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भूपालसागर-आकोला में नगरपालिका बनी, लेकिन हालात ग्राम पंचायत से भी बदत्तर सफाई पर 9 लाख खर्च फिर भी गंदगी का नजारा नए ईओ की उदासीनता भी जगजाहिर।

 

वीरधरा न्यूज़।आकोला@ श्री शेख सिराजुद्दीन।

आकोला। आकोला ग्राम पंचायत द्वारा बनाई दर्जनों दुकानों की लाखों में आमदनी होने के बावजूद विकास में पिछड़ गया आकोला। चारों और गंदगी का नजारा, ना साफ-सफाई हो रही और ना ही नालों की सफाई हुई। ग्राम पंचायत से नगरपालिका बनी तब से सफाई कर्मचारियों का लाखों में टेंडर हुआ है, सूत्रों के अनुसार जांच में पाया गया कि तीन माह पहले 9 लाख का सफाई टेंडर हुआ जो 1 नवम्बर को खत्म हो गया। सिर्फ सफाई कर्मचारियों के लिए तीन महा में 9 लाख रूपये सफाई पर खर्च फिर भी गांव में गन्दगी का नजारा जगजाहिर हो रहा है।चित्तौड़गढ जिले के सबसे बड़ी आर्दश ग्राम पंचायत आकोला है जो नगरपालिका बनी, इस नगरपालिका (ग्राम पंचायत) कि दुकानों से लाखों की निजी आय है।  फिर भी नगरपालिका की लापरवाही के कारण प्रमुख स्थानों पर लगे गन्दगी के ढेर स्वच्छता अभियान की पोल खोल रहे है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत के सपने को साकार करने के लिए कई सपने संजोए हुए हैं। लेकिन आकोला नगरपालिका के मौहल्ले व नालियों की गन्दगी कुछ और ही बयां कर रही हैं, पीएम मोदी के मंसूबों पर पानी भी फिर रहा है। गांव मे फैल रही गंदगी स्वच्छ भारत मिशन के तहत खुलेआम उड़ रही धज्जियां। स्वच्छता अभियान को मुह चिढाते नजर आ रही है।
गंदगी का आलम यह है कि नालियों से अटी पड़ी है। और सड़को पर पानी बह रहा है।
दिपावली जैसे सबसे बड़े त्यौहार पर ये नजारा जवाहरनगर में देखा जा सकता है। यही नजारा आकोला के कहीं वार्डों की समस्या बनी हुई है। राज्य सरकार की ओर से ग्राम पंचायत आकोला को नगर पालिका बनाने के साथ उम्मीद लगाई जा रही थी कि कस्बे का विकास होगा, कस्बे के विभाग के साथ नए आयाम भी स्थापित होंगे। शहरी तर्ज पर विकास कार्य और योजनाओं के क्रियान्वयन की व्यवस्था सुनिश्चित होने से आकोला के विकास को पंख लगने की उम्मीद थी। एक वर्ष में 6-7 अधिशाषी अधिकारीयों ने कार्यभार भी संभाल लिया। वर्तमान में ललित सिंह देथा ने कार्यभार संभाला है।लेकिन नगरपालिका अधिशाषी अधिकारी भी गहरी कुंभकरण की नींद में सोये प्रतीत हो रहे हैं। अभी तक नगरपालिका ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। जहां प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री ने आदेश निकाले थे कि गांव शहर में अवैध अतिक्रमण हटाया जाएगा, गौचरनोट को अतिक्रमणकारियों से मुक्त किया जाएगा। लेकिन आकोला नगरपालिका में एक भी कर्मचारी ने ऐसा कोई कदम ही नहीं उठाया। उपखण्ड अधिकारी, तहसीलदार या पटवारी से लेकर चेयरमैन, अधिशाषी अधिकारी या किसी भी कर्मचारी ने अतिक्रमणकारियों से मुक्त करने की जहमत नहीं उठाई। नगरपालिका पूर्णतया कार्य करने में नाकाम साबित नज़र आ रही है। नई नगरपालिका कई माह बीत जाने पर भी नगरपालिका से सुविधा उपलब्ध नहीं हुए हैं।
गांव में गंदगी का आलम बना हुआ है, नगरपालिका के अन्य वाडों में भी लगभग यही नजारा देखने को मिल रहें हैं। चारों और गंदगी से मच्छरों का प्रकोप बढ़ रहा है। वही अभी बरसात का मौसम भी निकल गया, लेकिन नाले की सफाई नही हुई है। नगरपालिका अनदेखी के चलते हुए आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है। वही कई वार्डों में नालियों का पानी की निकासी नहीं होने से सड़क पर गंदा पानी फैल रहा है। गंदगी तो पहले से भी बदतर दिख रही। नगरपालिका की घोषणा के बाद गाँव के हालात ग्राम पंचायत से भी बदतर हो गये हैं। आखिर नगरपालिका अपना जामा पहनाने अंजाम देने में नाकाम साबित क्यों हो रही है, ये बात ग्रामीणों के परे नज़र आ रही है।

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