वीरधरा न्यूज़। नागौर @ श्री प्रदीप डागा।
नागौर। नागौर शहर के रेल्वे स्टेशन पर स्थित भगवान चंन्द्रप्रभु मंदिर से सुबह 8-30 बजे खरतरगच्छ आचार्य पीयूष सागर सुरिश्वर ठाणा 18 सहित गाजे बाजे के साथ में हुआ भव्य मंगल प्रवेश हुआ। जो कि शहर के मुख्य मार्ग नया दरवाजा, बंगाणी गली, सावा की गली, सुराणा की बड़ी पोल दफ्तरीयो की गली, घोडावतो की पोल, लोढ़ा की पोल, लोढ़ा का चौक, डागावाडी़ होतें हुए काली पोल स्थित कनक अराधना भवन पहुंचे. जगह जगह पर आचार्य के स्वागत के लिए चावलों गवली बनाई गई। जहाँ पर मंगल प्रवेश का वडघोडा़ धर्मसभा में परिवर्तन हो गया। जैन संत आचार्य पीयूष सागर सुरिश्वर ने सबसे पहले नवकार मंत्र का मंगलाचरण किया। इस अवसर पर महिला विचक्षण मंडल के द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया।
जैन संत आचार्य पीयूष सागर सुरिश्वर ने कहा कि संसार के जीवो को सुखी करने के धर्म की स्थापना का उद्देश्य है। हम धर्म क्रिया कितने भी कर ले जबतक धर्म को नहीं समझते हैं। परमात्मा के बताए हुए मार्ग को अपना लेते हैं वो जीव अपने आत्मा से मुक्ति पा लेते हैं। आचार्य श्री ने कहा कि
व्यक्ति चार प्रकार के होते हैं अपने माने हुए सुख को मानते हैं।
परमात्मा के माने हुए सुख को तो मानते ही हैं, किन्तु अपने माने हुए सुख को ही मुख्य मानते हैं।
लेकिन परमात्मीय सुख के लिए अपने सुख का बलिदान दे देता है। परमात्मा के बताए हुए सुख को ही सुख मानते हैं
आचार्य ने कहा कि हमें परमात्मा से तुच्छ सुख नहीं मांगना है। सुख के भंडार को ही पा लेना है। पुर्ण रूप से प्रभु मिले हैं जो संसार दुख से ही बहार निकाल सकते हैं। हम परमात्मा के सहारे दुखों का अतं लाना है।
आचार्य श्रीपीयूष सागरसुरिश्वर 7 तक जुन नागौर में ही प्रवास रहेगा। इस दौरान सुबह 9 से 10 बजे तक प्रवचन होगें।
नागौर में खरतरगच्छ श्री संघ में पहली बार एक साथ में 18 जैन संतों का भव्य मंगल प्रवेश हुआ है। इस अवसर पर जैन समाज के स्त्री- पुरुष एंव बच्चे मौजूद थे।