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चित्तोडगढ़-लज्जा, दया,संयम और ब्रह्मचर्य की स्थापना करने वाले पूजनीय:डॉ समकित मुनि।

वीरधरा न्यूज़।चित्तोडगढ़@डेस्क।

चित्तोडगढ़।समकित के संग समकित की यात्रा स्ट्रेसफुल लाइफ का सॉल्यूशन प्रवचन श्रृंखला के क्रम में सोमवार को खातर महल में डॉ समकित मुनि ने राजुल और रथनेमि की कहानी के माध्यम से युवतियों को सचेत करते हुए कहा कि यदि  कोई आपके रूप, रंग ,वाणी की प्रशंसा कर रहा है,मंहगी भेंट लाकर देता है तो सावधान हो जायें।

आप संकट में पड़ सकते है। अपनी जाति-कुल और शील की रक्षा करने का साहस रखने वाला ही अपनेअस्तित्व की रक्षा कर सकता है। ऐसे तत्वो से लड़कियों को बहुत समझदारी से पहले प्रयास में ही दृढ़ता से जवाब दे देना चाहिए कि हम संस्कारी हैं व हमारे लिए स्वयं व अपने मातृ पितृ पक्ष के परिवार की इज्जत सबसे ज्यादा प्यारी है। यदि ऐसा कर लिया तो उनको कभी कोई गलत राह पर नहीं ले जा सकता। अपने स्वार्थ के लिये बेकसूर प्राणियों की हत्या का पाप दुःख का कारण होता है। जो स्वयं को संभाल लेता है वह जल्दी ही अपनी मंजिल पर लेता है।

श्रद्धा का-धर्म का रिश्ता हो तो बुलावे या आमंत्रण की प्रतीक्षा नहीं की जाती। । वीरता की आवश्यकता तो कभी कभी पड़ती है किन्तु समझदारी की जरूरत सदैव होती है।

एक अशुभ विचार व्यक्ति को बेशर्म बना सकता है। लज्जा-दया-संयम और ब्रह्मचर्य रह पाये तो ही संयम की आराधना संभव होती है। लज्जा व्यक्ति को अनंत पापों से बचा देती है। निर्लज्ज होते ही व्यक्ति सब भूल जाता है। लक्ष्य तक पहुंचने तक सावधानी की आवश्यकता होती है।

प्रचार मंत्री सुधीर जैन ने बताया कि प्रवचन में भवान्त मुनि म सा ,साध्वी विशुद्धि म सा,साध्वी विशाखा म सा विराजित रहे। कार्यक्रम का संचालन प्रचार मंत्री सुधीर जैन ने किया।

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