Invalid slider ID or alias.

आबूरोड़-सॉफ्टबॉल संघ ने राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया।

 

वीरधरा न्यूज। आबुरोड़@ श्री महावीर चन्द्र।

आबूरोड। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की स्मृति में राष्ट्रीय खेल दिवस के उपलक्ष्य में आज सिरोही सॉफ्टबॉल संघ द्वारा रेलवे ग्राउंड आबूरोड़ में सॉफ्टबॉल प्रतियोगिता कराई गई, जिसमे मुख्य अतिथि के रूप में आबूरोड़ शहर के “भामाशाह एवम अग्रवाल समाज के अध्यक्ष नेमीचंद अग्रवाल, मंडल अध्यक्ष भाजपा आबूरोड़ मनीष परसाई स्थानीय पार्षद राधेश्याम शाक्य एवम पूर्व राष्ट्रीय खिलाड़ी खेताराम उपस्थित रहे।सिरोही सॉफ्टबॉल संघ के सचिव दिपेश अग्रवाल ने बताया की आज ‘हॉकी के जादूगर’ मेजर ध्यानचंद की 119वीं जयंती है। 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद में जन्मे ध्यानचंद की जयंती पर हर साल देश में 29 अगस्त को खेलदिवस मनाया जाता है। हर साल की भांति इस बार भी राष्ट्रीय खेल दिवस के उपलक्ष्य में सॉफ्टबॉल की प्रतियोगिता कराई गई।जिसमे 6 बालक वर्ग व 4 बालिका वर्ग की टीमो ने भाग लिया।बालक व बालिका दोनो वर्गों में किवरली टीम विजेता रही वही बालक वर्ग में गांधीनगर आबूरोड़ टीम,व बालिका वर्ग में रेलवे कॉलोनी आबूरोड़ टीम उपविजेता रही।सभी खिलाड़ियों को पुरुस्कार वितरण किये गए।जिन टीमो ने भाग लिया था,उन्हें सांत्वना पुरस्कार एवम मेडल दिए गए।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अग्रवाल समाज के अध्यक्ष नेमीचंद अग्रवाल ने बताया की भारत के राज्यों में शारीरिक गतिविधियों और खेलों के महत्व को लेकर जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से आज के दिन कई खेल प्रतियोगिताएं और सेमिनार आयोजित किए जाते हैं। 2018 में इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खेलो इंडिया मूवमेंट की शुरुआत की थी। आज के दिन ही देश के प्रतिभाशाली एथलीट्स को कई तरह के खेल पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है। इनमें राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन पुरस्कार, ध्यानचंद पुरस्कार और द्रोणाचार्य पुरस्कार जैसे पुरस्कार शामिल हैं। राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक विशेष समारोह में इन एथलीट्स को सम्मानित किया जाता है। मण्डल अध्यक्ष भाजपा मनीष परसाई ने कहा देश ने सचिन तेंदुलकर, धनराज पिल्लै, बलबीर सिंह सीनियर जैसे खेल के कई सुपरस्टार देखे हैं, लेकिन हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का भारत में खेलों को शीर्ष पर पहुंचाने का विशेष योगदान है।द्वितीय विश्व युद्ध से पहले तक भारतीय हॉकी टीम का दुनियाभर में दबदबा हुआ करता था। इसमें ध्यानचंद जी का खास योगदान था। उन्होंने 1928, 1932 और 1936 के ओलंपिक में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और ओलंपिक स्वर्ण पदक की हैट्रिक पूरी की थी। ओलंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने आठ स्वर्ण पदक समेत कुल 13 पदक जीते हैं, लेकिन 1936 के बर्लिन ओलंपिक का स्वर्ण कुछ ज्यादा ही खास है। 1936 में 15 अगस्त के ही दिन भारत ने तानाशाह हिटलर के सामने दद्दा ध्यानचंद की अगुआई में जर्मनी को 8-1 से हराकर स्वर्ण पदक जीता था। ध्यानचंद के खेल से हिटलर इतना प्रभावित हुआ था कि उसने उन्हें नागरिकता देने तक का मन बना लिया था। लेकिन ध्यानचंद बिल्कुल डिगे तक नहीं। 1936 ओलंपिक उनका आखिरी ओलंपिक था। उन पर कई आरोप भी लगे, लेकिन ये आरोप कभी सिद्ध नहीं हो पाए।
भाजपा के स्थानीय पार्षद राधेश्याम शाक्य ने कहा कि ध्यानचंद जी ने करीब 22 साल तक भारत के लिए हॉकी खेला और इस दौरान 400 से अधिक इंटरनेशनल गोल दागे। उन्होंने लगातार तीन ओलंपिक (1928 में एम्सटर्डम, 1932 में लॉस एंजेलिस और 1936 में बर्लिन) में भारत को हॉकी खेल में अपने दम पर स्वर्ण पदक दिलाया था। मेजर ध्यानचंद के पिता सेना में थे और उसके लिए हॉकी खेलते थे। महज 16 वर्ष की उम्र में ध्यानचंद ने भी आर्मी जॉइन कर ली थी। इसी दौरान उन्हें भी मानो जैसे हॉकी से प्रेम ही हो गया था। ध्यानचंद को दुनिया में लगभग 55 देशों के 400 से अधिक पुरस्कार प्राप्त हुए थे।
ऐसा माना जाता है कि मेजर ध्यानचंद हॉकी खेलते थे, तो मानो गेंद उनकी स्टिक से चिपक जाती थी। इस आशंका को दूर करने के लिए हॉलैंड (नीदरलैंड) में एक मैच के दौरान उनकी हॉकी स्टिक को तोड़कर चेक किया गया था। यह दर्शाता है कि विपक्षी उनसे किस हद तक डरते थे। इतना ही नहीं, जापान में भी एक मैच के दौरान उनकी स्टिक में गोंद लगे होने की बात भी कही गई थी। हालांकि, ऐसा कभी कुछ साबित नहीं हुआ। ध्यानचंद अपने उसूलों और नियमों के भी काफी पक्के थे।
सॉफ्टबॉल के प्रशिक्षक थानसिंह जी देवड़ा एवम पूर्व राष्ट्रीय खिलाड़ी खेताराम जी ने बताया कि एक मैच में लगातार कईं प्रयासों के बाद भी ध्यानचंद गोल करने में नाकाम रहे। ऐसा उनके साथ पहले कभी नहीं हुआ था। वो बार-बार कोशिश करते पर गेंद गोल पोस्ट के अंदर नहीं डाल पाए। ध्यानचंद के खेल पर न तो दर्शकों और न ही किसी खिलाड़ी को शक था। आखिरकार उन्होंने गोल पोस्ट की लंबाई को लेकर रेफरी से शिकायत की। उनकी इस शिकायत पर सब हैरान थे। हॉकी के खेल इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। ध्यानचंद की शिकायत पर जब गोल पोस्ट को नापा गया, तो नियमों के मुताबिक गोल पोस्ट छोटा पाया गया।
इस दौरान अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी नेहा जैन ने सॉफ्टबॉल के राष्ट्रीय खिलाड़ी अशोक कुमार,हिम्मत कुमार एवम गोविंद कुमार को मोमेंटो देकर सम्मानित किया,साथ ही सभी मंचासीन अतिथियो एवम खिलाड़ियों का प्रतियोगिता में आने के लिए धन्यवाद कहा।इस दौरान सिरोही सॉफ्टबॉल संघ के सचिव दिपेश अग्रवाल, सहसचिव अब्दुल कायमखानी,अभिषेक शर्मा, पूर्व सॉफ्टबॉल प्रदेश कोषाध्यक्ष सुनील जैन,कोच गौतम मीणा,प्रवीण सिंह किवरली, मगन मीणा,भवानी कुमार आदि उपस्थित रहे।

Don`t copy text!