वीरधरा न्यूज़।बौंली@ श्री श्रद्धा ओम त्रिवेदी।
बोंली। क्षेत्र में गायों में फैल रही लंपी नामक बीमारी को लेकर गोपालको में गहरी चिंता व्याप्त है। इस बीमारी को लेकर पशु चिकित्सक व चिकित्सालय द्वारा किए जा रहे अनेकों दवा व टीकाकरण की विफलताओं के बाद अब महिलाओं ने अपने स्तर पर हिंदू धर्म में की जाने वाली माताजी की तंत्र विद्या को अपनाया है। और यह बड़ी माता जी वाली तंत्र विद्या कारगर भी साबित हो रही है। चिकित्सक, बुद्धिजीवी, नेता, व भामाशाह ने गाय माता में फैली इस महामारी को लेकर अपने स्तर पर कई दवा काढ़ा के प्रयोग भी किए लेकिन इसके भी असर कम ही नजर आए हैं। इस कारण ग्रामीण महिलाओं ने इसे अपने स्तर पर बड़ी माता जी का प्रकोप मान कर विधिवत जंगलों व स्थानों पर जाकर पूजा-अर्चना करना प्रारंभ कर दिया है। इस तंत्र विद्या से गायों में रोग कम भी होने लगा है। जब से गायों में लंपी नामक इस महामारी बीमारी ने प्रवेश किया है तब से अब तक क्षेत्र के सैकड़ों दुधारू गाय काल के ग्रास में समा चुकी है एवं सैकड़ों गायें अभी इस रोग से ग्रसित है। भामाशाह व सरकार द्वारा भी इस महामारी से निजात पाने के लिए अपने अपने स्तर पर पूरे प्रयास शुरू कर दिए हैं लेकिन यह बहुत कम मात्रा में कारगर साबित हो रहे हैं। पशु चिकित्सक, जनप्रतिनिधि, व बुद्धिजीवी वर्ग यह महसूस कर चुका है इसका इलाज पौराणिक बड़ी माताजी निकलने पर किया जाने वाला कारगर साबित हो सकता है। क्षेत्र के संपूर्ण ग्रामीण इलाकों में प्रातः 5:00 बजे से ही गाय माता में फैली इस महामारी को रोकने के लिए माता, बहने, स्नान करके पूजा सामग्री की थालियां सजाकर गांव के बाहर पूजा-अर्चना करती नजर आ रही है। अनेकों घटनाएं ऐसी सामने आई है जिसमें पशु चिकित्सकों कंपाउंडरों द्वारा रोग से ग्रसित गाय के टीकाकरण करते ही उसकी मौत हो गई। इससे बचने के लिए दबी जबान से पशु चिकित्सक एवं कंपाउंडर भी टीकाकरण नहीं कराने की सलाह देते थे।