वीरधरा न्यूज़। चित्तौडग़ढ़@डेस्क।
चित्तौड़गढ़। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के अन्तर्गत जनजातीय उप योजना भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन एवं उनका फसल उत्पादन में प्रयोग पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केन्द्र चित्तौडगढ़ पर 4 मार्च को आयोजन किया गया। कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा आयोजित यह प्रशिक्षण वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन एवं उनका फसल उत्पादन में प्रयोग पर आधारित था जिसमें बड़ीसादड़ी पंचायत समिति के जनजाति क्षेत्र के किटखेड़ा, सबलपुरा, आर सी खेड़ा, आदि गांवो से 50 कृषक एवं कृषक महिलाओ ने भाग लिया। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. रतनलाल सोलंकी, ने केन्द्र की विभिन्न गतिविधियो एवं जैविक खेती के उदेश्य एवं महत्व पर प्रकाश डाला साथ ही जैविक खेती में उपयोग की जाने वाली जैविक कार्बनिक खादों जैसे कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट, वर्मी वॉश, डी कम्पोजर, बीजामृत, एवं पंचगव्य आदि के उपयोग पर चर्चा की। साथ ही केविकं की प्रर्दशन इकाई वर्मी कम्पोस्ट इकाई में जैविक खाद वर्मी कम्पोस्ट एवं वर्मी वॉश बनाने की प्रायोगिक जानकारी से अवगत कराया ताकि जनजाति कृषक जैविक खाद वर्मी कम्पोस्ट घरेलू, स्तर पर ही तैयार कर सके। राजाराम सुखवाल, उपनिदेशक, सीताफल उत्कृष्टकता केन्द्र, चित्तौड़गढ़ ने प्रशिक्षण के दौरान किसानो को बताया कि वर्मी कम्पोस्ट भूमि की उर्वरकता, वातायनता को तो बढ़ाता ही हैं, साथ ही भूमि की जल सोखने की क्षमता में भी वृद्धि करता हैं। वर्मी कम्पोस्ट वाली भूमि में खरपतवार कम उगते हैं तथा पौधों में रोग कम लगते हैं। वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग करने वाले खेतों में अलग अलग फसलों के उत्पादन में 25-30: तक की वृद्धि हो सकती हैं। वर्मी कम्पोस्ट युक्त मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश का अनुपात 5:8:11 होता है अतः फसलों को पर्याप्त पोषक तत्व सरलता से उपलब्ध हो जाते हैं। वर्मी कम्पोस्ट मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की वृद्धि करता है तथा भूमि में जैविक क्रियाओं को निरंतरता प्रदान करता हैं। यह खेत में दीमक एवं अन्य हानिकारक कीटों को नष्ट कर देता हैं। इससे कीटनाशक की लागत में कमी आती हैं।
देव शंकर झा, भण्डार श्री प्रबंन्धक, राज्य भण्डार गृह, चित्तौड़गढ़ ने कहा कि वर्मीकम्पोस्ट खाद का व्यवसायिक स्तर पर भण्डारण के लिए छायादार शेड उपलब्ध होना आवश्यक है, ताकि तैयार खाद को एकत्र कर उचित नमी बनाये रखते हुए भण्डारित किया जा सकें, क्योंकि वर्मीकम्पोस्ट में नमी कम होने अथवा कम्पोस्ट सूख जाने पर इसकी गुणवत्ता प्रभावित होती है। संजय कुमार धाकड़, तकनीकी सहायक ने कृषक एवं कृषक महिलाओ को वर्मी कम्पोस्ट इकाई का भ्रमण कराकर वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने की प्रायोगिक जानकारी दी तथा अन्त में प्रशिक्षण में भाग लेने वाले जनजाति क्षेत्र के कृषक एवं कृषक महिलाओ को धन्यवाद अर्पित किया।