्षेम महिला उत्कर्ष सेवा कोऑपरेटिव मल्टीपर्पज सोसायटी लि. की अध्यक्षा श्री मंगला गुप्ता जी ने सोसायटी द्वारा संचालित गुरुग्राम में सेक्टर-47 और झारसा गाँव में जरूरतमंद परिवारों के बच्चों के लिए चलाए जा रहे उत्कर्ष प्रयास स्कूल में आज स्कूल के सभी बच्चों को यूनिफॉर्म वितरण कार्यक्रम के दौरान बताते हुए आगे उन्होंने कहा कि भारत एक बहुभाषी देश है यहां पर संवैधानिक रुप से 22 भाषाओं को मान्यता दी गई है, जिसमें हिन्दी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। देश आजाद होने के बाद संविधान सभा में हिन्दी को 14 सितंबर 1949 को राजभाषा के रुप में अपनाया गया था, इसलिए 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के रुप में मनाया जाता है।दरअसल, ये दिन न केवल हिन्दी भाषी लोगों के लिए बल्कि दूसरी भारतीय भाषाओं के लोगों के लिए भी काफी अहम है, क्योंकि भारत में 129 भाषाओं में से हिन्दी ही एक मात्र ऐसी भाषा है, जिसे देश के 70 फीसद से ज्यादा लोग समझ और बोल सकते हैं।आज देश में नई पीढ़ी को हिन्दी भाषा का ज्ञान देना जरूरी हो गया है क्योंकि इस के बगैर युवापीढ़ी में राष्ट्रीय भावना जागृत कर उन्हें राष्ट्र के प्रति समर्पित भाव से कार्य करने की और राष्ट्र के प्रति कर्तव्यनिष्ठ बनने की प्रेरणा कोई दे सकता है तो वो राष्ट्रभाषा हिन्दी ही है अंग्रेजी भाषा नहीं।
आगे मंगलाजी ने कहा कि एक प्रकार से देखा जाए, तो हिन्दी भारत को एक सूत्र में बांधने के काम करती है। हालांकि हिन्दी को लेकर देश में कई प्रकार की अन्य बहसें भी हैं, लेकिन आज के इस कार्यक्रम में हम हिन्दी के इतिहास और उसकी उपलब्धियों को संक्षिप्त में समझने की कोशिश करेंगे।आगे उन्होंने बच्चों को कहा कि “कैसे शुरु हुआ हिंदी दिवस मनाने का सिलसिला” हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत 1949 की संविधान सभा से होती है। दरअसल, देश आजाद होने के बाद भारत में राजभाषा के रुप में किसी एक भाषा को चुना जाना था,जिससे देश के सभी आधिकारिक काम किसी एक भाषा में किए जा सकें और सभी भाषाओं में हिन्दी एक ऐसी भाषा उभरकर सामने आई, जिसे देश में ज्यादा लोग बोल और समझ सकते हैं, इसलिए 14 सितंबर 1949 को हिंदी राज भाषा के रुप में मान्यता दे दी गई.उसके बाद हिंदी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।आगे उन्होंने कहा कि विश्व हिन्दी दिवस और राष्ट्रीय हिंदी दिवस में क्या अंतर है ?
अक्सर लोग विश्व हिंदी दिवस और राष्ट्रीय हिंदी दिवस में अंतर नहीं कर पाते हैं, लेकिन आपको बता दें कि विश्व हिन्दी दिवस 10 जनवरी को मनाया जाता है और इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर हिंदी का प्रचार प्रसार करना है. वहीं इसके कुछ महीने बाद 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है।जिसके पीछे हिन्दी को राजभाषा के रुप में घोषित करना है।आगे मंगलाजी ने कहा कि देश में 129 भाषाएं संविधान की आठवीं सूची में दर्ज है,आजादी के बाद यह निर्णय लिया गया था कि हिन्दी देश की राष्ट्रभाषा होगी और आजादी के 15 वर्षों में हिन्दी को राष्ट्रभाषा के स्थान पर प्रतिष्ठित किया जाएगा मगर यह संकल्प आज तक भी पूर्ण नहीं हो पाया है और न ही निकट भविष्य में भी यह सपना पूरा होता दिख नहीं रहा है।दुनिया के छोटे छोटे देश भी अपनी राष्ट्रभाषा में कार्य करके प्रगति कर रहे हैं पर हम अपनी ही भाषा हिन्दी को उसके हिस्से का अमृत आजादी के अमृत महोत्सव पर भी नहीं दिला पाए है ये हमारे लिए बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण बात है।यदि हम भारतबोध और राष्ट्रीय जीवन मूल्यों के स्थायीकरण के सार्थक प्रयास और परिणाम चाहते हैं, व्यक्ति के श्वेष्ठता का प्रगटीकरण चाहते हैं तो राजभाषा को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए सभी प्रकार के प्रयास, प्रयोग होने चाहिए।हिन्दी के विस्तार से ही सर्वागीण विकास की अवधारणा भी फलीभूत होगी।
इस अवसर पर उत्कर्ष प्रयास स्कूल की प्रमुख संस्थापिका श्री स्वर्णलता पाण्डेय (पूजाजी)ने बताया कि वैसे तो भारत विभिन्नताओं वाला देश है, यहा पर राज्य की अपनी अलग अलग सांस्कृतिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक पहचान है।यही नहीं सभी जगह की बोली भी अलग है, इसके बावजूद हिन्दी भाषा भारत में सर्वाधिक बोली जानेवाली भाषा है, यही वजह है कि महात्मा गांधी ने हिन्दी को जनमानस की भाषा कहा था, उन्होंने 1918 में आयोजित हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए कहा था।वह कहते थे कि राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है।इसलिए भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343(1) में हिन्दी को राजभाषा बनाए जाने के संदर्भ में लिखा गया है कि “संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी,संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंको का रूप अंतराष्ट्रीय रूप होगा”।आगे पूजाजी ने कहा कि भारत में अनेकों भाषाएँ एवं बोलिया है।इसलिए यहा यह कहावत बहुत प्रसिद्ध हैं “कोस-कोस पर पानी बदले,चार कोस पर वाणी”।इस संबंध में महात्मा गांधी कहते थे “अगर हमें एक राष्ट्र होने का अपना दावा सिद्ध करना है तो हमारी अनेक बातें एक सी होनी चाहिए, भिन्न भिन्न धर्म और सम्प्रदायो को एक सूत्र में बांधने वाली हमारी एक सामान्य संस्कृति हैं।आगे उन्होंने कहा कि हिन्दी भाषा विश्व में अधिकतम जनसंख्या द्वारा बोली जानेवाली भाषाओं में से एक है,भारत के अतिरिक्त नेपाल, मॉरीशस, गुयाना,सूरीनाम, त्रिनिदाद, टोबैगो और फिजी जैसे अन्य देशों में भी बोली जाती है।हिन्दी दिवस कार्यक्रम में स्कूल में “हिन्दी भाषा का हमारे जीवन में महत्व”, ” हिन्दी भाषा के संतों-कवियों, साहित्यकारों की वाणी में राष्ट्रीय एकता” , “हिन्दी फिल्मी गीतों में राष्ट्रीय एकता की भावना” जैसे विषयों पर प्रतियोगिता रखी गई थी जिसमें प्रतिभागी विजेता बच्चें-बच्चियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया था।
इस कार्यक्रम में झारसा स्कूल की शिक्षिकाएं श्री अंजना मोहता,श्री शान्ति गुप्ता, श्री आशा सिंग स्कूल के सभी बच्चें-बच्चियां उनके अभिभाव और गाँव के प्रतिष्ठित लोगों ने हिस्सा लिया और हिन्दी भाषा को अपने दैनिक दिनचर्या में बोलचाल की भाषा में ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने का संकल्प लिया है।

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