वीरधरा न्यूज़।डुंगला@ श्री अमन अग्रवाल।
डुंगला। चिकारड़ा क्षेत्र मे काश्तकारों द्वारा पहली बरसात में ही फसलों की बुवाई शुरू कर दी थी। बुवाई के बाद बरसात का संतुलन बिगड़ने जहां एक और बाजरा मक्का उड़द मूंग जैसी फसले अंकुरित हो गई वही सोयाबीन पर्याप्त रूप से अंकुरित नहीं हो पाई, जिसके चलते काश्तकार वर्ग पर दोहरी मार झेलते हुए सोयाबीन की फसल की दुबारा बुवाई करनी पड़ी। इसके चलते किसानों को लाखों रुपए का अतिरिक्त नुकसान भी उठाना पड़ा। क्षेत्र के किसान बरसात के मौसम में अधिकतर, सोयाबीन, मक्का, मूंगफली, ज्वार, बाजरा, उड़द, तिल्ली, मूंग की खेती करते आए हैं।
क्षेत्र के चिकारड़ा अकोला गढ़, भाटोली बागरियान, जेतपुरा, टीला खेड़ा,नंगा खेड़ा, जाट सादड़ी, नीमगांव, नोगामा, भाटोली गुजरान के साथ कई ग्राम ऐसे हैं जहां पर काश्तकारों को दोहरी मार झेलनी पड़ी। क्षेत्र में किसानों का रुझान मक्का सोयाबीन की फसल पर प्रमुख रूप से रहा है। काश्तकार दली चंद जेतपुरा की माने तो डूंगला उपखंड क्षेत्र में सोयाबीन की फसल कम मेहनत अधिक उपज वाली फसलों की गिनती में आती है। जिसके चलते काश्तकारों के लिए फायदे का सौदा साबित होती दिखाई देती है।