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नेताजी के साथ अन्य नेताओं ने मिल मामले के साथ पार्टी को भी निपटाया, चुनावों में होगा नुकसान।

 

वीरधरा न्यूज़।चित्तौड़गढ़@ ओम जैन शंभूपुरा।

चित्तौड़गढ़। चित्तौड़गढ़ का बहुचर्चित नेताजी ओर महिला मित्र मामला तो आखिरकार नेताजी ने धन के बल दबा दिया लेकिन इस पूरे मामले में नेताजी ने पार्टी की साख को भी दांव पर लगा दिया है जिसका खामियाजा आने वाले चुनावों में पार्टी को भुगतना पड़ सकता है।
गौरतलब है कि चित्तौड़गढ़ नगर परिषद क्षेत्र के एक नेताजी जिनको जनता ने तो विकास की जिम्मेदारी सौंपी थी लेकिन वो महिला मित्र में ही व्यस्त रहे और इतने व्यस्त हो गए कि शहर की जनता की परेशानियां हो या अपने कार्यकर्ताओं कि समस्या इनका समाधान तो दूर की बात कुछ भी सुनना देखना तक नेताजी ने जरूरी नही समझा, शायद यही वजह रही होगी कि उनके ओर महिला मित्र के सम्बन्धो की प्रेम कहानी शहर में चर्चित हो गई, उन्होंने 5 साल ना जनता का ध्यान रखा ना ही अपने कार्यकर्ताओं का ना जिन्होंने कुर्सी पर बिठाया उनको तवज्जो दी जिसकी वजह से नेताजी अपने भी बुने झाल में ऐसे फंसे की फंसते ही गये हालांकि लक्ष्मी जी ने तो उन्हें बचा ही लिया लेकिन नेताजी ने अपनी प्रतिष्ठा के साथ पार्टी की साख भी दांव पर लगा दी।

ना जिलाध्यक्ष का कोई एक्शन ना पार्टी का आदेश

नेताजी का यह बहुचर्चित मामला पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष तक पहुचा, लेकिन यहाँ बैठे जिलाध्यक्ष के कानों जु तक नही रेकी या फिर मामला कुछ और भी हो सकता है जिसकी वजह से जिलाध्यक्ष भी दब गए हो, वही पार्टी की तरह से भी किसी तरह का कोई एक्शन नही लेने से इन्ही की पार्टी अलग अलग भागो में बंट गई, बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं का दल नाराज हुआ है, ओर जनता ने तो नेताजी की करतूतें देखी ही, जिसकी वजह से आगामी चुनावों में पार्टी को भारी नुकसान होगा इस बात से इंकार नही किया जा सकता है।

महिला सुरक्षा सम्मान सब दांव पर

पूरे मामले में महिला मित्र से झुटकारा पाने के लिए नेताजी इधर उधर दौड़े, सबसे पहले अपने नजदीकी बड़े नेताजी के पास गए जब उन्होंने ऐसी हरकत की वजह से मुंह मोड़ लिया तो इसके बाद नेताजी ने सोच लिया तिजोरी तो भरी है अब येन केन मामले को निपटाना है जिसके बाद अपनी ही पार्टी के एक नेता जो अपने हिसाब से अलग थलग चल रहे थे उनसे जाकर हाथ मिलाया ओर एक बड़े जनप्रतिनिधि की मध्यस्थता के बाद मामले को एक बहुत बड़ी रकम देकर रफा दफा किया जो शायद चित्तौड़गढ़ के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि नेताजी का झगड़ा इतना महंगा टूटा।

आखिर कहा गया शासन प्रशासन

पूरे मामले में कई लोग दूर रहे ओर दूर रहकर भी नेताजी का साथ दिया जिसका कारण बताया गया कि नेताजी ने पद पर रहते हुए काफी उनको सहयोग किया और यहाँ तक कि नेताजी ने कही रेत, सीमेंट तो कही वियतनाम का मार्बल, ईंटे पहुँचाई तो शायद उन लोगो का स्वाभिमान ओर ईमानदारी उसके नीचे दब गई, लेकिन सबसे बड़ी बात यह कि शहर का इतना बड़ा मामला होने के बावजूद पूरा शासन प्रशासन भी शांत रहा जो कि एक सोचनीय विषय है।

नेताजी के इश्क से कई दूर तो कई हुए पास

शहर के इन नेताजी के बढ़ापे के इश्क ने कई लोगों को खुद से दूर कर दिया तो जो कोई दूर गए वो भी पास आ गये, उनकी पार्टी के एक वरिष्ठ नेताजी उनकी इन हरकतों से उनसे किनारा कर गए जिससे नेताजी को काफी अधिक परेशानी झेलनी पड़ी, वही इन्ही की पार्टी के एक नेता जिनका भी चित्तौड़गढ़ में एक अलग ग्रुप चलता है ओर एक बड़े जनप्रतिनिधि उनका आसरा लेना ही नेताजी ने आखिरी सहारे कि लाठी समझा हालांकि उन नेताओं ने भी पहले तो नेताजी की प्रेम कहानी में हवन घी डालने जैसा काम किया लेकिन आखिर नेता है तो अन्य नेता को बचाना ओर ऐसे कर्मकांड करना तो इनकी जैसे फिदरत ही बन गया जैसे तेसे करके मामले को दबाने में शहर के तीन प्रमुख नेता कामयाब रहे, हालांकि नेताओं और महिला मित्र के सम्बंधो में तो पहले भी जिले के कई बड़े बड़े नेता पहले भी काफी सुर्खियों में रह चुके है, इसलिए यह कोई नया मामला नही, नेताओ के लिए यह राजनीति का एक पार्ट बन गया जिससे जिले की राजनीति की स्थिति के साथ दशा और दिशा दोनों तय हो रही है।

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