वीरधरा न्यूज़। चित्तौडग़ढ़@डेस्क।
चित्तौडग़ढ़।अनुसुचित जाति-उप योजना भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित आजीविका बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक विधि से मुर्गीपालन विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केन्द्र चित्तौडगढ द्वारा दिनांक 08 मार्च, 2024 को आयोजन किया गया। जिसमें बड़ीसादड़ी पंचायत समिति के सुथारो का खेड़ा एवं कचुमरा गांव से अनुसुचित जाति के 50 कृषक एवं कृषक महिलाओ ने भाग लिया।
केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. रतनलाल सोलंकी, कृषि विज्ञान केन्द्र, चित्तौड़गढ़ की योजना के उदेश्यो एवं लाभ से अवगत कराते हुए किसानों कों बताया कि जैविक खादों- कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट व वर्मी वाश (द्रव खाद) को तैयार करने की तकनीकी प्राप्त की इस दोरान प्रशिक्षणार्थियो को अपने स्तर पर जैविक खाद वर्मी कम्पोस्ट बनाना सिखाया गया जो कि सिमित संस्थानो एवं कम लागत में युवा जैविक खाद तैयार करने का उधम अपने स्तर पर लगाकर रोजगार प्राप्त कर सकता है अर्थात तैयार खाद को खेत में फसल उत्पादन में उपयोग कर अधिक उत्पादन ले सकता है, साथ ही वैज्ञानिक विधि से मुर्गीपालन करके अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकता है।
डॉ. अंकलेश कटारा, टिचिंग एसोसिएट, पशु विज्ञान केन्द्र, चित्तौड़गढ़ ने प्रशिक्षण के दौरान मुर्गी पालन की उन्न्त नस्ल, प्रजनन प्रबंधन, आहार एवं आवास प्रबंधन एवं स्वास्थ्य प्रबंधन के बारे में बताया साथ ही मुर्गियो में होने वाली प्रमुख बिमारियो एवं उनकी रोकथाम के बारे में विस्तृत तकनीकी जानकारी दी। संजय कुमार धाकड़, तकनीकी सहायक ने कृषक एवं कृषक महिलाओ को मुर्गीपालन इकाई का भ्रमण कराकर प्रायोगिक जानकारी दी तथा अन्त में प्रशिक्षण में भाग लेने वाले अनुसुचित के कृषक एवं कृषक महिलाओ को धन्यवाद अर्पित किया।