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गुस्साए परिजनों ने उपचार में लापरवाही का आरोप लगाते हुए चित्तौड़गढ़ गाड़ी लोहार स्कूल के पीछे डॉक्टर के घर के बाहर शव रख विरोध किया।

वीरधरा न्यूज़।चित्तौड़गढ़@ डेस्क।

चित्तौड़गढ़। मध्यप्रदेश के जावरा निवासी कोरोना संदिग्ध महिला की तीन दिन यहां बिना अस्पताल में उपचार बुधवार को मौत हो गई। परिजनों व समाजजनों ने शव डॉक्टर के घर के बाहर रखकर हंगामा किया।
गांधीनगर सेक्टर पांच निवासी इकबाल के अनुसार जावरा निवासी रिश्तेदार 55 वर्षीया शाबीरा पत्नी मोहम्मद अली की कुछ दिन से तबीयत खराब थी। गाड़ीलौहार स्कूल के पास रहने वाले परिचित डॉक्टर सुशील मेहता ने बोला कि उसे चित्तौड़ ले आओ, मैं इलाज कर दूंगा। तब 12 अप्रैल को वे शाबीरा को चित्तौड़ ले आए। उसे अस्पताल में रखने के बजाय तीन दिन तक कुंभानगर बाइपास स्थित प्रार्थी की गुलशन वाटिका में रखकर उपचार शुरू किया। बिगड़ती तबीयत में सुधार नहीं हुआ और डॉक्टर उसकी जांच रिपोर्ट गुडगांव से आने की कहता रहा। बुधवार सुबह तबीयत ज्यादा बिगड़ी तो डॉ मेहता ने उसका सिटी स्कैन करवाने को कहा। इस दौरान आक्सीजन लेवल इतना कम हो चुका था कि निजी अस्पताल से तुरन्त उदयपुर ले जाने को कहा। उदयपुर ले जाते समय मौत हो गई। इससे गुस्साए परिजन शव रखी एंबुलेंस लेकर डॉ मेहता के घर पहुंच गए। हंगामें की सूचना पर पहुंची सदर थाना पुलिस व समाजजनों ने समझाई की हालांकि देर शाम तक पुलिस में रिपोर्ट दर्ज नही हुई।

बिना कोरोना जांच के दूसरी जांचों और फीस के रुपए लिए
रिश्तेदार इकबाल के अनुसार डॉ. मेहता अच्छा परिचित होने से उनके भरोसे बीमार रिश्तेदार को यहां ले आया। मेहता ने जांच के नाम पर 3200 और फीस के 1000 रुपए अलग लिए। कल ब्लड सैंपल लेकर गुडगांव लैब में भेजने की बात कही। हमने कोरोना जांच की भी कहा तो डॉक्टर ने मना कर दिया और कहा इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। जबकि लक्षण कोरोना के ही थे।

इधर मामले पर सीएमएचओ डॉ. रामकेश गुर्जर का कहना है कि किसी कोरोना संदिग्ध मरीज का बिना कोविड जांच कराए हर कही रखकर उपचार नहीं किया जा सकता। कोविड सैंपल किसी प्राइवेट अस्पताल में ले सकते हैं, लेकिन जांच के लिए तो जिला लैब में ही भेजना होता है। यदि कोई डॉक्टर या अन्य व्यक्ति अपने स्तर पर मरीजों का उपचार या कोई सैंपल दूसरी जगह जांच के लिए भिजवा रहा है तो गलत है, मामले की जांच करेंगे वही इधर डॉ. सुशील मेहता ने कहा मरीज महिला कोविड संदिग्ध थी। ऑक्सीजन लेवल कम होने से मैंने सिटी स्कैन की सलाह दी। खुद कोई इलाज नहीं किया। शहर के एक निजी हॉस्पिटल से उसे उदयपुर रेफर किया गया। रास्ते में उसकी मौत हो गई। मेरी लापरवाही नहीं रही। आरोप निराधार है।
अब देखना यह कि प्रसासन ओर स्वास्थ्य विभाग इस पर किस प्रकार का संज्ञान लेता है।
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