शिक्षा विभाग का स्माइल-2 प्रोजेक्ट शुरू, कोरोनाकाल और मुश्किलों में गुरुजी, बच्चों के घर होमवर्क पहुंचाएंगे, वापस लेने भी जाएंगे
बीकानेर
ऑनलाइन पढ़ाई के साथ बच्चों को करना होगा होमवर्क, जिनके पास डिजिटल पढ़ाई की व्यवस्था नहीं शिक्षक उनके घर जाएंगे
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले पहली से आठवीं तक के बच्चों को अब ऑनलाइन पढ़ाई के साथ-साथ होमवर्क भी करना होगा। जिन विद्यार्थियों के पास डिजिटल संसाधन नहीं हैं, उनके घर जाकर संबंधित शिक्षक गृह कार्य उपलब्ध कराएंगे। स्टूडेंट्स जब होमवर्क पूरा कर लेंगे तो उसे चेक करने के लिए वापस लाने भी जाना होगा।
दरअसल पहली से आठवीं क्लास तक के बच्चों को ऑनलाइन स्टडीज के साथ गृह कार्य उपलब्ध कराने के लिए शिक्षा विभाग ने स्माइल-2 प्रोजेक्ट शुरू किया है। यह गृह कार्य स्माइल की सामग्री के साथ ही कक्षा 1 से 5 तक के लिए सप्ताह में एक बार सोमवार और कक्षा 6 से 8 वीं के लिए सप्ताह में दो बार सोमवार और बुधवार को पहुंचाया जाएगा।
जिन बच्चों के पास डिजिटल संसाधन नहीं है, वहां संस्था प्रधान संबंधित विद्यार्थियों तक होमवर्क पहुंचाने और संकलित करने की व्यवस्था करेंगे। हालांकि स्टूडेंट्स अपने अभिभावकों के साथ कोविड-19 की गाइडलाइन की पालना में स्कूल आकर खुद भी गृह कार्य की सामग्री लेकर वापस जमा करा सकते हैं। माध्यमिक शिक्षा निदेशक सौरभ स्वामी ने इस संबंध में आदेश जारी किए हैं।
स्टूडेंट्स का बनेगा पोर्टफोलियो
कक्षावार बने सोशल मीडिया ग्रुप पर स्माइल की सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी। स्टूडेंट्स की ओर से गृह कार्य अपनी नोटबुक में पूरा करने के बाद उसकी फोटो संबंधित सोशल मीडिया ग्रुप में अपलोड करनी होगी। उसका प्रिंट निकालने के बाद जांच कर कक्षा अध्यापक स्टूडेंटवार पोर्टफोलियो में दर्ज करेंगे। इसे इस सत्र के मूल्यांकन का भाग बनाया जाएगा।
इधर, 9वीं-12वीं के स्टूडेंट्स गाइडेंस लेने आ सकेंगे स्कूल 9वीं से 12वीं कक्षा के स्टूडेंट्स गाइडेंस लेने के लिए स्कूल आ सकेंगे। उन्होंने इसके लिए अपने अभिभावक की लिखित सहमति और कोविड-19 की पालना करनी होगी।
विरोध में उतरे शिक्षक संगठन, बोले-विभाग का निर्णय अव्यावहारिक
घर- घर जाकर बच्चों को गृह कार्य देना और वापस संकलित करने का निर्णय उचित नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षिकाओं के लिए यह कार्य कठिन होगा। विभाग पुन: विचार करे। मनोज कश्यप, प्रदेश उपाध्यक्ष, शिक्षक संघ सियाराम कारोना महामारी के इस समय में बचाव ही उपचार है। शिक्षक स्वयं बच्चों के प्रति सजग हैं। गावों में यह संभव नहीं है। बच्चे स्कूलों से 5-7 किलोमीटर दूर रहते हैं। वैसे भी एक शिक्षक की क्लास में 40-50 बच्चे होते हैं, यह प्रैक्टिकल नहीं है। श्रवण पुरोहित, प्रदेश मंत्री, शिक्षक संघ शेखावत ^ शिक्षक का मोबाइल विभाग का नहीं है। उसका बिल शिक्षक भरता है। स्कूल में जितना शिक्षण करवाना है करवाएं। शिक्षक को छात्र के घर भेजना सही नहीं होगा। महेंद्र पांडे, महामंत्री, राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ। ^ कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप में शिक्षकों एवं अभिभावकों का आवागमन बढ़ना खतरनाक रूप ले सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षक का घर-घर जाकर होमवर्क देने जाना और बाद में होमवर्क कलेक्ट करना मुश्किल होगा। रवि आचार्य, प्रदेश मंत्री शिक्षक संघ राष्ट्रीय।