राजस्थान में 6 से 8 लाख में बच्चों का सौदा, पसंद नहीं आया तो वापस करने की गारंटी देते हैं, 1 साल में 20 मासूम बेचे।
वीरधरा न्यूज़। उदयपुर@ डेस्क।
उदयपुर।राजस्थान में नवजातों के खरीद-फरोख्त का बड़ा रैकेट चल रहा है। 6 से 8 लाख रुपए में इनका सौदा हो रहा है। गरीबों के बच्चों को अमीरों से मोटी रकम लेकर बेचा जा रहा है। मासूमों की डिलीवरी दिल्ली, हैदराबाद, गुजरात, मध्य प्रदेश तक में हाे रही है। दलाल आदिवासियों से 20 से 40 हजार रुपए में 7 दिन से लेकर 1 महीने तक का नवजात खरीदकर नि:संतान दंपतियों काे 8 लाख रुपए तक में बेच रहे हैं।
इसकी मीडिया ने पड़ताल की पूरा सिस्टम समझने के बाद दिल्ली के दलालाें से बच्चा खरीदने के लिए संपर्क किया। 25 दिन के नवजात के लिए दलाल ने 8 लाख रुपए मांगे। इसके बाद साैदा 6 लाख में तय हुआ।
पुख्ता करने के लिए दलाल ने वॉट्सऐप पर नवजात का वीडियो भी भेजा। इसके बाद रिपोर्टर ने देखने की इच्छा जताई ताे दिल्ली के दलाल मनोज ने दिखाने के 20 हजार रुपए लिए। फिर उदयपुर जिले की दलाल राजकुमारी और तनु पटेल के साथ गुलाबबाग (उदयपुर) में नवजात काे रिपाेर्टर के हाथों में सौंप दिया।
संवाददाता एक एनजीओ कार्यकर्ता को पत्नी बनाकर बच्चे से मिलने गया था। पड़ताल में सामने आया कि उदयपुर के आदिवासी अंचल से एक साल में 20 नवजात बेचे गए। सबसे ज्यादा बच्चे फलासिया, बागपुर, झाड़ोल व कोटड़ा से बिके। आईवीएफ सेंटर और अस्पतालों के कनेक्शन से नि:संतान दंपतियों को दलाल फंसाते हैं।
ऐसे चलता है रैकेट
राजकुमारी इस रैकेट की मुख्य किरदार है। यही आदिवासियों से संपर्क करती है और आईवीएफ सेंटर की लड़कियों से जान-पहचान रखती है।
भैरूलालः नवजात खरीदने के लिए गरीबाें काे फांसता है।
मनोज वर्माः नोएडा का रहने वाला है। हैदराबाद-कर्नाटक तक संपर्क है।
शाहिना: हैदराबाद की रहने वाली है। ये दो लाख में नवजात खरीदकर बेचती है।
राधा साहू: चाइल्ड केयर सेंटर, हिरण मगरी (उदयपुर) में काम करती है। राजकुमारी से इसका कनेक्शन है। बच्चा खरीदने के बाद राधा के पास रखते हैं।
एक्सपर्ट बोले- यह गैरकानूनी
राजस्थान के बाल सुरक्षा संगठन के संयोजक बीके गुप्ता बताते हैं कि कानूनी ताैर पर किसी का बच्चा आपसी सहमति के बाद भी नहीं रखा जा सकता है। धारा-370 में बच्चा खरीदने और बेचने पर दाेनाें के खिलाफ मुकदमा दर्ज हाेता है। इसमें 10 साल से लेकर आजीवन सजा का प्रावधान है। बच्चा गोद लेने के लिए भी केंद्रीय दत्तक ग्रहण संस्थान (कारा) की साइट पर रजिस्ट्रेशन करना होता है। फिर राज्य स्तरीय दत्तक ग्रहण संस्थान (सारा), जिला स्तरीय दत्त ग्रहण संस्थान (शा), जिला बाल कल्याण समिति व जिला बाल संरक्षण इकाई मिलकर गोद देने की प्रक्रिया पूरा करती है।