वीरधरा न्युज।नागौर @ श्री प्रदीप कुमार डागा।
नागौर।वैदिक मंत्रों के साथ योगासन, दंड, यष्टि, नियुद्ध, योगचाप का प्रदर्शन करती बालिकाओं व मातृशक्ति ने घोषवादन के साथ विभिन्न रचनाओं का प्रदर्शन किया। यह ओजपूर्ण दृश्य साकार हुआ शारदा बालिका निकेतन उच्च माध्यमिक विद्यालय, शारदापुरम, नागौर के प्रांगण में जहां 15 दिवसीय प्रवेश वर्ग के प्रशिक्षण वर्ग का समापन हुआ।मंच पर मुख्य अतिथि के रूप में कविता भाटी सहायक आचार्य – वनस्पति शास्त्र का भी मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। एकल गीत व सामूहिक गीत का गायन किया गया। प्रवेश वर्ग वर्गाधिकारी कल्पना शेखावत ने वर्ग की जानकारी देते हुए बताया कि जोधपुर प्रान्त के 7 विभागों के 20 जिलों के साथ जयपुर प्रांत और मध्यप्रदेश से कुल मिलाकर 69 स्थानों से 155 शिक्षार्थी सहित कुल 210 बहनों ने भाग लिया। इस प्रवेश वर्ग में जयपुर प्रांत से 15 बहनें और एक बहन इंदौर से भी आई हैं जिन्होंने सभी सेविकाओं के साथ प्रशिक्षण प्राप्त किया है।प्रान्त कार्यवाहिका डॉ.सुमन रावलोत ने क्षेत्र में समिति द्वारा की जा रही गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।समारोह में प्रान्त प्रचारिका ऋतु शर्मा व प्रान्त कार्यकारिणी की उपस्थित रही। वर्ग कार्यवाहिका मंजु गहलोत ने सभी का आभार जताया। राष्ट्र सेविका समिति के इस प्रशिक्षण वर्ग के समापन समारोह व प्रदर्शन को देखने के लिए बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।कार्यक्रम की अध्यक्षता नेहरू युवा केंद्र की जिला समन्वयक सुरमयी शर्मा द्वारा की गई।
विभाग कार्यवाहिका मीना श्रीमाली द्वारा अतिथियों का परिचय करवाया गया।
इस अवसर पर जोधपुर प्रांत कार्यवाहिका डा सुमन रावलोत, संत जानकी दास महाराज, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला संघचालक मुकेश भाटी, सेविका समिति की जोधपुर प्रांत संपर्क प्रमुख कृष्णा द्विवेदी, प्रांत सह संपर्क प्रमुख धनपूर्णा, प्रांत सेवा प्रमुख विमला रांकावत की भी उपस्थिति रही।मुख्य वक्ता के रूप में समिति की अखिल भारतीय सम्पर्क प्रमुख पूनम शर्मा ने समिति की स्थापना, कार्य व उद्देश्य के बारे में जानकारी दी। पूनम दीदी ने कहा भारत भूमि, देव भूमि पुण्य भूमि है। इसकी सीमाएं अफगानिस्तान तक फैली हुई थी। बप्पा रावल, चंद्रगुप्त मौर्य कृष्णदेव राय, महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी व पृथ्वीराज चौहान को याद करते हुए उन्होंने कहा कि इनके शौर्य, पराक्रम और त्याग से ही अपना हिंदुत्व बचा रहा है। राम मंदिर की स्थापना को याद करते हुए उन्होंने कहा कि अपने राष्ट्र के प्रेरणा पुरुष श्रीराम के जन्म स्थान को बचाने के लिए हिंदुओं ने लंबा संघर्ष और बलिदान दिया है। दीदी पूनम ने कहा कि राम मंदिर से अब पूरा राष्ट्र ही राम राज्य की तरफ से बढ़ेगा। इससे परिवार व्यवस्था मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि अपने संस्कृति का संवर्धन व जो कुछ सिखा है उसका अपने कार्य क्षेत्र में उपयोगिता संकल्प लेकर जाएंगे तो रामराज्य में सहयोग होगा मुख्य वक्ता पूनम दीदी ने अपने संबोधन में कहा कि विगत वर्षों में भारत द्वारा चंद्रयान भेजा गया। उसमें प्रारंभिक चरण के तहत स्पार्क या अग्नि प्रज्वलित की जाती है जो यान को आगे भेजने का कार्य करती है। विभिन्न बूस्टर के माध्यम से इस यान को विभिन्न चरणों में गति के साथ आकाश की ओर प्रेषित किया जाता है। इसी प्रकार समिति का लंबा अभियान है जिसमें स्पार्क या अग्नि प्रचलित करना समिति की दैनिक शाखा है और प्रशिक्षण के माध्यम से बूस्टर का कार्य किया जाता है। उन्होंने कहा कि 1936 में वंदनीया मौसीजी द्वारा समिति की स्थापना की गई। इतने वर्षों में भी जन-जन के मानस को जगाने का कार्य समिति के माध्यम से पूर्ण क्यों नहीं हुआ यह प्रश्न उठता है ? उन्होंने कहा कि वटवृक्ष प्रारंभिक वर्ष में बहुत समय उगने में लेता है लेकिन बाद के वर्षों में पूर्ण होने के बाद उसकी टहनियों से ही जङें निकल भूमि के अंदर प्रवेश कर जाती है। समिति का कार्य भी वट वृक्ष के समान हैं। तूफान व झंझावातों को संस्कार, प्रशिक्षण व शिक्षा के द्वारा सहन करना है। समिति द्वारा सेविकाओं को स्वयं खड़े होना उसके पश्चात पश्चात समाज को खड़ा करने का कार्य है। उन्होंने कहा कि भारत प्राकृतिक के साथ सांस्कृतिक संपदा वाला देश रहा है जिस पर मुगल व अंग्रेजों के काल में मंदिर नष्ट करना, तलवार के बल पर धर्मांतरण करना आदि के द्वारा सांस्कृतिक संपदा को नष्ट किया गया। अंग्रेजों द्वारा संस्कारक्षम शिक्षा पर आघात करके गुरुकुल पद्धति को समाप्त किया गया तथा वर्तमान समय में भी शिक्षा के माध्यम से पाश्चात्य संस्कृति पुष्ट कर हमारी संस्कृति व इतिहास का क्षरण किया गया। स्वतंत्रता पश्चात पुनः गौरवशाली अतीत पर नवनिर्माण का उद्देश्य पूरा नहीं हुआ। आज इसी प्रभाव को बदलने का कार्य वेशभूषा के साथ व्यवहार बदलने से हो रहा है। हम हमारे गौरवशाली विरासत को अगली पीढ़ी तक ले जाने के श्रेष्ठ कार्य को समिति के माध्यम से संपादित करें यही इस प्रशिक्षण वर्ग की सार्थकता है।उन्होंने राम मंदिर राष्ट्र मंदिर व झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की वीरता और उनके नेतृत्व का उल्लेख किया।अहिल्याबाई होलकर जीजाबाई आदि से प्रेरणा लेने का आह्वान किया।