सिरोही-सिरोही से काजू की बिल्टी पर ट्रक में खैर की बेशकीमती लकड़ी की कर रहे तस्करी, वन विभाग की कार्यवाही।
वीरधरा न्यूज़।सिरोही@ श्री राकेश वैष्णव।
सिरोही जिला अपराध और तस्करी का गढ़ बनता जा रहा है। तस्करों के हौंसले लगातार बुलंद होते जा रहे है और बदमाश बेखौफ तस्करी कर रहे है। सिरोही से अवैध शराब की तस्करी के कई मामले आने के बाद भले ही पुलिस अधीक्षक यहां से रवाना हो गए, लेकिन तस्करों ने अपना धंधा बंद नहीं किया। आज सिरोही के आबू रोड इलाके से एक ओर तस्करी का मामला सामने आया है, जहां तस्करी बेशकिमती और दुर्लभ किस्म के पेड़ तस्करी करते हुए पकड़े गए। तस्कर खैर की लकड़ी की तस्करी कर रहे थे। वन विभाग ने मुखबिर की सूचना पर लाखों रुपए की खैर लकड़ी से भरे एक ट्रक को जब्त किया है। इसके साथ ही ट्रक के चालक और खलासी को गिरफ्तार किया हैं। लेकिन खैर के पेड़ की कटाई, इसके बाद लकड़ी के छोटे—छोटे टुकड़े करना और ट्रक को लोड करना कई सवाल खड़े कर रहा है। तस्करों की गैंग इतना काम कर गई और स्थानीय वन विभाग के अधिकारियों को भनक तक नहीं लगी। या फिर सब इनकी मिलीभगत से हुआ यह तो जांच के बाद ही सामने आ पाएगा। जानकारी के मुताबिक वन विभाग की टीम को मुखबिर से सूचना मिली कि खैर की लकड़ी से भरा ट्रक दिल्ली के लिए रवाना होने वाला है। इस पर वन विभाग के अधिकारियों ने अपने खुफिया तंत्र को तैयार किया, टीम ने आज सुबह तड़के करीबन चार बजे आबू रोड अंबाजी राजमार्ग पर एक 12 चक्का ट्रक की तलाशी ली। वन विभाग की टीम ने खैर की लकड़ी से भरे ट्रक को जब्त किया। वन विभाग के रेंजर हरचंदराम परमार, लक्ष्मण राज सुरेशा, वनपाल अर्जुन कुमार, सहायक वन पाल पुष्पेंद्र सिंह देवड़ा और उनकी टीम ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया।
काजू की बिल्टी और खैर लकड़ी की तस्करी
वन विभाग की टीम ने हाइवे पर ट्रक की तलाशी ली। इस दौरान ट्रक चालक ने काजू की बिल्टी दिखाई। वन विभाग के अधिकारियों ने ट्रक को साइड में लगवाकर जांच की। इस पर ट्रक के उपर काजू से भरे कट्टे मिले। इन काजू के कट्टों के नीचे खैर की लकड़ी के छोटे छोटे कटे हुए टुकड़े पाए गए। इस पर वन विभाग ने ट्रक को जब्त कर लिया और चालक व खलासी को गिरफ्तार कर लिया।
सफेद कलर की कार कर रही थी एस्कॉर्ट, हुए फरार
वन विभाग के मुताबिक खैर की लकड़ी की तस्करी में गैंग सक्रिय है। पेड़ की पहचान से लेकर माल कटाई, परिवहन और फिर दिल्ली में इसकी बिक्री तक गिरोह सक्रिय है। वन विभाग की कार्रवाई में सामने आया है कि खैर की लकड़ी से भरे इस ट्रक को भी तस्कर एस्कॉर्ट कर रहे थे। एक सफेद रंग की कार से तस्कर ट्रक के आगे आगे चल रहे थे। जंगल से हाईवे पर आने के बाद वन विभाग की टीम को देखने के बाद तस्कर फरार हो गए, वहीं ट्रक को टीम ने जब्त कर लिया।
मीन तलेटी और जम्बूडी के जंगलों से अवैध तस्करी
वन विभाग के सूत्रों के मुताबिक सिरोही जिले में खैर तस्करों की गैंग सक्रिय है। आबू रोड के जंगलों में खैर के पेड़ लगे हुए है। तस्करों ने आबू रोड के मीन तलेटी और जम्बूडी इलाके से पेड़ों की कटाई की और ट्रक भरकर दिल्ली के लिए रवाना हुए थे। तस्करों ने सड़क किनारे खड़े पुराने पेड़ों की कटाई की और इसके बाद छोटे छोटे टुकड़े कर ट्रक में माल भरा था।
कहां था स्थानीय वन विभाग ?
वन विभाग की इस पुरी कार्रवाई में एक सबसे बड़ा सवाल सामने आया है कि अगर मिल तलहटी और जम्बूडी इलाके से तस्करों ने खैर के पेड़ों को काटा और उसको छिलकर उसके तने में से अंदर की लकड़ी निकाल कर ट्रक भरा, इस दौरान स्थानीय वन विभाग कहां था!
पेट्रोल कटर से कटाई तो आवाज पर तो कार्रवाई क्यों नहीं…?
वन विभाग के मुताबिक तस्करों ने मिल तलहटी और जम्बूड़ी इलाके के पेट्रोल कटर का इस्तेमाल किया। पेट्रोल कटर से पेड़ों को काटने के बाद इसके टुकड़े किए गए। पेट्रोल कटर की आवाज एक किलोमीटर दूर तक सुनाई देती है। ऐसे में सवाल यह भी है कि स्थानीय वन विभाग को क्या इसकी आवाज नहीं आई। या फिर सब मिलीभगत से हुआ।
बेशकिमती और दुर्लभ किस्म का पेड़ है खैर
खैर के पेड़ को कथकीकर और सोनकीकर भी कहा जाता है। इस वृक्ष की लकड़ी के टुकड़ों को उबालकर निकाला और जमाया हुआ रस जो पान में चूने के साथ लगाकर खाया जाता है। इसे कत्था कहते है। बाजार में इस लकड़ी की कीमत 5000 से 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक है। वहीं एक वयस्क खैर के पेड़ से 5 से 7 लाख रुपए तक बिकती है।
शुभम जैन, डीएफओ
अवैध तस्करी का ट्रक जब्त
वन विभाग की टीम ने कार्रवाई करते हुए एक ट्रक को जब्त किया है। आबू रोड रेंज से ट्रक में भर कर खैर की लकड़ी की तस्करी की जा रही थी। फिलहाल 2 लोगों को पकड़ा है। जांच की जा रही है।