वीरधरा न्यूज़। चित्तौड़गढ़@डेस्क।
चित्तौड़गढ़ 5 अगस्त “समकित के संग समकित की यात्रा” स्ट्रेसफुल लाइफ का सोल्यूशन की प्रवचन श्रृंखला के क्रम में गुरुवार को खातर महल में वर्चुअल प्रवचन कार्यक्रम में डॉक्टर समकित मुनि ने सूत्र कृतांगसूत्र का अगला सूत्र बताते हुए कहा कि सुख से सुख नहीं मिलता है । सुख से सुख प्राप्त होता है यह अपनी भ्रांति है । जो भी लग्जरी लाइफ जीते हैं या उस लग्जरी लाइफ़ में यकीन रखते हैं उनकी यह धारणा है कि सुख से सुख मिलता है और वह सुख के साधनों का अंबार लगाना प्रारंभ कर देते हैं। उन्होंने एक प्रसंग में बताया कि 3500 हजार करोड रुपए का मालिक डिप्रेशन में चला गया । यदि करोड़ों रुपयों में सुख होता तो उसके पास तो 3500 हजार करोड रुपए थे फिर भी वो सुख प्राप्त नहीं कर सका। पैसे का सुख नकली सुख है। नकली सुखों की कब पोल खुल जाएगी यह पता नहीं लगता है। नकली सुख से असली सुख की कली कभी नहीं खिल सकती है। नोट गिनते गिनते सुख मिल रहा है तो माला फेरने की क्या जरूरत है?इस सोच से मुक्ति की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि नकली सुखों के लिए पापड़ मत बेलो। हमारे लोभ की लालटेन कभी बुझती नहीं है ।हम ऐट को टेन करने में कितने पापड़ बेलने लग जाते हैं । लोभ का कटोरा हमसे न करने वाले सभी काम करा देता है चाहे वह हेराफेरी, चोरी, धोखाधड़ी या अन्य और कोई बुरा कार्य ही हो। लोभ का कटोरा भरने के लिए हमें कई पापड़ बेलने पड़ते हैं । हमारी जिंदगी वन टू का फोर करते-करते बीत गई है। डाक्टर समकित मुनि ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ” मेक इन इंडिया” का उदाहरण देते हुए कहा कि हमें इसी तर्ज पर “मेक एट होम “की पद्धति अपनाये रखनी चाहिये।
प्रचार मंत्री सुधीर जैन ने बताया कि डाक्टर समकित मुनि ने कहा कि हमारे खान पान में “मेक एट होम” की पद्धति जब तक रही तब तक स्वास्थ्य नहीँ गड़बड़ाया पर आज रेडीमेड भोजन से बीमारियां भी बिन बुलाए रेडीमेड रुप से आ रही हैं। उन्होंने कहा कि सफल होना और संतुष्ट होना दो अलग अलग बात है। कोई व्यक्ति सफल होता है तो यह आवश्यक नहीं है कि वह सुखी भी हो परंतु जो संतुष्ट व्यक्ति होगा वह निश्चित रूप से सुखी होगा। रामायण के प्रसंग को उध्दृत करते हुए कहा कि कैकयी भरत को राजा बनाने के लिए पापड बेलकर भी सुखी नहीं हो पाई । यदि करोड़ों में सुख होता तो करोड़पति कभी दुखी नहीं होते । खुश होने के लिए कोई शर्त व नियम नहीं होते हैं इसलिए अपना समय जीवन में समेटने के प्रयास करने में व्यतीत करो बिखेरने में नहीं।कार्यक्रम का संचालन श्रीसंघ मंत्री अजीत नाहर ने किया।