वीरधरा न्यूज़।चित्तौड़गढ़@ डेस्क।
चित्तौड़गढ़।डॉ समकित मुनि की प्रवचन श्रृंखला “समकित के संग समकित की यात्रा स्ट्रेसफुल लाइफ का सोल्युशन”के क्रम में शनिवार को खातर महल में आयोजित प्रवचन कार्यक्रम में डाक्टर समकित मुनि ने लाभ अंतराय कर्म पर प्रवचन देते हुए कहा कि पुरुषार्थ करने पर भी इच्छित फल प्राप्त नहीं हो पाने पर लाभ अंतराय कर्म का उदय हो जाता है ।जब कभी अपनी जिंदगी में हमें ऐसा लगता है तो हमें इसका जिम्मेदार कभी किसी दूसरे को नहीं ठहराना चाहिए। हमें अंधविश्वास से हमेशा दूर रहना चाहिए। आगमकार कहते हैं लाभ अंतराय कर्म का उदय होता है तो कर्म प्रभावी नहीं हो पाता है। छोटी-छोटी गलतियां आगे चलकर गंभीर एवं खतरनाक परिणाम देती है ।दो गलतियों की सजा तो माफ हो सकती है परंतु तीसरी गलती पर सजा निश्चित हो जाती है। हमारी जिम्मेदारी और जवाबदारी यदि हम निभाना चूक जाएं तो लाभ अंतराय कर्म का उदय हो जाता है। हम नादानियों में कर्म का बंधन करते ही रहते हैं। जब जब लाभ में लोभ देखने लग जाते हैं,मिलावट करने लग जाते हैं या गलत फायदा उठा लेते हैं तो लाभ अंतराय कर्म का उदय हो जाता है। समय आने पर यही कर्म इंसान को भिखारी भी बना देता है। यह कृत्य अपने हाथों से ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने के बराबर है।आगमकार कहते हैं कि ईमानदारी से मिलता हुआ दिखाई नहीं देता लेकिन बेईमानी से जो आगे बढ़ रहे हैं समय आने पर उनको भिखारी बनना निश्चित है ।दूसरों के लाभ की इच्छा कभी नहीं करनी चाहिए और जब जब हम ऐसा करते हैं तब तक हम इस कर्म का बंधन बांध लेते हैं।पढ़ाई कर एक दूसरे को प्रभावित करते हैं ।लाभ लब्धि भी एक विशिष्टता है जिससे किसी का अंतराय कर्म भी प्रभावी नहीं रह पाता। हमें कर्मों के बंधन से स्वयं को बचाने का हमेशा प्रयास करते रहना चाहिए।
प्रचार मंत्री सुधीर जैन ने बताया कि डॉ समकित मुनि ने वरिष्ठ श्रावक सुरेश बोहरा को 28वें उपवास के प्रत्याख्यान दिलाये। प्रवचन कार्यक्रम में भवान्त मुनि ,साध्वी विशुद्धि म सा ,साध्वी विशाखा म सा विराजित रहे ।
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