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मेवाड़ यूनिवर्सिटी पर लगाए गए सभी आरोप निराधारः डॉ. गदिया।

 

वीरधरा न्यूज़। गंगरार@डेस्क।

गंगरार। बेबुनियाद तथ्यों से मेवाड़ विश्वविद्यालय पर लगाए गए सभी आरोप निराधार है, इनका यूनिवर्सिटी से कोई लेना देना नहीं है। विगत दिनों दर्ज हुए फर्जी डिग्री वाले मामले में अनावश्यक रूप से मेवाड़ विश्वविद्यालय का नाम षड़यंत्रपूर्वक जोड़ा गया जबकि दूर-दूर तक उक्त मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन का कहीं कोई लेना देना नहीं हैं। एसओजी कीे विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा जॉच में पूर्ण सहयोग किया गया। वही उक्त प्रकरण में लिप्त कार्मिको की संदिग्ध भूमिका पर उन्हे निलम्बित कर दिया गया हैं। मेवाड़ विश्वविद्यालय में चल रहा पशुपालन का कोर्स पूर्ण रूप से मान्यता प्राप्त है। इस कोर्स का संचालन राजस्थान विधानसभा द्वारा पारित मेवाड़ विश्वविद्यालय अधिनियम 2009 के परिशिष्ठ 2 के क्रम संख्या 9 पर अंकित ”कृषि एवं पशु चिकित्सा विज्ञान” संकाय के आधार पर किया गया था। पशुपालन का कोर्स कृषि संकाय का ही एक अभिन्न हिस्सा है। यह कोर्स यूनिवर्सिटी में वर्ष 2017 से वर्ष 2020 तक चलाया गया था जबकि इसके लिए राज्य सरकार द्वारा मान्यता से संबंधित नियम वर्ष 2022 में निर्धारित किए गए थे। उक्त विचार मेवाड़ विश्वविद्यालय में आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस में सोमवार को मेवाड़ विश्वविद्यालय के चेयरमैन डॉ. अशोक कुमार गदिया ने पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय पूर्णतया नियमानुसार संचालित हैं।  हमारा उद्देश्य गरीब से गरीब तबके के बच्चों को शिक्षा प्रदान कराना हैं।
उन्होंने कहा कि सुदुर गॉव, राज्य और देश के गरीब नौजवानों एवं गरीब विद्यार्थियों को आज के जमाने की शिक्षा देना ही मेरा उद्देश्य हैं। पूर्वोत्तर, झारखंड, बिहार जैसे कई राज्यों समेत विभिन्न देशों से हजारों छात्र यहां शिक्षा ग्रहण कर रहे है। चिकननेक के किशनगंज जिले में भी शिक्षा की रोशनी पहुंचाई है। हमारे द्वारा विश्वविद्यालय स्थापना से लेकर अब तक 100 करोड़ रूपयों की छात्रवृति बच्चों को प्रदान की जा चुकी हैं। वही विश्वविद्यालय में वर्तमान में 29 राज्यों और 20 देशों के विद्यार्थियों में से 75 प्रतिशत बच्चे एससी, एसटी व अल्पसंख्यक बच्चे पढ़ते हैं। वहीं 90 प्रतिशत ऐसे विद्यार्थी है जो ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब तबके से ताल्लुक रखते है। कश्मीरी छात्रों के पढने के सवाल पर डॉ. गदिया ने कहा कि कश्मीर में पत्थरबाजी में उलझे युवाओं के हाथों में मेवाड़ विश्वविद्यालय ने कलम थमाई है। केवल धारा 370 हटाने से ही कशमीर का देश में विलय नहीं हो गया। वहॉ के बच्चों को जब तक शिक्षा प्राप्त नहीं होगी तब तक वे आतंकवाद की तरफ ही भागते रहेंगे। कशमीरी बच्चों को शिक्षा देने के उद्देश्य से उनके विश्वविद्यालय में अब तक लगभग 3000 से भी अधिक बच्चों ने शिक्षा प्राप्त कर ली हैं और वे अब आतंकवाद से काफी दूर किसी न किसी कम्पनी में काम कर रहे हैं। उन्होने कहा कि वर्तमान में पाई जाने वाली बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, जातिवाद, वर्गवाद, साम्प्रदायिकवाद, आतंकवाद, गुडागर्दी, नशाखोरी सहित महिलाओ पर अत्याचार को रोकने व जड़ से मिटाने के लिये युवा पीढ़ी को ठीक से शिक्षित-प्रशिक्षित किया जाना आवश्यक हैं। युवाओं को रोजगार से जोड़ा जाए, उनके मन में देशभक्ति का भाव व सामाजिक विषयों पर संवेदनशीलता का भाव पैदा हो, उसकी समुचित व्यवस्था की जानी चाहिए। उन्होने कहा कि मेवाड़ विश्वविद्यालय में 75 प्रतिशत से अधिक अंक लाने वाले समस्त बच्चों को विश्वविद्यालय द्वारा छात्रवृति प्रदान की जायेगी। आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान डॉ. गदिया ने मेवाड़ विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों एवं देश के विभिन्न राज्यों के छात्रों के बारे में जानकारी दी। आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान मेवाड़ एजुकेशन सोसायटी के अध्यक्ष गोविन्द लाल गदिया, कुलपति डॉ (प्रो.) आलोक मिश्रा, पूर्व कुलपति आनन्दवर्धन शुक्ला, रजिस्ट्रार प्रदीप डे, ओएसडी एच विधानी, डायरेक्टर डॉ. (प्रो.) लोकेश शर्मा और हरीश गुरनानी समेत अन्य स्टाफ मौजूद रहा।

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