राजस्थान साहित्य अकादमी और मेवाड़ विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में लेखक से मिलिए कार्यक्रम संपन्न भारतीय संस्कृति से युवाओं को जोड़े रखना जरूरी: अनिल सक्सेना।
वीरधरा न्यूज़। चित्तौडग़ढ़@डेस्क।
चित्तौडग़ढ़। आज का युवा हिंदुस्तानी संस्कृति से विमुख हो रहा है और इसी कारण उसे कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है। हमें युवाओं को अपनी महान संस्कृति से जोड़े रखने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए।
यह बात शुक्रवार को राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर और मेवाड़ विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में विश्वविद्यालय के महाराणा प्रताप सभागार में आयोजित लेखक की बात कार्यक्रम में राजस्थान साहित्यिक आंदोलन के जनक लेखक अनिल सक्सेना ने कही। उन्होंने कहा कि राजस्थान साहित्यिक आंदोलन के द्वारा प्रदेश के कस्बाई इलाकों तक में जाकर हम युवाओं को जोड़ने का कार्य कर रहें हैं।
कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्वलन से हुई। विश्वविद्यालय के डीएलडी विभाग की प्रिन्सिपल प्रोफेसर डाॅ. पूजा गुप्ता ने अतिथियों का स्वागत किया। इसके बाद डीएलडी विभाग के प्रोफेसर डाॅ. महेश दुबे ने अपने स्वागत उद्बोधन में वरिष्ठ पत्रकार लेखक अनिल सक्सेना की साहित्यिक यात्रा पर प्रकाश डाला। राजस्थान साहित्य अकादमी के सचिव डाॅ. बसंत सिंह सोलंकी ने कार्यक्रम के उद्देश्य के बारें में जानकारी दी।
वरिष्ठ पत्रकार-लेखक सक्सेना की साहित्यिक यात्रा
कार्यक्रम के पहले सत्र में जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ उदयपुर की रिसर्च असिस्टेंट डाॅ. रीना मेनारिया ने लेखक अनिल सक्सेना से साहित्य और पत्रकारिता पर सवाल किये और उनके द्वारा हाल ही में लिखी पुस्तक ‘आख्यायिका‘ की कहानियों पर चर्चा की। सत्र के दौरान सक्सेना ने पत्रकारिता में साहित्य का प्रभाव , पत्रकारिता पहले और अब जैसे सवालों का जवाब देते हुए भारतीय संस्कृति के महत्व को बताया।
विद्यार्थियों के साथ अध्यापकों ने भी सवाल पूछे
कार्यक्रम के दुसरे संवादात्मक सत्र में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की भावी पत्रकार अनुराधा कुमारी, हना दास, सेन्ड्रा संजीव आदि विधार्थियों ने पत्रकारिता एवं साहित्य से जुड़े कई सवाल पूछे। इसके साथ ही अध्यापकों ने भी भारतीय साहित्य, संस्कृति और पत्रकारिता पर सवाल किये। सक्सेना ने अपने जवाबों से सभी की जिज्ञासाओं को शांत किया। समापन सत्र में अतिथियों ने विश्वविद्यालय में स्थित गाॅंधी संग्रहालय, मेवाड़ संग्रहालय, स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय, पत्रकारिता एवं जनसंचार संकाय के विभिन्न ऑडियो, ऑडियो-विजुअल स्टूडियो तथा न्यूज रूम का दौरा किया।
विश्वविद्यालय के विजन ‘रीच टू अनरीच‘ की प्रशंसा
इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार सक्सेना ने पत्रकारिता के कोर्सेज की फीस पूछी तो वे आश्चर्यचकित हो गए। उन्होंने विश्वविद्यालय के विजन ‘रीच टू अनरीच‘ की प्रशंसा करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय जरूरतमंद बच्चों के लिए बहुत अच्छा कार्य कर रहा है, जो सराहनीय है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि सेन्ट्रल अकादमी स्कूल के प्राचार्य परेश नागर, शिक्षाविद शांति सक्सेना, यूथ मूवमेंट राजस्थान के संस्थापक शाश्वत सक्सेना थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता राजस्थान साहित्य अकादमी के सचिव डाॅ. बसंत सिंह सोलंकी ने की। विश्वविद्यालय के फिजियोथैरेपी की असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ. अंजली त्रिपाठी ने सत्र का संचालन किया। सामाजिक विज्ञान व मानविकी संकाय की डीन प्रो. डाॅ. सोनिया सिंघला ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, अध्यापकगण और विद्यार्थी मौजूद रहे।